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|| श्री गोपालजी सहाय छै जी
|| श्री महाराजाधिराज महाराजा
जी श्री मीरजा राजा जै सिघजी
||:|| सिंधिं श्री महाराजाधिराज महाराजाजी श्री चरण कमलानु षानांजाद षाक पाय पंचोली जगजीवन दास लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का समाचार श्री महाराजाजी का तेज प्रताप कर भला है | श्री महाराजाजी का सीष समाचार सासता परसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी माइत है धणी है | श्री परमेसूरजी री जायगा है | म्हे श्री महाराजाजी रा षानांजाद बंदा हां | श्री पातसाहजी श्री महाराजाजी सु महरबान हे | श्री महाराजाजी सूष पावजो जी | पान गंगाजल आरोगण रा घणा जतन फुरमावजो जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - मी॰ सावण सुदी 5 राजा सभा चंद षानांजाद नै कहो जु श्री महाराजाजी कुं अरजदासत करो जु तुम नै अब तक सांभर सै थाणे न उठाय मंगाये सु यह बात षुब नही पातसाहजी नै तुम पर इतनी नवाजस करी जु घर बैठै मनसब व षीताब व वतन सरफराज कीये तो भी तुम समझते नही सु क्या षातर मै है तीस सै अब सांभर सु थाणे उठाय मंगावो अर जागीरदार नालस करते फीरते है तीन कुं पांछले पैसो की नीसां करो ओर आगु सै जागीर मै अमल दो तद षानांजाद कहो जु हमारे सारै मतालब जरुरी सरंजांम कर दो तद राजा कहो जु तुम सांभर मै थाणे कायम रषोगे अर जागीरदारो कुं मुतलक अमल दषल दो नही अर मतालब अपणे सरंजाम कराया चाहो सु तो होता नही तीस सै सांभर के थाणे उठाय मंगावो जागीरदारो की नीसां करो तद मतालब सरंजाम पावै तीं सु उमेदवार हुं जु फषर दी षा षांभर को फोजदार होय गयो ती नै सरोपाव दे सांभर मै बैठाय वै को राजी-नामो भी जवावजो जी | जुं मतालब सरकार का सरंजाम पावै जी | अर महाराजा अजीत सिघजी नै भी इ बात कै वासतै लिषजे जी सुबा को दीवान को राजी-नामो भेजजे जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - राणांजी को षत नवाब अमीरल उमरावजी नै आयो ती मै दुरग दासजी कै वासतै लिषो थो जु मनसब व वतन मै इडर लाष रुपया रोक सरफराज होय तो षातर जमां सु बंदगी करै नवाब दुरग दासजी नै चार हजारी तीन हजार सुवार को मन्सब व बीस हजार रुपया रोक उजेन का षजाना सुं मरहमत कराया अर इडर कै वासतै नवाब कबुल कीयो है जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - होसदार षाम् इरादत षां को बेटो षानांजाद नै बुलाय कहो जु महमद आकल वगैरैह दस आदमी हमारे कोटड़ी पीड़ाहा हमारी फोजदारी मै है तहां सूं ऐक उट दोय परतल साढी बारै हजार रुपये रोक ले आवते थे सु आंबैर मै श्री महाराजाजी के लोगो नै उन कु रहजन जाण सारी मताह छीनाय-ली अर आदमी कैद मै कीये अर हमारा नांव सुणा जद रुपये मीयां-पनां कै हवालै कीये सु तुम इस मुकदमे की श्रीजी हजुर कुं अरजदासत करो अर रुपये हमारे मंगाय दो ती सुं उमेदवार हुं जु यां का रुपया सरकार का लोगां रहजन जाण लीया होय सु हुकम होय जु वां का आदमां कै हवालै करै अर बदर-को साथ दे अठे पहोचाये दीज जी ये श्रीजी सु कदीम इषलास राषै है जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - साह बेग सु बहोत महरबानगी फुरमावजो जी इ बात सुं नवाब भलो मानैला अर जो मतालब सरकार का होय सु साह बेग कना सुं लिषाय भजजे (sic!) जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - नाहर षां सांभर की फोजदारी कै वासतै राजा सभा चंद की षातर षाह मोहमसाजी करी अर कहो जु राजो सै मेरा जोड़ है सांभर की फोजदारी मेरै नांव होय मै वहां अमल करूंगा आगै राजो कुं हजुर लाया था तीस भांत फेर हजुर लावुंगा भर पेट राजा की नीसां करी ती सुं राजा या बात कबुल करी है जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - नुसरत यार षां फोजदार रणथभोर को तलब हजुर हुवो जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - सुजाअत षां पातसाही तोबषानां को दारोगो ती की जागीर परगनां न-गीना सरकार तीजारै सुबै साहजहानांबाद मै है सु उठा की रयत सुजाअत षां कनै आण फीरयाद करी जु अनोप सिघ व साह चतरभुज मुतसदी सरकार श्री महाराजाजी का सेषु वगैरैह पाच नफर जिमीदार उठा का कैद मै कीया ओर सात हजार ऐक सो पचहतर रुपया परगनां मजकुर सु वसुल कीया था सु ती मै तीन हजार रुपया तो म्हा को नांव सुण पाछां दीया ओर चार हजार ऐक सो पचहतर रुपया मुतसरफ हुवा ती पर सुजाअत षां षानांजाद नै बुलाय या हकीकत कही अर कहो जु हमारे जिमीदार तुम्हारे मुतसदीयों नै कैद मै कीये है सु मंगाय दो अर रुपये मूतसरफ हुवे तीन की नीसां करो तद षानांजाद कहो जु हु-(--) बात की श्री महाराजाजी हजुर नै अरजदासत करुं हु तद षानांजाद कना सु पंदरा दिन को मुचलको लिषाय लियो जु पंदरा दिन मै श्री महाराजाजी हजुर सु जुवाब मंगाय दुं ती सु उमेदवार हुं जुं अनोप सिघ व साह चतरभुज सु ताकीद फुरमावजे रुपया मुतसरफ हुवा होय सु फेर दे अर कबज फेर दीयां की लिषाय भेजै अर जिमीदार कैद मै कीया है सु वां का आमिल कै हवालै करै अर राजी-नामो वै की मोहर सुं भी जवावजे जी | अर जुठ (sic!) होय तो उठा का काजी की मोहर सुं वाका-नवीस व सवान्ह-नवीस कानोगो वां का दसषतां सुं महजर कराय भेजजे जी | दीन पंदरा मै षाह-न-षाह जवाब आवै नही षानांजाद नै कैद कर राषसी जी रुपया लीया है ती की व जिमीदारा का नांव की तफसील फरद अलाहदी सुं अरज पहोचसी जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - इषलास षां तन को दीवान ती का इजारा का दामां की आगै अरज लिषी है सू नजर मुबारक गुजरी होसी इषलास षां कचहरी मै हमेसा षानाजाद सु ताकीद करै है वै का पयादा पाछै लागा रहै है ती सु उमदवार (sic!) हुं जु वै का इजारा
का रुपयां को सरंजाम सीताब इनायत होय जी | वै सु रात दिन हर मुकदमां की रजु है वै का रुपयां को सरंजाम सीताब इनायत होय जी | तीन गावां का इजारा की कबुलयत वै कै पास है भंडारीजी दासजी इजारो ले गया है सु रूपया इजारा का कुंकर छोड़ै आगा सु महमदाबाद इजारै चाहां सु कुंकर दे-जो महमदाबाद इजारै लीयो चाहजे तो साहुकार की जामनी भेजजे अर तीन गांव का पाछला रुपया भेजजे जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - बादसाह कुली बेग मुगल का दोय लाष दस हजार दाम परगनां भीव का टोडा मै तनषाह है सु ठाकुर गज सिघ व संघी (संधी ?) मनोहर दास वै का दाम सरकार मै इजारै ले गया है सू दीवान भीषारी दासजी भी इ मुकदमां सु वाकफ है सु वो हमेसा कचहरी मै झगड़तो रहै है अर दूली चंद नै ब-तंग करै है जु तै नै पटा व कबुलयत लिष दीया था सु अब तक दुली चंद नै तो कचहरी मै ली जाबा दीयो न छै ती सुं उमेदवार हुं जु वै का इजारा बाबत फसल षरीफ का रुपयां को सरंजांम इनायत होय जी | श्रीजी सलामत - जां का इजारा लीजे तां नै भी रुपय न दीजे तो वै कुंकर छोड़ै आगै ओर ऐवत बार कोण करै |
| श्री महाराजाजी सलामत - सेष अबदुल लतीफ मनसबदार कौटवाली चबुतरा को तइनात फोलाद षां की साथ है सु वै का साठ हजार दाम मोजै अटेरणा परगनां पनगुं (?) सरकार तिजारै सुबै साहजिहानांबाद मै है सु वो जाहर करै है जु म्हारो फसल रबी को हासिल चतरभुज साह मुतसदी सरकार श्रीजी को है सु मुतसरफ हुवो सु तुम नीसां करो सु वो कोटवाली चबुतरा को तइनात है उमेदवार हुं जु हुकम होय जु इ की जागीर को हासिल इ को आमल उठै है ती कै हवालै कर दे जी | राजीनावो भेजै |
| श्री महाराजाजी सलामत - पातसाही मै जितनां मीरधा चोबदार है सु (-)-xा-रां को मेवात मै वतन है सु ऐ जाहर करै है जु अनोप सिघ व साह चतरभुज मुतसदी सरकार श्रीजी का है सु म्हा की हवेली ढावै है अर झंझले है सु श्री महाराजाजी सलामत - अनोप सिघ व साह चतरभुज की नालस अठै दरबार मै मेवात का जिला का जागीरदार व ओर लोग बहोत करै है सु वा नै हुकम होय जु बे-वाजबी कही पर जुलम जीयादती न करै जी | श्रीजी सलामत - जागीरदारा का इजार का मुकदमा का परवाना फारसी मै इनायत हुवा करै जुं वा नै बजनस दीषाय दीजे जी |
