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श्री महारांजाधिरांज सलामती
आगै तो भंडारी वा सारा राठोड़ यो कहै थां जो म्हे अपणै बल सौ गुजरात को सुबो अजीत स्यंघजी नै वा उजेणी को सुबो महारांजाजी नै लेस्यां | सो सब राठोड़ वा भंडारी येकठा होय बंदा को बुलाय कहि जो थे भी जोम की बात करों तब बंदै जवाब दीयां जो मेरा अर तुम्हांरां कहैणा येक ही है अर मै तो तुम्हारे साथी जाता ही हुं तुम् कहो ही होसी मै ही कह्यां फेरी जोम की बात तो कुछ आ-(-) नीसर्या नही | अर मनसुबा भी कुछ पेसी गया नही साहीजादैजी भी इन कों मनै कीयां अर यह फुरमाइ जो हम नीसाण तुम कों करि देते है तुम षात्री जमा सौ हजुरी आवो अर षानषांना वा महाबत षां भी हमारे नीसाण माफीक तुम को लीषी देहगे | तब भंडारी तो अधीकां बोलणा छोड़ दीयां पणी रांठोड़ा कै यह बात हौय हैं जोइ पातसाह पै तो म्हे कोइ मार्या जाबा नही म्हे पातसाही देषी लीइ अजीत स्यंघजी हजुरी कोइ आंवै नही साहीजादा जै कोइ म्हां परी बीदा होसी तो उस को हम फोड़ी लेस्यां अर जै फोज आसी तो फोज कै म्हे सारै नही जो आसी जीह नै मारी लेस्यां | तदी बंदै ठाकर-लोगा सौ कही जो हमारे रांजो का क्या हाल होयगा | तब सब राठोड़ों कहां जो अजीत स्यंघजी आय अर महारांजा जै स्यंघजी कों ले जाहीगे अर जै फोज पातसाही हम परी जाइगी तो दोन्यौ राजा येकठे होय नारनोंल कनै ही मारी लेहगे | अर जै पातसाहजी चलाइ आवैगे तो हम देस उजाड़ी देहगे अर बीषो करैगे अर बीस बीस तीस तीस कोस परी कही मारैगे | सो पातसाहजी तो हम सौ उलझे रहैगे अर दीषणी तो पातसाह सै गइ है तब सब मुलक का बंदबसत उठी जाइगां अर षजानां कहा का बैठे बैठे षाहीगे | तब पातसाही का बल बरस च्यारी पाच मै तुटी जाइगां तब इन का मारणा क्या है | हमांरै तो रांजा उदै स्यंघ ही सौ चाकरी करणै लागे है | हम तो सदा भोमे (?) ही रहे अर रांजा अजीत स्यंघजी ओतार उपज्या है सो हमै तो परवाह चाकरी की नही | अर भंडारीजी या कहै है जो महाराजा आये नवाब महांबत षां भंडारी सौ ताकीद बहोत करी जो रांजा कहा तक आये है तब भंडारी अरज करी जो मेड़ता सौ तीन मजल मरै कासीद छोड़ी आये है सो यह बंदा को बड़ा अचीरज है जो मेड़ता सौ महारांजा अजीत स्यंघजी तीन मजल उरै आये है अर अब तक साभरी कै उरैं आये होयगे | अर हजुरि सौ कुछ षबरी बंदा को लीषी आइ नहि | षांनाजाद उमेदवार है जो महारांजा अजीत स्यंघजी की षबरी हर जोड़ी मै इनायत होबो करै जी |
श्री महारांजाजी सलामती - षांनाजाद को लाजम है जो पातसाही का रंग देषै सो तपसीलवार अरज पहुचाइ चाहीये जी | पातसाही मै फोजबंदी होय है मोहोकम स्यंघ राठोड़ को पातसाहजी पच-सदी इजाफा दीयां अर जवाहर जुदा कीया है अर मीरजा रुसतम की फोज मै नाव लीष्या है अर मीरजा रुसतम राव सकत स्यंघ मनोहरपुरवाला नै कही अर पैगाम दीया था जो तुम पातसाहजी को अरजी गुजरांनो मै तुम को अपणी फोज दांषील कराय ल्यौहगां | तब रांव सकत स्यंघ जवाब दीयां जो मै जुज मनसबदार हुं मुझ मै ये ती कुवती नही जो मै तुम्हारीं फोज दाषील हुं | अर मै हमेसां अजमेरी ही की राह चलावणै कै ताल (---) आया हुं तब रुसतम दील षा कहाय भेज्यां जो मै तुम को ष्वानाष्वाह मै अपणी फोज दाषील कराउगां | तब रांवजी कहाय भेज्यां जो पचास हजार रुपयां तो मदती षरच को दीवावो अर आछ्या इजाफा पाउ तो मै तुम्हांरी फोज दाषील हुं अर पातसाहजी का चलबा की कुछ गम पड़ै नही | जो अरज पहुचाइ जाय कहै कुछ करै कुछ है जी |
श्री महारांजाजी सलामती - उमीरल उमरांव नै षत आगै इनायत हुवा थां सो पचोली जगजीवन दास की मारफती गुजरान्यौ जी | सो जवाब आया सो हजुरी भेज्या है अर नवाब नै जो जगजीवन दास नै जुबानी फुररमायां (sic!) तीस की हकीकती पचोली जगजीवन दास की अरजदासती सौ अरज पहुचैली जी | अर नवाब महाबत षाजी वा राय भगवंत वा दरबार षरच का पइसा कै वासतै आगै षानाजाद अरज लीषी है सो जवाब इनायत न हुवां सो नवाब बार बार ताकीद रुपया कै वास्तै फुरमावै है जी |
श्री महारांजाजी सलामती - महारांजा अजीत स्यंघजी की बीरादरी की सनदी गुलाल चंद तयांर कराइ अर सरकार की सनदी तुरत बंद छै |
श्री महारांजाजी सलामती - साहीजादोजी हादार स्या बहादर इद्री की त्रफ सीकार गया है सो हजुरी सौ हरकारा बीदां होहीगे जो उठा की हकीकती पै दर पै अरज पहुचाबो करै जी | हरकार भेजता तो बंदा ही पणी हरकारां बंदा कनै कोइ नही जी |
श्री महारांजाजी सलामती - लसकर मै यह षबरी है जो जसवंत पुरा वा हवेली तबेला सुधां (?) हकीमुल मुलक को पातसाहजी इनाम बकस्यौ या षबरी बंदै भंडारी सौ कही तब भंडारी जवांब दीयां जो येक घड़ी मै लेस्यौ |
श्री महारांजाजी सलांमती - पुर माड़ल की षीजमती रुसतम दील षा की मारफती पेरोज षां मेवाती कां भाइ तीन नै हुइ जी | सो पातसाहजी सीरोपाव बकस्या जी | दरबार की हकीकती सारी पचोली जगजीव (sic!) का लीष्या सौ वा वाका की फरद सौ अरज पहुचैली जी | मीती फागण सुदी 2 संवत 1767 |||||