www.mathias-metzger.de
Ansi UTF-8 Devanagari


Vakil Report 58

श्री महाराजाधिराज सलामती

अरजदासती करांर मीती जेठ बदी 10 मंगलवार की लीषी हजुरी भेजी छै ती सौ सारी हकीकति अरज पहुचैली | मीती जेठ बदी 11 बुधवार आधी राती चिमाजी कि षवासी पात्री ऐठै थी | सो भंडारी षिवसी की सल्हा ले करि देस को चलाइ अर दीलावर षा वागौ सुवार ऐठौ पाछै रहे थे सो साथी दीये जी |

श्री महारांजाधिरांज सलामती - साहीजादा जीहांदार साह बहादर वा जीह साह बहादर पार उतर्यां अर रफीयल सान बहादर भी अरज करी जो हुकम होइ तो मै भी पार उंतरौं | तब सीकार षा करोल अरज करि जो दोइ साहीजादे तो आगै पर गये है अर रफील सानजी भी पार जाहीगे तो ये तीनो पातसाहजादे येक है | कुछ फीसद (sic!) करैगे अरे इन तीनो के डेरे नजदीक नजदीक हवादार हुये है | तब पातसाहजी रफीसान का पार जाना मोकुफ कीयां अर गुसे होइ फुरमायां जो हमारा डेरां पार उतरे है सो साहीजादौं के डेरे सौ कोस दोय तीन के तफाउत सौ परै जाय षड़ा करों | अर साहीजादों कों षुब लागै सो आपस मै करो अर साहीजादों के साथ जो पातसाही मनसबदार है सो सब हमारे डेरों कौ पासी आय डेरा करै | अर जो साहीजादौं सामिल डेरा करै तीन कौं बे-मुनसब करौं | सो इस बात सो सब साहीजादों के तोबषाना तयार हुवा अर सीपाह को सिलहै बाटी अर पातसाहजी की जाल्यौ मै नवाब महाबत षाजी तो मुकरीर ही रहै थे अर अबै उमीरल (sic!) उमराव वा रुसताम दील षा को भी हुकम हुवां है जो तुम भी जाल्यौ हि मै रहों | अर हकिमुल मुलक को हुकम हुवां जो तुम अपने डेरे जाली बादरि दिवांनषाने की बराबरी कीया करो अर ओर भी उंमरावो के डेरे पातसाहजी क डेरा पास होते है | अर साहीजादा अजीम सान वा रफी सान अदालती मै पातसाहजी कि हजुरी गये थे | सो पातसाहजी उन की तरफ मुतउजै न हुये बठने (sic!) को फुरमाया नही | दोन्यौ षड़े ही रहे | पातसाहजी अदालती सौ उठे तब दोन्यौ साहीजादों को रुषसद कीया अर फुरमाया जो बाबा आपस मै षुब लड़ीयो तब दोन्यौ साहीजादा आपस मै माथो नीचो करी डेरै आय अर रुसतम दील षा को पातसाहजी फुरमाइ जो हमारा डेरा पार उतर्या है सो तीन को कोस तीन आणा उ मैदांन मै जाइ षरा करो अर हवादार मती करीयो | अर जैसा ही जादे डेरे ल्यावै तो जीहांदार साह का डेरा सब सौ आगै बड़ा कराइयो | अर तीन कै पाछै जरीब पचास जीहा साह का डेरा षड़ा कराइयो | अर इन दोन्यौ कै पिछै पचास जरीब तोबषाना षड़ा करांइयो अर फिल साह (sic!) का डेरा पातसाही डेरा सौ मसली उपरी जरीब पचास कै ताफाउत षड़े होइ | अर अजीम सान के डेरै बाइ तरफ पचास जरीब कै तफाउत षड़े करै अर बिची डेरे पातसाही बंदौ के होइ | अर जो साहीजादा मुजरे कों आवै तीन के साथी असवार जालि मै न आंवैणै पावै | अर साहीजादौ कै साथी आगौ ओंहादादार (?) छुटै थे तीन कों हुकम हुवां जो येक आदमी छुटै ओर कोइ हजुरी न आवणै पावैं | ओर साहीजादे सअ आपणं घर का असवारो का तसीह्यां आप देषै है जी |