श्री महाराजाजी सलामत - फते सिघ नरुको व हरराम सीव सिघ नरायणावाला की तरफ सुं साढोरा मै था अर मुलतफत षां रफील साह की साथ थो वै की जागीर मै जो बनेर का गांव जैतपुरा वगैरह था ऐक साल को हासल वो मागै थो फते सिघ हरराम भागता छीपता फीरै था इतरा मै धनराम षांनांजाद को जवाइ (?) राह चलतो वां का डेरा उपर आय नकलो तब यां बुलाय ले वै ही घड़ी वलालत को सरोपाव दीयो धनराम दरबार षरच की नीसां मांगी तब कहो म्हे बैथा हां जो लागसी सु देसां अर झगड़ो म्हा कै कोइ है नही अर दवाब मै सब का दाम कठा है दुसरै दीन मुलतफत षां साहजादा रफी-अ-सां का आदमी भेज बुलाय रफी सां का गुलसषानां मै कैद करायो जागीर का हासिल काट का चाहै (?) फते संघ दमड़ी दे नही चार महीनां ताइ धनराम गुसलषानां मै कैद हो चार हजार रुपया षानाजाद नै षरच का लागा तब घर को गहणो घड़ा (?) उट बेचा तो भी चार हजार न पैदा हुवा तब ऐक हजार रुपया दीवान भीषारी दासजी पास सै सरकार सु रोजगार मै लीया तब साहजादा की कैद सु छुटो इ बात सु भंडारीजी व दीवानजी वाकफ है उमेदवार हुं सीव सिघ नै हुकम होय जु चार हजार रुपया षानांजाद का ब्यज सु (---) भेज दे मीयां पनां जी नै हुकम ताकीद सु होय जु सरकार का बरकंदाज सुवार पयादा भेज सजावली कर रुपया ले भेजै जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - राय गीरधर लाल सरकार को कदीम षानाजाद थो सु तो काल-बस हुवो अर वै का माणस है सु जैसिघपुरा मै वै की हवेली की जायगा है सु पुरा का मुतसदी षालसा को अमल करै है सु राय मजकुर की बहु हजुर आवै थी सो षानांजाद कहो तुम मत जावो म्हे ही अरज लिष मुतसद्यां नै सनद मंगाय देसां ती सु उमेदवार हु जु पुरा का मुतसद्यां नै परवानो इनायत होय जु वै की हवेली सु मुजाहम न होय जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - वकालत षां ऐहदां को मीर बकसी ती की जागीर मेवात मै है सु वै अरजी करी थी जु अनोप सिघ व साह चतरभुज मुतसदी सरकार मीरजा राजा की कै है सु मेरी जागीर का हासल मुतसरफ हुवे हुकम होय तो मे-x की -xx लुं सु मनजुर हुवो सु वै अहदा षानाजाद पर सजावल कीया है ती सु उमेदवार हु जु अनोप सिघ व साह चतरभुज नै हुकम होय जु वै की जागीर का रुपया मुतसरफ हुवा होय सु वै का आमल कै हवालै करै अर राजी-नामो वै की मोहर सु लिषाय भेजजे जी | अर नही तो महजर कराअ भेजजे जी | जुं षानाजाद की षलासी होय जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - अरजदासत षामा पाछै परवानो षानाजाद नवाजी को तारीष (-)- उज्मादी असानी को लिषो 3 रजब नै इनायत हुवो तमाम सरफराजी व षानाजाद नवाजी हुइ तससूमात बजाय लाय सिर चढाय लीयो जी | कोल पंजा का फरमान पहोचां की व नवाब अमीरल उमरांवजी की सुकर गुजारी की हकीकत लिषी थी सु बजनस नवाब नै दीषावुलो जी | ओर समाचार दरबार का पाछा सुं अरजदासत करसुं जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - जमां षरच दरबार को आगै हजुर भेजो है ती नै छह महीनां हुवा अब तक जमां षरच की बाकी इनायत न हुइ सु षानांजाद सुं बोहरा तगादो करै ती सु उमेदवार हु जु जमा षरच की बाकी इनायत होय अर यो रोजगार चढो है सु इनायत होय अर आगां सु माह दर माह की साहुकार पर तनषाह इनायत होय जी | श्रीजी सलामत - आगै तो हजुर सुं षरची देर कर इनायत होती थी तब दासजी अठै था सु वा कना सुं वकत बे वकत ले कांम चलावै थो अब तो हजुर सुं इनायत तब ही काम काज चालै अर अठै लसकर मै साहुकार तो कही उधारो दे है नही जी |
मी॰ सावण सुदी 5 सबत 1769 |||||