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Vakil Report 269
1|| श्री गोपालजी सहाय है जी श्री महाराजधिराज (sic!) म्हाराजाजी श्री मीरजा
राजा स्वाइं जै संघजी
||:|| सिंधिं श्री म्हाराजधिराज म्हाराजाजी श्री | चरणकमलांन षांनांजाद
बंदे पंचोली जगजीवन दास लीषतं तसलींम बंदगी अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री
महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री म्हाराजाजी का सीष स्माचार सासता परसाद
करावजो जी | श्री म्हाराजाजी साहीब है घंणी है | श्री परमेसुर जी की जायगां
है | म्हे षांनाजाद बंदा हां | गंगाजल पांन आरोगबा का घंणां जतंन फरमावजो जी
| श्री पातस्याहजी श्री म्हाराजाजी सुं म्हेरबांन है | श्री म्हाराजाजी घंणो
सुष पावजो जी |
|| श्री म्हाराजाजी सलांमति - पातस्याहजी कै अर कुतबल मुलक व अंमीरुल उमराव
कै नां मवाफकत आं दीनां मै हुइं तीं का स्माचार तो आगे तफसीलवार पै दर पै अरजदासत
कीया है
(------------------) मै मीर जुमलो व षांन दोरां व म्हैमद अंमी षां व म्हाबत
षां षांना-षांनां को बेटो व ज्यंबाज षां सलेमांन षां को भांणजो यै सारा घोड़ां
सुवार हुवा आवै था | सु ज्यंबाज षां मीर जुमला वगेरहे ने कहो जु सेयदां नै कुछि
पातस्याही तकसीर करी न्ही अर माहो माही की बे-इंषलासी सुं सारा मुलक मै फीसाद
उठो है | दूंद दोय रहो है तीं सुं आपां सारा सायदां कै जाय वां नै मंनाय लांवां
तदी महाबत षां कही जु इंतरा वै काइं है जो पातस्याही बंदगी करणीं है तो भली भांत
सै करो नहीत्र वै असा काइं बहादर है जु पातस्याहां सै ओर भांत होसी तद ज्यंबाज
षां महाबत षां सै कहो जु थां की तो मरदांनगी सारां उपर जाहर है जु बारेह हजार
सुवारां सुं भागा फीर्या अर घर लुटायो अर अजीम स्यांजी नै उंभा ही छोड्यां तद
म्हाबत षां तरवार उंपर हाथ धरो अर ज्यंबाज षां आप की तरवार षीदमतगार नै पकड़ाइ
दीवी जु असा नां मरद उपर तरवार काइं चलां उंते माचां सै ही मारना षुं इ भात की
गुफतगो हुइं पछै तुरत ही जंनां जी की रेती आइं | ऐक जायगां इसी दलदल की आइ जठै
मीर जुमला को व षांन दोरां को व म्हैमद अंमी षां को वगरहै कीतराक मंनसबदारां
का घोड़ा दलदल मै फस्या म्हेमद अंमी षां घोड़ा सै गीर पड़ौ पाघ गीरी चोट लागी
ओर सारा उमराव घोड़ां सै उतर उतर बारै नीकला राजा उदोत संघ वोडछा (?) को जमीदार
तीं का नव दस सुवार बगतरपोस दलदल मै गरक होय गया अर पातस्याह दोलत षां नै आया
जी | अर जीं दींन सुं सयदां सै बे-इषलासी हुइ थी तीं दींन से पातस्याहजी की मा
पातस्याहजी सै अरज करै थी जु सयदां नै कुछि तकसीर करी न्हीं | अर अहल गरजां कै
कहे पातस्याही मै फीसाद कुं करावो हो सु मा कंने तो पातस्याहजी कबुल करे अर
बारे आय मीर जूमला का कह्या सै फीर जाय पण पातस्याहजी की मा सेदां की दीलासा
पातस्याहजी की कोकी की (?) साथ कराय भेजै थी जु तंमारे (sic!) लेणे कुं मे आउं
हूं तुम अपंणी षात्र ज्मां राषो तब सयदां कहाय भेजे था जु म्हे तो पातस्याही
बंदा हां हुकंम होय तो दोनां भायां का सीर काट भेजां हुकंम होय वतंन मे फकीर
होय जाय बेठां हुकंम होय मकै जांवां म्हे तो हुकंमीं षांनांजाद हां पण मुलक मै
दुंद उंठो है तीं सु म्हे बदनांम होयां हां तीं सुं मीर जुमला व षांन दोरां नै
भी सुबादारी दीजे अर म्हां ने भी सुबादारी दीजे जु बारै जांवां अर हजुर मै षात्र
मै आवे जीं ने षीदमत दीजे सु पातस्याहजी की मा के अर सयदा के या रदबदल थी पातस्याह
ज्मां-मसजद पधार्या व लुणीं (?) की सीकार गया | तदी पातस्याहजी की मा पातस्याहजी
से फेर अरज करी जु हजरत नीमाज नै पधार्या तद भी अर सीकार नै पधार्या तद भी घंणीं
एहतीयात करी पंण सयदां तो कुछि न कहौ तीं सुं पातस्याही पाइ है तो सगत फीसाद
कुं करो हो तद पातस्याहजी भी कबुल करी जु मीर जुमला ने बंगाला की सुबादारी द्यां
| या बात ठहैरी तदी मीती मंगसर बदी 11 अदीतवार पातस्याह की मा नवाब कुतबल मुलक
कै आइं दरबार षां षोजो व एतमाद षां षोजो व तकरब षां साथ था कुतबल मुलक आप की
हवेली का दरवाजा ताइं स्हां (sic!) मां आय तसलीमात कीवी छह ठांव को सीरोपाव
व दोय माला मोत्यां की सरपेच जड़ाउं व बाजुबंद जड़ाउं व धुगधुगी जड़ाउं इंतरी
बसतां पातस्याहजी की मा कुतबल मुलक ने इनांम कीवी अर कुतबल मुलक आप की तरफ सुं
जवाहर पंदरा हजार को व नव तोरा कपड़ां का पातस्याह की मा की नजर कीया अर कुतबल
मुलक अदालत मै जाय पातस्याह की मुलाजमति करी नव मोहर नजर करी | पातस्याहजी नजर
की मोहरां ले जेब मे धरी अर पातस्याहजी व पातस्याहजी की मा व कुतबल मुलक व साइसत
षां च्यार घड़ी ताइं अदालत मै षीलवत को व सरपेचे जड़ाउं व पांन का बीड़ा दे
डेरा ने रुषसत कीया जी | ओर जो स्माचार होसी सु पाछा सु तफसीलवार अरजदासत करसुं
जी |
मी॰ मंगसर बदि 11 सं॰ 1771 |||||