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अरजदासत दीवान भीषारी दास
करार मि॰ माह सुदि 3 (-----) की लीषी मि॰ माह सुदी 8 सं॰ 1767
श्री रांमजी
श्री महारांजाधिराज सलामती
मीती माह बदी 4 बीसपतीवार नवाब महाबत षाजी राय भगवंत कै कान्हजी झाला कै डेरै बुलावणे को भेज्यां | सो भगवंत राय कान्हजी कै डेरै आवे अर बंदा को कहाय भेज्यां जो नवाब नै कहा है जो तुम कान्हजी कौ ले चलों | तब बंदा भि साथी गयां | सो कान्हजी वा कीसोर दास उकील कों सीरोपाव दीयां अर बहोत दीलासां करी | तब कान्हजी मुझै कहां जो तुम नवाब सौ अरज करी राणा संगराम स्यंघ जी को षत लिषावौ | तब बन्दै नवाब सै अरज करि तब नवाब षास दसकता षत लिष्यां तीह की नकल हजुरि भेजी छै | सो नजरि गुजरैली जी |
श्री महाराजाजी सलांमती - नवाब नै भंडारी कि हकीकती बंदा सौ पुछी जो भंडारि का क्या हाल है तब बंदै तपसीलवार अरज करि तब गुलाल चन्द को फुरमायां जो भंडारी कों सीताब ले आवौं तब गुलाल चंद अरज करि जो दीन च्यारी तथा पाच मै हजुरि आवैगां |
श्री महारांजाजी सलामती - माफिक कहे कान्हजी कै नवाब अंदर चले तब बंदै अरज करि जो नवाब षानषानाजी कै डेरै कान्हजी को जीसौ हुकम होय सो ही ले चलै तब नवाब फुरमावां जो तुम कान्हजी कों बड़े नवाब कै ले चलो अर दीवानषाने बैठो नवाब पातसाहजी की हजुरी सौ आवैगे तब मै भी साथी आउगा |
श्री महाराजाजी सलामती - अरजदासती करांर मिती माह बदी 8 वार सोमवार कि लीषी हजुरि भेजी छै ती सौ सारी हकिकता अरज पहुची होसी जी | परवान फारसी वा हीदुइ करांर मीती पोस सुदी 15 का लिष्या इनांइत हुवा था सो मीती माह बदी 8 सोमवार आय पहुता जी माथै चढाय लिये षानाजाद सरफराज हुवां | अरजदासति साहीजादो नै वा शत दोन्यौं नवाबा नै वा षत हकीम सलेम नै इनायत हुवा थां सो पहुता जी | सो माफिक हुकम अरजदासती साहीजादाजी नै हकीम सलेम की मारफती गुजरानी जी | सो साहीजादैजी कान्हजी की वा कीसोर दास कि बहोत दीलासा करि वा षत दोन्यो नवाबौ को गुजरान्यां सो नवाबो भी राणा संगरांम स्यंघजी कों षत लिशी कान्हजी वा कीसोर दास कै हवालै कीया तीह की नकल हजुरि भेजी छै सो नजरी गुजरैली जी |
श्री महाराजाजी सलामती - जों जों कांम वेइ कान्हजी वा कीसोर दास बंदा सौं नहैं हैं जीही जायगा जांव अर इन कि बहोत दीलांसा कराउ हु जी |
श्री महारांजाजी सलामती - बंदै तलास कीया जो फुरमान वा नवाजसी राणाजी कै ताइ कढाउ सो साहीजादै जी वा दोन्यों नवाबा या फुरमाइ जो पहैली अरजदासती वा पेसकस माफिक सदामदी राणो पांतीसाहजी नै भेजैलो तब फुरमान वा नवाजसी पातसाहो (sic!) की होयलि |
श्री महारांजाजी सलामती - आप राणा संगरांम स्यंघजी नै ताकीद लीषी अर अरजदासती वा पेसकस माफिक सदामदी सीताब भीजवाज्यौ जी | ज्यौ ऐसे वकत मै इन का काम करी लीजे जी | अर राणाजी का परवाना कान्हजी कै वा कीसोर दास उकील कै नाव मगावैगे क्यौ ज बे-वाकीफ हाल छै अर नवा आवैला तो कोइ दीन वाफिक (sic! i.e. वाकिफ ?) होता लागैलां अर साहीजादोजी वा दोन्यौ नवाब कान्हजी वा कीसोर दास सौ नीपट प्यार करै छै जी |
