Ansi | UTF-8 | Devanagari |
Vakil Report 277
|| || श्री महाराजधिराज महाराजा (----)
|| मीरजा राजा सवाइं जै संघजी
||:|| सिंधिं श्री महाराजधिराज महाराज श्री चरन कमलांनु बंदो षानाजाद पंचोली
जगजीवन दास लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री महाराजाजी
का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी रा सीष स्माचार सासता परसाद करावजो
जी | श्री महाराजाजी साहब है धणी है | श्री परमेसुरजी की जायगां है | म्हे
षानाजाद बंदा हां | गंगाजल पान आरोगण रा घणां जतन फरमावजो जी | श्री पातिस्याहजी
श्री महाराजाजी सै महरबान है | श्री महाराजाजी घणो सुष पावजो जी |
| श्री महाराजाजी सलांमत - दरबार का स्माचार तफसीलवार पै दर पै आगै अरजदासतां
करी है तां सु अरज पोहोती होसी जी |
श्री महाराजाजी सलांमत - सरकार का इतरा मतालब षरची बीना बंद पड़ा है साह
अणद राम व चोधरी जग राम कह है म्हां पास षरच न्ही हजुर नै लीषो हजुर सै षरची
को हुकम जी उपर आवैलो सु नीसां था की करसी |
| दाग नामो बीरादरी को ऐक बरस माफ हुवो थो सु बरस होय चुको च्यार महीना उपर
गय्या सु दाम काटैं है सु इ काम कै वासतै केइ बार हजूर नै अरजदासतां करी सु
षरच को सरंजाम न आयो जु ले सनद कराय भेजां जो दाग नामां बीना जागीर आगली भी
तगीर होय जासी तब षांनाजाद उपर ऐतराजी होसी ती सु उमैदवार हु डेढ हजार रुपीय्यां
को सरंजांम आवै जु दसतक दाग की कराय भेजुं जी | मवाफक हजुर का मुतसदी दाग नामो
कराय भेजैला जी |
| दोय कीरोड़ तीरेपन लाष दांम श्रीजी का तत मै तलब है तां|त्यां मै अठासी
लाष दाम मै तो परगनो लांची करोलो पातिस्याही मुतसदीय्यां श्रीजी की तलब मै
दे राषो है कह है श्रीजी साहब सुबै है जाणो तीं भांत अमल करो बाकी ऐक कीरोड़
पचसठ लाष दाम सरकार मै रहा है सु अमीरुल उमराव सै तलास तो घणो ही कीयो पण हाथ
न लागा अब हर ठोड़ तलास कर दाम लेस्यां पण षरची बीना काम चलै न्ही ती सु उमैदवार
हु रुपीय्या षरच नै लागै सु कोइ मुतसदी दे जु जागीर ले भेजुं इ काम की ढील
न होय जी |
| मुतालबात सरफ का मुतसदीय्यां को सालीनो हुवो सु मांगै है सरकार का मुतसदी
कह है म्हां पास ऐक दाम न्ही हजुर नै लिषो सु उमैदवार हु मुतालबात सरफ का मुतसदीयां
का सालीयाना का तीन हजार दीरावजे जी | श्री महाराजाजी सलांमत - पातिस्याहजी
को हुकम हुवो जु तमांम मुमालक महरुसा का परगना परगना की देह-ब-देही व दह सालो
आवै ती वासतै गुरज बरदार सुबा सुबा का दीवानां कनै चाला अर हर ऐक परगना का कानुगो
वां उपर दसतकां हुइं जु परगना की देह-ब-देही व दह साला को कागद लावो सु श्रीजी
की जागीर का परगनां का कानुगो वां उपर भी दसतक करै था सु षांनाजाद तकसीम का
मुतसदां सै कहो जु श्री महाराजाजी की जागीर की तकसीम कदे आइं न्ही अबै थे कुं
दसतक करो हो तब मुतसदीय्या कहो म्हे बैकुंठ बासी म्हाराज श्री मान संघजी सु
ले आज ताइ सदा सालीय्यानो पावो है अर श्री महाराजाजी भी म्हां नै सालयानो सदा
दीयो है अबै ओरंगजेब पछै पातस्याह कै अर श्री महाराजाजी कै नाम वा-फकत हुइं
ती वासतै म्हे भी न मांगा था अबै कै तो म्हां का सालय्यानां म्हां नै दो-कै
गुरजबरदार भेज दह सालो व देह-ब-देही मंगास्यां तब षानाजाद वां मुतसदीयां की
दीलासा करी जु सालय्यांनो मंगाय देस्यां सु षानाजाद उमैदवार है जु य्यां का
