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Vakil Report 206
||:|| श्री गोपालजी सहाय छै जी
|| श्री महाराजाधिराज महाराजाजी
श्री मीरजा राजा जै सिघजी
||:|| सिंधिं श्री महाराजाधिराज महाराजाजी श्री |
चरण-कमलानु षानांजाद षाक पाय पचोली जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदगी अवधारजो
जी | अठा का समाचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला छै | श्री महाराजाजी
का सीष समाचार सासता परसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी माइत हैं धणी हैं | श्री
परमेसुरजी क्जी जायगा हैं | म्हे श्री महाराजाजी का षानांजाद बंदा हां | श्री
पातसाहजी श्री महाराजाजी सुं महरबान हैं | श्री महाराजाजी सूष पावजो जी | पान
गंगाजल आरोगबा का घणा जतन फरमावजो जी |
श्री महाराजाजी सलामत - फागण बदि 10 षानाजाद व गुलाल चंद नवाब हसन अली षांजी
कै गया था | सु तुलाराम नवाब कै दीवान षनांजादां नै अलाहदा ले जाय कही जु पातसाहजी
नै अब यह रवाया पकड़ा जु जिस कुं आगैं हजारी की था तिस कुं अब सदी रषते हैं |
नवाब अबदुला षाजी व हसन अली षांजी नो-हजारी दस-हजारी हुवे थे | सु पंज-हजारी
सस-हजारी रहते दीसैं हैं | तीस सू नवांब फीकरमंद हैं जु राजों कुं आगैं फरमानों
मैं लिषा गया जु बडे मीरजा राजाजी का व महाराजाजी का मरातब होयगा सू देंगे |
अर अब तो पातसाहजी नै मनसबों का यह दसतुर पकड़ा | सु यह बात नवाब नै तुम सूं
तो कहवाइ नहै | पण घर मै मसलहत करते थे सु मैं तो दोनु सरकारों का नेक-षुवाह
हुं अर नवाब का भी चाकर हुं | तीस वासतै तुम्ह सुं मसलहत पूछता हुं जु ओर मतालब
तो सरंजाम होयंहीगे | पण मनसबों का क्या कीया चाहीये अर गुजरात की व उजैन की
सुबैदारी होणे की नहीं तीं पर षानांजादां कही जु दोनु साहब तो चाहते हैं जु नो-नो-हजारी
नो-नो-हजार सूवार दू-असपा व ओर मतालब सरंजां होय सु बडे मीरजा राजाजी व महाराजाजी
का मरातब भी न होयगा तो किस भांत कबुल करैंगे अर ओर उमराव तो जमयत रषैंगे या
न रषैंगे | पण हम कुं तो जमयत रषणी है दोनुं साहबों के वतन के परगने हाथन लगैं
अर नो-नो-हजारी नो-नो-हजार सूवार दु-असपा व ओर मतालब सरंजाम न होय इतनै कीस
भांत कबुल करैंगे सु तूम यह बात हमारी तरफ सुं नवाब कुं मत कहयो अपणी हीं तरफ
सुं कहयो | हम भी यह बात पहली ही स्याम सिघजी सुं व ओर मुतसदीयो सुं करैंगे
| तो दलगीर होय जांयांगे अर दोनुं साहबों कु भी इस मुकदमे की अरजदासत न करैंगे
अर तुम्ह नवाब कुं भी मनाह करीयो जु यह मजकुर स्याम सिघजी सुं न करैं | पहली
ही यह बात कही तो सब रजपूत दिलगीर होय जांयगे | नवाब कुं यह ही मसलहत दो जु
बडे मीरजा राजाजी का व महाराजाजी का मरातब होय अर सुबे होंय इस ही मै मुलक का
बंदबसत है | सु या बात स्याम सिंघजी नै भी कही छै | सु इं की जिसी मसलहत भली
षातर मुबारक मै आवै | वैसो ही स्याम सिघजी नै व षानांजाद नै हुकम आवै तीं मवाफक
अमल करो जी | अब जो यां सु रदबदल होसी तीं की पाछां सुं अरजदासत करसूं जी |
श्री महाराजाजी सलामत - पायबाकी का परगनां का इजारा की नुसरत यार षां सुं
