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Vakil Report 11

||:|| श्री गौपालजी सहाय

|| श्री महाराजाधिराज श्री महाराजा
 

|| श्री महाराजा जै सिघजी

||:|| स्वस्ति श्री महाराजाधिराज महाराजा श्री

चरणकमलांनु षांनाजाद षाक पाय पा॰ जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदगी अवधार जौ जी अठा स्माचार श्री महाराजाजी का तेज प्रताप थे भला छै | श्री महाराजाजी का सीष स्माचार घड़ी घड़ी पल पल का सीष स्माचार सासता प्रसाद करावजौ जी | श्री महाराजाजी माइत हे धणी है | श्री परमेसुर जी री जायगा हे म्हे श्री महाराजाजी रा षांनाजाद बंदा हां | श्री पातिसाहजी श्री महाराजाजी थे महरवांन है | श्री महाराजाजी सुष पावजौ जी पाण गंगाजल आरोगण रा जतन फुरमावजौ जी |

| अप्रच षांनाजाद नवाजी कौ परवांनौ काती सुदि 4 कौ लिषौ मंगसर बदि 3 आयो सु सीर चढाय लीयो तमाम सरफराजी षांनांजाद नवाजी हुइ जी |

| षांनाजाद नवाजी कर दरबार की वकालत षांनाजाद नै फुरमाइ सु आप की सअदत सरबुलंदी जांण हजारां हजार तसलीमात (-----) बजाय लाय दरबार का कामा सुं षबरदार हुवौ जी | श्री महाराजाजी का तेज प्रताप थे दरबार का मतलब थोड़ा दीनां मे सब सरंजांम पायसी जी | दरबार की तरफ थे श्री महाराजाजी षातर मुबारक ज्मां फुरमायजौ जी | षांनाजाद रात दीन दरबार थे षबरदार रहसी जी |

| श्री महाराजाजी की तरफ को षत मीरजा सदरुदीं महमद षां नै व मीरजा यार अली बेग ने गुजरान्या थां की नकल श्री महाराजाजी हजुर भेजी हे सु नजर मुबारक गुजरसी जी | मीरजा ने हुकम हुवो है षत कै पाछै मोहर होय तो अरज कीयो करौ ती पर मीरजाजी षांनाजाद सुं कही श्री महाराजा कौ मेरी जुबानी लिषौ जद षत भेज्या करौ तब षत की पुसत उपर मोहर कर लीफाफे उपर भी मोहर करा करै | सु श्री महाराजाजी की षातर मुबारक मे आये तो पांच सात बंद की पुसत उपर मोहर कर भेजे जे सो स्मे देषसां तेसो षत लिष मीरजा नै गुजरानसां | अर कोरा बंदां उपर मोहर करणी षातर मे पसंद न आवे तो दस बीस लीफाफां उपर मोहर कर इनायत फुरमावजौ जी | मीरजा का षत उपर लीफाफा तो षाह-नाषाह कर देणो होसी जी |

| मीरजा सदरुदी षांजी नै षत दीयो तब पढ कर कही जो अब दे ऐक बेर साहजादा बेदार बषत कौ नीसांन आवे तो षाह-मषाह हजरत नगारा इनायत करेगे ती सुं श्रीजी तलास कर साहजादाजी कौ नीसांन इनायत फुरमावजौ जी | अर षांनांजाद तौ तलास नै लगौ ही है जी |

| दरबार रा स्माचार वाकारी फरदां सुं मालुम होसी जी |

| महाराजा सलांमत - पातिसाहजी हुकम कीयो हे ज दोय हजार सुवार नकदी का चाकर राष गुजरात भेजौ दु सदी सुं ले दु षीसती ताइं | अर ती मे सदरुदी षां हजार सुवार राष भेजे ये ही तजवीज कर तसदीक दे अरज मुकरर मे नजर गुजरेल | सो रोज तजवीजी राषजे हे सु इही षात उपर षांनाजाद नजर करी अर अरज पोहची हे ज गनीम गुजरात गयो ती पर चाटसु मअजाबाद कौ मनसुबो सरत नीगाह-दासत ज्मयत कौ कीयो है जे अर अज्मेर का सुबा की पायबाकी लेण उपर श्री महाराजाजी कौ हुकम आयो ज सरत नीगाहदासत ज्मयत के लीजो | सु श्री महाराजाजी रा प्रताप थे पायबाकी सरत नीगाहदासत ज्ययत के लेसुं जी यो कांम अमीरल उमराव सुं लगायो है जी | दीन दस पांच मै यो मजकुर अमीरल उमराव सुं मुसकस होय चुकसी तब अरजदासत करसुं |

छोटा साहबजी तो टो (sic! i.e. टोडा) भीम कै राजा राय सिघ कौ वगेरह महाल मे सुं ऐक महल वतन तरीक लुं हुं जी |

| ओर जे मतलब लिष्या है सु हुकम मवाफक सब मतलब ठीक करां हां जी |

सा॰ 1763 मगसर बदि 7 सुक्रवार |||||