श्री महाराजांजी सलामती - परगना मोजाबादि का इजारा की स्यालु की तो कीसती संतोषरांम गुमासतै प्रौहीत स्यामरामजी कौ नीसा करि अर उन्हालु की कीसती कै वासतै नटी गयां तब केसरी स्यंघजी का गुमासता बंदा पासी आयां जो ये उन्हालु का जामीन कोइ होय नही तब बंदै संतोषरांम को बुलाय भेज्यां तब संतोषरांम नौ च्योरो (sic!) कह्यौ तब संतोषरांम कही जो स्यालु मै हमारै रुपया 650 आये है हम जामीन किस भाती हों ही रुपया हमारै हाथी आवैं नही |
श्री महारांजाजी सलामती - संतोषरांम जामीत उनालु को होय नही सो प्रौहीत स्यामरांमजी की लीष्यौ संतोषराम्म नै उनालु की जांमनी कै वासतै आवै तो जामीन होय जी नहीत्र परगना मजकुर मै आमील साहीजादा रफील स्याह (Rafi-ush-Shan) का आवैला जी | सो जवाब सीतां इनायत होय जी | जी माफिक केसरी स्यंघजी कां गुमासता की नीसा कीजे जी |
श्री महारांजाजी सलामती - भंडारी षीवसी मीती माह बदी 11 वांर बीसपतीवार घड़ी च्यारी राती गया नवाब महाबत शाजी की मुलाजमती करी | नवाब बगलगीरी करी बहोत म्हेरवानगी सौं बैठायां अर ठाकर लोगा को मुजरो हुवो | नवाब बहोत म्हेरबान होय सीरोपाव दीयां | फेरी पान दे अर बीदा कीया अर फुरमाया जो कान्ही तुम नवाब षानषाना की मुलाजमती करों | तब भंडारी अरज करि जो 14 सनीसरवार का (?) मुरत आछ्या है सो परसौ मुलाजमती करुंगा | तब महाबत षाजी फुरमयां जो तुम हम सो तो आछे महुरत मै मीले अबै सबान (?) वा षानषाना सौ ष्वा-ना-षा मीलो बड़े नवाब कै बहोत ताकीद है तब भंडारी अरज करी जो जब नवाब फुरमावै तब ही तयार हु | सो राती कै तांइ म्हे लागां सो च्यारी पहैर राती वा च्यारी पहैर दीन मौ उघाड़ घड़ी ऐक कीया नही तीस सौ मुलाजमती नवाब की न हुइ जी | मीती माह बदी 14 वार सनीसवार नवाब षानषाना कै डेरै नवाब महाबत षाजी जांय अर भंडारी कों बुलाय भेज्यां तब भंडारी असवार होय नवाब षानषाना कै डेरै गयां अर नवाब षानषाना की मुलाजमती करि नजरी गुजरांनी सो राषी | मुलाजमती करता इ नवाब षानषाना फुरमायां जो दोन्यो राजो हमारी बुरी (?) रिफाकती करी पेरोज षा मेवांती तो रुसतम दील षा की ऐसी रफाषती करै अर तुम तो ऐसे मोसर मै भी हम पासी आये नही तब भंडारी अरज करी जो महांराजा अजीत स्यंघजी नै तीन महीना ताप आइ ती सौ ढील हुइ अर अबै सीताब हजुरी पहुचैगे तब नवाब फुरमाइ जो कहा तक आंये होयगे | तब भंडारी अरज करी जो पोहोकरजी आय पहुचे होयगे सो अबै सीताब हजुरी पहुचैगे तब नवब (sic!) महाबत षाजी नवाब सौ अरज करी जो अबार तो भंडारी कों रुषसद होय कांल्ही जो कुछ फुरमावणा होय सो फुरमावै | तब भंडारी को सीरोपांव दे नवाब बीदा कीयां (---) अर फुरमाया जो काल्ही तुम साहीजादां अजीमसानजी की मुलाजमती करौं अर अनार पातसाहजी कै वासतै वा साहीजादाजी कै वासतै ल्याया छौ सो मगाय भेजो ज्यौ पातसाहजी कों अनार गुजरानी तुम्हांरे आये की अरज कीजे | मीती माह बदी 11 (?) बार दीनवार भंडारीजी नवाब महाबत षाजी कै डेरै गयां अर गुलाब राय षानसामा की मारफती अनार वा कपड़ो गुजराती (?) जो उठा सौ ल्याया था सो गुजरांन्यौ जी |
श्री महारांजाजी सलामती - षत नवाब महाबत षाजी को वा अरजदासती महैमद यार षा की बंदा नै सोपी थी | सो हजुरी भेजी छै सो नीजरी गुजरैलो जी |
श्री महाराजाजी सलामती - मीती माह बदी 8 सोमवार कै दीन बीजै स्यंघजी दयारांम दीवान कै मीजमानी षाबा जनाना सुधा पधार्यां सो दयारांम नै इनाम हुइ |
- षसजरी तास को सीरोपाव | (?)