रदबदल डाली छै | सु नुसरत यार षां तो राजी हुवो छै | पंज-माहो सस-माहो मांगै
छै अर षानांजाद दु-माहा सि-माह सुं बाध न कहै छै | सु जे परगनां सरकार मै लेणा
होय त्यां की तफसील इनायत होय जुं हजुर सूं हुकम आवै तीं माफक फैसल करां जी
| अर हसन अली षाजी सुं भी रदबदल डाली छै तूलाराम कह छै जु ओर मतालबां की फैसल
हुवा पछै या भी चुकाय देस्यां |
श्री महाराजाजी सलामत - दोनु सरकारां का मतालबा की स्याम सिघजी का व कन्हीरामजी
का इतफाक सुं तुलाराम की मारफत नवाब हसन अली षांजी सुं रदबदल डाली छै | दोय लाष
रुपया सरकार सूं व दोय लाष रूपया महाराजा श्री अजीत सिघजी की तरफ सुं मोहमसाजी
का नवाब हसन अली षांजी नै व दस हजार रूपया तुलाराम नै देणा कीया छै | सु तुलाराम
कहै छै जु मैं आज संवार मै नवाब सूं कहूंगां | पण नवाब कै व मीरजा राजाजी कै
व महाराजाजी कै बहोत इषलास है | सु नवाब कबुल न करसी सु जु यां सुं रदबदल चुकसी
तीं की पाछां सुं अरजदासत करसूं जी |
श्री महाराजाजी सलामत - नवाब हसन अली षांजी सूं बजद छां जु नुसरत यार षां
नै सांभर की फोजदारी व पायबाकी की अमीनां न होय कही ओर ही बंदा नै भेजजे |
श्री महाराजाजी सलामत - पातसाहजी को अमुमन हुकम हुवो तीं पर जसवंतपुरै भी
पातसाही लोग आण बैठा था | सु षानांजाद व गुलाल चंद नवाब हसन अली षांजी सुं अरज
कर उठाय दीया जी |
श्री महाराजाजी सलामत - अबदुला षांजी रूठ रह्या था जु छबीलै राम नै षालसा
की दीवानी तगीर हुइ | तब अबदुला षांजी पातसाहजी कै मुजरै गया अर मोहमद (?) षां
आजम साहीजदां साह कै दीवान थो तीं नै षालसा की दीवानी हुइ अर छबीलै राम को भतीजो
बुतात हुवो थो | सु तगीर हुवो षबर छै जु अबदुला षांजी की बीरादरी माहलो ही कोइ
बुतात होय सु तुरत सयंदां छबीलै राम नै बारैं काढबा को मतो कीयो छै | पछै देषजे
जु काइं करैं पण पातसाहजी छबीलै राम नैं चाहैं छैं जी |
|| श्री महाराजाजी सलामत - लूतफला षांजहां साह कै थो ती नै तन की दीवानी हुइ
| अर राय नोनिध वैं को पेसकार हुवो | राय गज सिघ षालसा का दीवान को पेसकार हुवो
| अर राय नोनिध को बेटो मरातब नवीस थो सू बहाल रह्यो जी |
|| श्री महाराजाजी सलामत - षीदमत मीर बकसी-गरी की तो हसन अली षांजी नै छै
अर बषसी दोयम महमद अमीं षां छ (sic!) अर बषसी सोयम अफरासयाब षां छै | मी. फागण
बदि 10 राय षूसहाल चंद मीर बकसी को पेसकार हुवो सरोपाव पायो अर गुलाब राय षूसहाल
चंद को बेटो बषसी दोयम को पेसकार हुवो | बकसी सोयम को पेसकार भगवंत राय महाबत
षां कै थो सु हुवो जी |
|| श्री महाराजाजी सलामत - गजुंदी षा बडा गाजुंदी षां कै बेटै अरजी दी जु
मनै गाजुंदी षा नीको षीताब सरफराज होय तीं पर वैं नै तो षानषाना को षीताब हुवो
अर मीर गाजी पूरब सुं पातसाहजी की साथ आयो थो ती नै गाजुदी षा को षीताब हुवो
थो सु बहाल रह्यो |
|| श्री महाराजाजी सलामत - बहरमंद षां जुलफकार षां को भाणाजो कैद मै छै अर
वैं को घर जबत हुवो अर ऐतकाद षां आसफ दोला को पोतो नारनोल को फोजदार थो सु भाग
गयो षबर नहीं जु कठै गयो ||||
मीती फागंन बदी 11 संबत 1769 |||||