सालय्याना उठै हजुर मै मुसतोफी का दफतर सै तहकीक कर इनायत कराजे जी |
| श्री महाराजाजी सलांमत - मुहासबा का मुतसदी कह है म्हे कदीम सै सालीयानो
पावा हां अर श्री महाराजाजी भी म्हां नै इनायत कीयो है अबै पातिस्याह आलमगीर
पछै पायो न है सु अबै म्हां का सालय्यांना म्हा नै दीरावो कै परगनां की फसलै
नको तफावत काढ लाषां को मुतालबो काढस्यां तब षांनाजाद मुतसदीय्यां की दीलासा
करी सु उमैदवार हु जु य्यां को सालय्यांनो इनायत होय जी | रु॰ हजार हजार ऐक
साल पाव है जी |
| श्री महाराजाजी सलांमत - वकाया का व सवान्हा का मुतसदी सदा दर-माहो पावै
है सु अबै पातिस्याह आलमगीर पछै न पायो है ती सु जो षबर आवै है सु षानाजाद
सै जाहर न करै है अर पातिस्याहजी सै अरज करै है ती की भी षबर न करै है जुं
जो काम जतन को होय ती को जतन करां ती सु उमैदवार हु जु य्यां को दरमाहो सु
दाम देसै है सु य्यां नै इनायत होय न्ही कदे काम मै य्यां सु दगो षासां जी
|
| श्रीजी की सरकार सै पातिस्याही मुतसदी सालीनो फसलां-नो पावै है ती की फरद
सरकार का मुतसदी की मोहर सै केसोरा का बेटा परीछत राय पास है ती की नकल मोहोर
सै परीछत राय अहमदानगर मै षानाजाद नै दी थी सु वै की नकल हजुर भेजी है सु दफतर
सै तहकीक कर इ फरद मवाफक जरुरीयात काम रजु है त्यां की अरज लीषी है सु उमैदवार
हुं य्यां कांमां का रुपीय्या इनायत होय जी |
| श्री महाराजाजी सलांमत - वकील नै जरुर है ज हर रोज ऐक पहर पातिस्याह दरबार
बैठै तब गुसलषाना की दोढी उपर हाजर रहै जो दरबार उमराव आवै त्यां सु मूजरो
करै दस षबर सुण आवै फेर दीवानी कचहड़ां मै सब ठोड़ जाय सब बकसीय्यां की सब
कचहड़ीयां जाय वाका नवीस षुफीय्या नवीस कै जाय सब दरबांरां फीरै तब सब षबरां
सै वाकफ होय षांवंद का कामां सु षात्र ज्मां करै तब डेरै आवै सु पहली तो सब
ठोड़ चोबदारां सै ही काम अर सदा सरबदा सरका (?) सै पाय आय्या सु लीयां बी-(--)-र
छोडे न्ही अठै सरकार का मुतसदी दमड़ी कही पीयादा नै दे न्ही श्रीजी आगला ज्मा
षरच वकीलां का देषै कही महीनै हजार कही महीनै डोढ हजार रुपीय्या पयादगान को
षरच उठै थो अर श्रीजी को वकील कुछ ओर सा वकीलां की तरह न है ती भात पातिस्याहजादां
का वकील रहै ती भांत रहै जहां साहजादां का बडा उमरांवा का वकील छुटै तठै छुटै
सु य्या बडा-इ-सो भी सरकार की है सु आज ताइ तो जीती भांत आब-रु सु रहो अबै
चोबदार तो लीय्यां बीगर रहै न्ही ती सु उमैदवार हु जु आगै देढ हजार हजार दर-माहै
उठता अबै पांच सात सै को दर-माहो जु कुछ षात्र मै आवै सु कर भेजजे जी |
| श्री महाराजाजी सलांमत - दस महीनां हुवा रोजगार पाउ न्ही षाण नै महीना
मै हजार रुपीय्या पेट रोटी नै लागै कपड़ा जुदा ती सु उमैदवार हुं षानाजाद को
दर-माहो व मुतसदीयां का रुपीया चोबदारां सुधायां (?) रुपीय्या मै च्यार पांच
गांव जुदा कर कही मुतसदी नै सोपजे जु वो माहा दर-माह दीयां जाय बार बार हजुर
अरज करणी मनासब न है जी |
| श्री महाराजाजी सलांमत - आगै हजुर सै हुकम आयो है जु पालकी पातिस्याह मन्हे
करी है सु थे भी षरच पालकी को मोकुफ राषजो |
श्रीजी सलांमत - अठै श्री महाराणांजी को व महाराज श्री अजीत सिघजी को व भीव
सिघ हाडा को व जैत सिघजी कांम-वालां को व ओर उमरावा का वकील पालकी बैठा फीरै
अर श्रीजी को वकील सदा सरबदा सारां का वकीलां सै आछां रहे है ती वासतै अबार