(-) श्री महाराजाजी सलामती - भारथ स्यंघ सीसौद्यौ साहीपुरावालौ माणस देस को चलाये थे अर पीछै सौ आफ भि लसकर छोड़ी उठी गया थां | सो कोस दास जाइ अर कुछ आपणे मन मै समझी अर फेरी लसकर आया जी | अर गोपाल स्यंघ कीलाण स्यंघ का भदोड़्यां की बेटी की सगाइ परताप स्यंघ राणा अमर स्यंघजी कां भाइ सौं हुइ थी | अर गोपाल स्यंघ बेटी कां ब्याह कै वासतै पातसाहजी सौ सीष मागी थी सो पातसाहजी सीष न दीइ अर गोपाल स्यंघ का बेटा कै ताइ सीष दीइ तब गोपाल स्यंघ परतापा स्यंघ (sic!) सौ ताकीद कराइ जो असाढ मै जाइ ब्याह करों तब परताप स्यंघ कहाइ भेजी जो मेरै षरच कि तंगी अर षरची बीना चाल्या न जाइ | तब गोपाल स्यंघ रुपया हजार दस उन को षरच का दीये | मि॰ जेठ बदी 14 संवत 1768

तब गोपाल स्यंघ का बेटां वा परताप स्यंघ जी ब्याह को गये जी |

श्री महारांजाजी सलामती - उमरावो को हुकम हुवां जो बीना हुकम पातसाहजी कै कोइ मुनसबदार उमराव साहीजादो कै डेरै न जाही |

श्री महारांजाजी सलांमती - बीजै स्यंघजी नै दयारांम सौ क्यौ वा महा स्यंघ अबै स्यंघ का चत्रभुजउत सल्हा दे अर भजाइ ले गये | सो राह मै सो षबरी आइ जो पहैलै दीन तो कोस पचाउन गये अर दयारांम सो क्या को (?) आगै धरी लीयां अर रजपुतो को फुरमायां जो दाहीणा बावा होइ तो मारी डाबो नही तेरी मोहो आगै दीये चले जावो |

श्री महारांजाजी सलामती - परगना मोजाबादि की जामीनी साह केसोदास नीलपती की दुकान परी इनाइत हुइ थी | अर चीठी साहुकारा की मै लीषी थी जो माफिक कीसती पइसा दीज्यौ | अर हुड़ाइ काटी लीज्यौ तब बंदै चीठी आवता पहैली केसरी स्यंघजी ताकीद करी जो म्हारै षरच की तंगी अर म्हारै जागीर मै परगनो यो ही सो (?) थानै परगनो इ-(---) मै राषणो होइ तो रुपया मुनै पहैली कीसती का द्यौ | अर परगनो सरकार मै इजारै राषणो ही तदी रुपया बहोरा का सौ गहैणो सरकार को गहैणो धरां अर करज काढी दीया जी | सो ती की धीवाइ (?) का रुपया 154 सरकार का लागा अर साहुकारा फेरी चीठी पाछै आइ पहुची | तब बंदै साहुकारां नै बुलाइ | अर कही जो सरकार का गहैणा गहैणै धरी पइस्य (sic!) दीये है सो तुम इस कीसती की हुडी मती ल्याह जो सरकार सौ पइसे दीये है दोइ जाइगै कीस भाती मुजरा होइगे | तब उनो कही जो बीना हुड़ावनी म्हे रुपया कोइ द्या नही सो रुपया 154 उन राषे है | सो हुकम आवै सो करु जी उमेदवार हुं जो चीठी 1 साहुकारा की गुमासता परी आवै जो पहैली कीसती का रुपया दीया होइ ती की हुड़ाइ मती लीज्यौ रुपया सरकार सौ दीये है ती की हुड़ावणी लीज्यौ | अर रुपया पुरा दीज्यौ हुड़ावणी ल्यौह मती |

श्री महारांजाजी सलामती - परगना मोजाबादि की रबी तो आषरी हुइ अर आगा सौ साहीजादा रफी सानजी का आमील बीदा होइ थे | अर नुसरत यार षा की अमीनी ठाहरै छै | अर फोजदर (sic!) वा आमीन ऐठ थे बीदा होइ छै | ती उपरी म्हे कवर महोकम स्यंघजी का गुमासता नै बुलाइ रदबदल करी जो हजुरी का जवाब आवता ताइ अमीन वा कीरोही भेजो मती | तब मोकुफ राष्या जी ती उपरी वा या कही जो दुसरा साल का नो इजारो की जमा सवाइ होइली | अर तीसरा की दोढी होइली | सो रदबदल बहोत हुइ |

ती उपरी या ठाहरी है जी |

श्री महारांजाजी सलामती - जै परगनो आजा सौ सरकार मै राषणो होइ तो रुपया 30851 की जामीनी असलि वा रुपय 4500 षरच का ठाहरै छै | सो असलि रुपया की जामीनी साहुकारां की वा षरच का रुपया की हुडी सीताब इनाइत होइ जी | तो पटो आगीली साल को बंदो कराइ भेजै जी | अर परगना सरकार मै राषणा न होइ तो षानाजद (sic!) नै हुकम आवै-ज्यौ उन को जवाब द्यौह जी | दरबार की हकीकती वाका की फरद सौ अरज पहुचैली जी | मीती जेठ बदी 14 सनीसरवार संवत 1768 |||||