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श्री महारांजाधीरांज सलामती
परवाना करांर मीती माह बदी 5 वा बदी 8 का लीष्यां इनायत हुवां था सो मीती मांह सुदी 3 बीसपतीवार आय पहुता जी | षानाजाद सरफराज हुवा माथै चढाय लीया जी | हुकम हुवो जो भंडारी षीवसी हजुरी पहुतो होसी सो जो रदबदल हुइ होय सो अरज लीषज्यौ अर बीरादरी का काम कै वासतै हुकम आयां सो भगवंत रांय की भाती भाती नीसा करी काम चलायो छै जी | अर दरबर (sic!) षरच का पइसा वेइ भी उन ही परी नाषी छै जो महारांजां अजीत स्यंघी कै दीया छै ती माफीक म्हे भी नीसा करांलां हुकम आया जो रुपया 75000 को तमसुष जीह ब्यापारी नै नवांब लीषाय देहनी नै लीष दीज्यौ सो माफीक हुकम तमसुष तो लीष दीयो ती की नकल आगै हजुरी भेजी छी सो नजरी गुजरी होयली जी | अर नकद रु॰ 25000 की नीपट ताकीद छै सो उमेदवार हु जो ब्यापार्या की तसलै करी अर हुडी सीताब इनायत होय जी | हुकम आया जो भगवंत राय अरज राषौ छौ जो चैत रांम भतीजा म्हांरां नै सरकार नै चाकर राषजे सो हकीकती अरज पहुची इह बात को काइ मुजायको छै म्हे भी पातसाहजी की हजुरी सीताब ही आवां छां सो भगवंत राय अरज करैलो सो मजुर होयलि |
श्री महारांजाजी सलामती - भगवंत राय को भतीजो चाकर रांषणौ सलाह दोलती छौ जी सो चाकर राषी श्रीजी प्रवानो इनायत करै जी इन से ती कांमकाज बहोत है जी | अर षत उमीरल उमरांव को इनायत हुवा थां सो पहुता जी | सो षत पचोली जगजीवन दास नै सोप्या है सो जवाब आवैलो सो हजुरी भेजोलो जी |
श्री महांरांजाजी सलांमती - नवाब महांबत षाजी की हुडी रुपया 25000 की इनायत होय ती ही की साथी भगवंत राय की हुडी इनायत होय जी | ज्यौ काम बीरादरी को चलै जी रुपया कै वासतै कांम बंद छै जी |
श्री महाराजाजी सलामती - हजुरी मै या ठाहरी छै जो जै हजुरी आवौ तो काबील की मुहंम मोकुफ होय सो रदबदल दर-मान छै सो जो ठीक पड़ैलो सो पाछा थे अरज लीषौलो जी |
श्री महारांजाजी सलांमती - परवानो फारसी करार तौ॰ 29 जीलकाद करे लीषौ इनायत हुवो थो सो तौ॰ 7 जीलहेज आय पहुतो जी माथै चढाय लीयो षांनाजाद सरफरांज हुवो हुकम आया जो हकीकती दरबार की तौ जुदां बंद मै लीषबो कीज्यौ | अर मुकदमा माली तका जुदा बद मै लीषबो कीज्यौ सो माफीक हुकम बंदां अमल करैगां जी |
श्री महांरांजाजी सलमती (sic!) -
गरु पकड़्या आवैगां अर सब नीजरी वा नीसार गुजरांनैगां तो बंदा भी अरजदासती वै ही थैली मै माफीक सलाह दोन्यों नवाबा की अरजदासती लीषी गुजरानोगा जी | हुकम आयां जो रुपया 25000 की हुडी का जवाब हीदुइ परवाना सौ जाणोलां सो परवाना हीदुइ बंदा पासी इह जोड़ी मै आंया नही सो अबै इनायत होय जी जी माफीक नवाब सौ रदबदल करु जी अर हुकम आया जो तुम्हांरै नाय परवाना फारसी सादर होयला अर तुम ब-दसतुर साबीक अरजदासती हीदुइ करबो कीज्यौ सो माफीक हुकम अमल करुगा जी |
मीती माह सुदी 11 सं॰ 1767 मु॰ साधोरौ |||||