ताइं षानाजाद भी सरकार की सोभा कै वासतै पालकी को षरच जुं को जुं राषो है ती
सु उमैदवार हु पालकी का षरच को हुकम आवै जी |
| श्री महाराजाजी सलांमत - महाराज श्री अजीत सिघ डोलो चलायो सु जोधपुर सै
उरै ऐक कोस (---)-ण डेरा कीय्या सु उठा सै दीवान तुलाराम नवाब अमीरुल उमराव
नै अरजदासत भेजी सु नवाब डोलां आयां की मुबारकबादी की हजार असरफी पातिस्याहजी
की नजर करी पातस्याहजी नवाब का वकील नै सरपाव दीयो |
| श्री महाराजाजी सलांमत - बुंदी को काम मवाफक हुकम श्रीजी कै ठाकुर स्यांम
सिघजी व चोधरी व साह व षांनाजाद ठीक लगायो है सु श्री राव राजाजी को बेटो व
श्री महाराजाजी को भांणेज ती कै नांव ठहरी है सु तफसील ठाकुर स्यांम सिघजी की
अरजदासत सै अरज होसी मोहमसाजी मै लाष रुपीयां की हुडी तो आंण पोहोती है बाकी
भी नवाब का करार का आवसी |
श्रीजी सलांमत - श्री महाराजाजी का व महाराज श्री अजीत सिघजी का डेरा श्री
पोहकरजी मै हुवा तब षानाजाद नै हुकम कीयो थो जु था रै श्री महाराजाजी की सरकार
की व श्री अजीत सिघजी की वकालत तो है अर श्री राणांजी की वकालत दां-वां तो
ऐक तरफ श्री महाराजाजी की सरकार की व ऐक तरफ श्री महाराजा अजीत संघजी की व
बीचै राणांजी की बैरष होय तद म्हे सुष पांवा सु श्रीजी का परताप सै वकत पाय
राणाजी की वकालत भी होसी पण अबार बुंदी को काम श्रीजी का परताप सै ठीक लागो
है ती सु षानाजाद उमैदवार है जु य्या वकालत षानाजाद नै इनायत होय जी |
श्री महाराजाजी सलांमत - काबुल का सुबा की तरफ पठाणां घणो फीसाद उठायो है
कह है सात लाष रुपीय्या नाल-बंदी का सुबैदार सदा म्हा नै दे-है सु थे भी म्हां
नै दो सु षान आलम सुबैदार की अरजदासत आइं है जु षानाजाद कनै तो रुपीया न्ही
जू वां पठाणां नै दुं हुकम हुवो सरहंद का षजाना सै दो सु सरहंद की गीरद न-वा-इं
तो गुरु सारी लुट वैरान करी है जी |
| श्री महाराजाजी सलांमत - नवाब अमीरुल उमराव कुवरजी श्री अभै सिघजी नै सोरठ
की फोजदारी की तसलीमात कराइं अर च्यार कीरोड़ दाम महाराज श्री अजीत सिघजी का
तत मै तलब है अर तीन हजारी दोय हजार सुवार कुंवरजी श्री अभै सिघजी को मनसब ती
का दोय कीरोड़ बीस लाष दाम जुं का जुं बाकी था सु महाराज श्री अजीत सिघजी का
व कुवरजी का छ कीरोड़ बीस लाष दाम तलब था जां कै वासतै नवाब जवाब दीयो जु पातिस्याहजी
कै षुलासा दाम तो पायबाकी मै न्ही अर सोरठ का गैर अमली प्रगना पायबाकी है सु
चाहो तो लो सु भंडारी षीवसी श्री अजीत सिसिघजी (sic!) नै लिषो थो सु श्री अजीत
सिघजी लीषो तत मै तलब पड़ी की-सै कांम सोरठ का गैर अमली परगना ही लीजो सु तीन
कीरोड़ दाम सोरठ का लीया बाकी तीन कीरोड़ तत मै रहा है |
| श्री महाराजाजी सलांमत - फाजल षां आगै आजम स्याह कै दीवान थो अबै नवाब
कुतबुल मुलक य्यां सै बोहोत महरबानगी करै है चाहै है फाजल षां नै तन को व षालसा
को दीवा कराय आप की पेसदसती मै राषै सु फाजल षां की जागीर परगना ताल मै है
सु उठा कै आंमल लीषो है जु परगनां को हासल श्रीजी का लोगां लीयो है अठै साहुकार
फाजल षां नै रोजीनो दे थो सु भी दे तो रह गयो इ वासतै नवाब कुतबुल मुलक षानाजाद
सै घणी ताकीद करी जु श्री मीरजा राजाजी नै लीषो जु फाजल षां का आंमल कना सै
षरीफ व रबी को हासल होय सु ताकीद कर फाजल षा कनै भी जवावै अर आगां सै य्यां
