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Vakil Report 274
||:|| श्री गोपालजी सत है जी
|| श्री महाराजधिराज महाराज
|| श्री मीरजा राजा सवाइ जै सिघजी
||:|| सिंधिं श्री महाराजधिराज महाराजाजी श्री | चरन कमलानु बंदै षानाजाद
पंचोली जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदी (sic!) अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री
महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी रा सीष समाचार सासता परसाद
करावजो जी | श्रीजी साहब है धणी है | श्री परमेसुरजी री जायगां है | म्हे षानाजाद
बंदा हां | गंगाजल पान आरोगण रा घणा जतन फरमावजो जी | श्री पातिसाहजी श्री महाराजाजी
सै महरबान है | श्री महाराजाजी घणो सुष पावजो जी |
|| श्री महाराजाजी सलांमत - दरबार का स्माचार तफसीलवार आगै पै दर पै अरजदासत
कीय्या है ता सै अरज पोहोचसी जी |
|| श्री महाराजाजी सलांमत - श्री पातिस्याहजी मी॰ चैत्र बदि 2 बीसपतवार
बरस-गांठ को जसन कीयो राग रंग मवाफक दसतुर आगलै जसनां कै हुवो | हजुर का सारा
उमरावा नजर करी अर सारा बंदा नै सरपाव व पान व षसबोइ इनायत हुइं जी |
श्री महाराजाजी सलांमत - श्री महाराजाजी का षट दोय षान दोरांजी नै डाक मै
आय्या | ऐक षत तो लीषो है जु हुकम आयो है जु बुरहनपुर सु षजांनो आवै है ती कै
सांमाह (?) जाय षजानो ले आवजो सु अब ताइं उठा सै षजानो चालो न है | जब षजानो
आसी जब नरबदा का घाट ताइं पेसवा जाय भली भांत सै षजानो लास्यां | अर दुसरा षत
मै लिषो है जु मुफसद अहीरां फीसाद उठायो है | अर पठाण भी वां सै सांमल हुवा है
| सु य्यां की तंबीह कै वासतै आगै हुकम आयो है | सु वा मुफसदां की तंबीह कै
वासतै म्हे भी डेरो बारै षड़ो कीयो है | अर राजा सत्रसाल बुंदेलौ भी मवाफक हुकम
कै डेरा बारै षड़ा कीया है | सु राजा सत्रसालजी अर म्हे सांमल होय अहीर मुफसदां
की तंबीह करस्यां | सु य्यां दोनु षतां की इतषाब की अरजी षान दोरां षांजी करी
है जो हुकम होसी सु पांछां सै अरजदासत करसु |
श्री महाराजाजी सलांमत - राजा सत्रसालजी बुंदेला को षत नवाब अमीरुल उमराव
नै आयो ती मै लिषो है जु कीतनायक हजार सुवार दषणी गनीम का तां मै कीतरायक तो
नरबदा जी गुंडवाणां कै घाट उतरा अर उतरता जाय है अर य्यां सीवाय ओर भी दषणीयां
की फोज आवती जाय है | सु महाराजा श्री मीरजा राजा सवाइ जै संघजी नै भी हुकम आवै
जु हु व श्री महाराज सांमल होय गनीम की तंबीह करां | तब नवाब राजा सत्रसालजी
का षत का इतषाब की तो अरजी करी अर सत्रसालजी की तरफ सै अठै की-सवार महमद षां
है ती नै रुषसत कीयो जु तै सत्रसालजी कनै जाय वां की भात भात सै दीलासा कर अर
वां का मतालब लीष लाव जु मै सरंजाम करुद (sic!) अर सत्रसालजी व श्री मीरजा राजाजी
दोनु जाय गनीम की तंबीह करै नरबदा उतरबा न दे जी |
श्री महाराजाजी सलांमत - श्री महाराजाजी की व श्री महाराजकुवार चीमां साहबजी
की व सरकार की बीरादरी की जागीर की तोजीह मवाफक हुकम कै आगै हजुर भेजी है सु
नजर गुजरी होसी जी |
|| श्री महाराजाजी सलांमत - सरकार की बीरादरी का दाग-नांमां की दसतक कै
वासतै हुकम आयो जु कराय भेजजो सु मवाफक हुकम कै दसतक तय्यार कराउ हु तयार होय
है अर हजुर भेजु हुं जी |
श्री महाराजाजी सलांमत - उजैण का पुरा की सनद कै वासतै हुकम आयो जु फरमान
तय्यार करावो जीतरै नवाब कुतबुल मुलक की मोहर को परवानो कराय भेजजो सु पहली तो
नवाब को भतीजो नुरदी अली षा को वाको हुवो अर अबै अमीरुल उमराव का बेटा को वाको
हुवो इ वासतै न हुवो अबै मजकुर कर सीताबी सै तय्यार कराय हजुर भेजसु जी |
श्रीजी सलांमत - नवाब अमीरुल उमराव कै बेटो फतेपुर का काम-षानी की बेटी सै
हुवो थो | सु महीना तीन च्यार को थो ती को मीती चैत्र बदि 3 (?) वाको हुवो सु
नवाब कुतबुल मुलक अमीरुल उमराव कै डेरै आय्या दोना भाया घणो दुष कीयो | पातिस्याहजी
षान दोरां नै भेजे घणी दीलासा करी अर फरमायो सालगीरह को जसन है सु कुतबुल मुलक
ने ले आवो | सु षान दोरां मवाफक हुकम कै दोनु भायां की घणी दीलासा करी अर कुतबुल
मुलक नै हजुर ले गयो | पातिस्याहजी घणी दीलासा करी पान षुवाय्या |
|| श्री महाराजाजी सलांमत - पातिस्याहजी सै अरज हुइं नानग गुरू मुफसदां बटाला की तरफ फीसाद बोहोत उठायो है अर अबदुसमद शां लाहोर को सुबैदार ओर ज्मीदार मुफसदां की तबंह नै गयो है ती सु सहर को भी लोग डेरै है ती उपर हुकम हुवो अप्सरासय्या षां सोम बषसी गनीम की तंबीह नै जाय सु अफरासयाब षां चालसी तद अरजदासत करस्या जी | मी॰ चैत्र बदि 6 सं॰ 1771 |||||