- गव-येक नकस्यौ तन रुपया 5000 को |
- पहुची को जोड़ो 1 |
- घोड़ो षासा 1 |
अर दयारांम नीजरी करी हाथी 1 वा घोड़ो दोय महोर 500 (--) षंजर जड़ाउ 1 धुगधगी 1 पहुची येक बीजै स्यंघजी की नीजरी की पावा कपड़ा कां दाम तोरा 2 मा 18 (?) नीजरी कीया जी |
अर जो जनानो आयो छो त्या की पहैरांवणी करी जी |
श्री महारांजाजी सलामती - बीरादरी का काम चलाबा कै वास्तै बंदै रुपया 5000 टीप षानाजाद की महोर सौ राव भगवंत नै लीष दीइ छै तीह की नकल हजुरी भेजी छै सो नजरि गजरैली (sic!) जी | बंदौ उमेदवार छै जो पंजीराइ इनायत होय जी |
श्री महाराजाजी सलामती - नवाब महाबत षाजी नौ रुपया 75000 को षत नवाब नै लीष दीयो छौ ती की नकल आगै हजुरि भेजी छै सो नजरी गुजरी होयली जी | अर रुपया 25000 की हुडी की नवाब की बंदा सौ बहोत ताकीद छै सो बंदौ उमेदवार छै जो या भी हुडी सीताब इनायत होय जी | ज्यौ नवाब यादीदास्ती परी महोर करै जी अर अजीत स्यंघजी की बीरांदरी को काम चल्यौ छै तीन तांइ सरकार की भी बीरादरी को काम सरु होय जी | अर राय भगवंत भी पइसा लीयां ही काम करैलो जी | गुलाल चंद भी पइसा दे अर यादीदासती तयार कराइ छै जी | अर दफत्र नवाब महाबत षाजी का नोस्यंदा का षरच कौ (sic!) वासतै रुपया 500 राय भगवंत की मारफती भेज्या छै जी | पणी वै बहोत मागै छै जी पणी येता तो हाल दीया छै जी | अर वै या कहैं छौ जो गुलाल चन्द दीया छै ती माफीक थे भी द्यौह | सो जो हुकम हुकम (sic!) आवै ती माफीक अमल करु जी |
श्री महांराजाजी सलामती - पातसाहजी का हसबल हुकम वा गुरजबरदार पहाड़ो के राजों पौ (sic!) गया जो तुम्हांरी धरति मै जहा गरु होय जीहा सौ पकड़ी हजुरी भेजी ज्यौ तब पहाड़ो के राजो की अरजदासती पातसाहजी नै आइ अर नजरी गुजरी जो गरु हमारी धरती मै आया नही नाहणी ही का राजा का पहाड़ मै छै | सो पातसाहजी षानषाना कों फुरमायां जो तुम नहणी का रांजा कों बुलाय कैदी करो जो गरु को पौदा (sic!) करि देह | तब षानषाना नाहणी का राजा कों बुलाया अर ताकीद करि तब नाहणी कै राजा अरज करि जो मेरी जाणी मै गरु नही अर मेरा दीवान गरु का सीष है सो उस की जाणी मै कहि होयगां | सो दीवान कों ऐसा मार्यां जो वस का जीवणा कठणी छै जी | अर दुसरै दीन पातसाहजी षानषानां को फुरमाया जो दीवान के मार्यौं क्या होता है तुम राजा कों कैदी करो व्है गरु को पैदां करी देहगा नत्र मै मारी डालुगा | अर उस का सब भांजी गयां अर वै उस की मा की अरजदासती आइ छै जो मेरे बेटे को बे-इजती मती करो मै गरु का तलास मै हुं सो पैदा करि भेजुगी | सो जो ठाहरैली सै पाछा थे अरज लीषौली जी |
श्री महारांजाजी सलामती - बंदा हमेसा भंडारी षीवसी की लार दरबारी जाय है अर जीहा नै सलाह करी छोड़ी जाय छै जब वहां की जो हकीकति वै आय कहै छै ती माफीक अरज लीषौ छो जी | अर साहीजादाजी की भी मुलाजमती दीन येक तथा दोय मै करैला जी | म्हे कै सबब ढील हुइ छौ जी |
श्री महाराजाजी सलामती - पचोली जगजीवन दास नीपट परेसान छौ सो अरज पहुचाबा मै आवै नही जी जै इद वकत मै क्यौ शरची इनायत होय तो सलाह दोलती छै वकाया की फरद हजुरी भेजी छौ | सो दरबार की हकीकती मालुम होयली जी |
मीती माह सुदी 3 संवत 1767 |||||