की जागीर को घणो षस्मांनो करै अर फाजल षां इ ही मुकदमां कै वासतै आप को षत श्रीजी
की हजुर भेजबा नै षानाजाद नै सोपो सु हजुर भेजो है सु नजर मुबारक मै गुजरसी
|
श्रीजी सलांमत - हजुर का मुतसदीय्या नै हुकम होय जु फाजल षांजी का आंमल कना
सै ताकीद कर षरीफ रबी को हासल भी जवावैलां (--) य्यां की जागीर को घणो षस्मांनो
फुरमांवैला जी |
श्री महाराजाजी सलांमत - हरदुवारजी को परगनो नवाब अमीरौल उमराव की जागीर
मै है तठा को ज्मीदार सभा चंद जाट आगै नवाब का दोय भाइ लड़ाइ मै मारा था सु
अबार नवाब सै डार तो श्रीनगर का पहाड़ा मै जाय बैठो है अर नवाब की जागीर मै
फीसाद कर रहो है ती वासतै हीदु संघ षंगारोत ठाकुर स्याम सिघजी को भाइं ती नै
नवाब धरु घरु चाकर राषो अर दोय सै असवार दोय सै बरकंदाज साथ दे हरदुवारजी की
फोजदारी दीवी जु मुकररी उठै रहै अर सभा चंद मजकुर नै जागीर मै दषल न करबा दे
|
| श्री महाराजाजी सलांमत - नवाब अमीरुल उमराव वां डेरा सै मीती बैसाष बदि
11 कुच कीयो सु षाजे कुतबुदी की दरगाह कै (-)-रै मोठ की मसजद है तठै डेरा हुवा
|
| श्री महाराजाजी सलांमत - अरजदासत लिषां पछै श्री महाराजाजी को परवानो षांनैजाद
नवाजी को चोधरी जगराम का कागदां मै मीती बैसाष बदि 11 आयो माथै चढाय लीयो षानैजाद
नवाजी व सरफराजी हुइ जी | श्रीजी सलांमत - परवाना मै हुकम आयो है जु दलेर वगहरै
की तंबीह का अर परगना भोरासा मै दलेर हीमत षां का गुमासतां नै अमल दीराबा का
आगै हसबुल हुक (sic!) ऐतमाद दोला की मोहर सै आया है ती सु जरुरी लीफाफा रेनका
दास जरकारा (?) कनां सै लीषाय भगोती दास हरकारो हजुर मै है ती कनै भी जवाया
है सु थे भी वै मतालब पढ चोधरी जगराम व साह अणद राम का इतफाक सै नवाब ऐतमाद
दोला सै जाहर कर भलै वकत अरज पोहचा जो श्रीजी सलांमत - भगोती दास हरकारो चांदा
का राजा को षुफीय्या वकील थो सु चांदा को राजा रुपीय्या बारा लाष हर साल पातिस्याही
पेसकस का भरै है सु भगोती दास चांदा का राज नै लीषो जु अठै अमीरुल उमराव व मीर
जुमलो वगहरै उमरावां की माहो माह की बे-इतफाकी सै पातिस्याही अमल सुसत है ती
सु थे भी पेसकस का रुपीय्या उठै भरो मती अर ऐक लाष दोय लाष रुपीया अठै भेजजो
जु मुतसदीय्यां नै दे अब का साल की पेसकस मोकुफ करावां सु ऐ कागद राह मै आयो
जी | हरकारो आगै महाबत षां की साथ थो अर मोजदीन का अमल मै श्रीजी की भी हजुर
आयो थो सु अबार आयो जी | दषण मै है सु भगोती दास कै अर आपाजी कै दुसमनी है ती
सु भगोती दास का कागद आपाजी हरकारै पकड़ नवाब नीजामुल मुलक नै दीय्या नीजामुल
मुलक अठै पातिसाहजी की हजुर भेजा सु श्रीजी का परवाना आंवतां दोय दीन पहली पातिस्याहजी
को हुकम हुवो जु भगोती दास नै कैद करो अर गुवालेर चढावो अर घर जबत करो सु मवाफक
हुकम कै कैद कीयो अर घर जबत कीयो ती सु भगोती दास की मरफत तो काम न हुवो अर
ऐतमाद दोला नै श्रीजी को षत थो ती कै वासतै ठाकुर स्यांम सिघजि कहो जो थे गुजरानसो
(-सी ?) तो नवाब अमीरुल उमराव उपर जाहर होसी तो नवाब कहसी अबार ही ओरां सै जाय
मीला ती सु हीडोण का इजारा का रुपीय्या लेबा आसी तां की सथ भेजस्यां सु छां
नै सै भेज दीयो जी |
| श्री महाराजाजी सलांमत - कुंवरजी श्री अभै सिघजी नै सोरठ की फोजदारी की
षीदमत हुइं हजार सुवार व असी लाष दाम इनाम मसरुत फोजदारी को इजाफो हुवो जी |
मी॰ बैष (sic!) सुदि 1 सं॰ 1772 |||||