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Vakil Report 55

श्री महारांजाधीराज सलामती

अरजदासती करांर मीती बैसाष सुदी 11 की लीषी बुधवार की हजुरी भेजी है ती सौ सारी हकीकती अरज पहुचौली जी |

श्री महारांजाधीरांज सलामती - मीती जेठ बदी 1 दीतवार को पेसषाना पातसाही सतनंज नंदी कों चाल्यां हुकम हुवां जो उहा जाय हवादार डेरा षड़ा होइ अर चबुतरा बधै उहा जसन करैगे |

श्री मंहारांजाजी सलामती - महैमंद अमी षा बहादर घर का (धर का?) हाथी उपरी चढ्या जाइ थां सो दुसरे हाथी उपरी चढ्या जाइ थां सो नवाब महैमंद अमी षा को हाथी थोड़ा सा कमसत थां सो दुसरे हाथी उपरी दोड़्यां सो हाथी का पाछीला पाव दातो सो उठाइ लीये अर कोस पाच ताइ लीया चल्यौ गयो | तब हाथी तो उहा सौ भाजी छुटां अर महैमद अमी षां महाउत सौ कही जो हांथी को बैठाइ मै उतरी पालकी असवार हुगां | तब महाउत अरज करी जो अबार हाथी कह्या मै नही ठंढो पड़्या बैठाउगां | तब हाथी को जीस तीस भाती पाणी उपरी ले गया |

अर पाणी उपरी जा अर पाणी आपणै उपरी छड़क्या अर महाउत भी पाणी हाथी के माथै परी डाल्या अर महाउत बहोतेरा कर्यां सो हाथी बैठा नही | तब महैमद अमी षाजी षवास को कही जो रुषी (?) छौ सौ उतरी जां तेरै पीछै मै भी उतरुगां | तब षवास तो हाथी सौ उतरी गया सो हाथी बोल्या नही | फेरी महैमंद अमी षाजी भी हाथी सै उतर्यां | सो उतरता ही हाथी फीर गयां सो महैमंद अमी षाजी कै ताइ हाथी नै दातो बीची दाबी लीयां | तब महैमंद अमी षाजी की कमरी मै छुरी थी सो छुरी काढी अर हाथी के मोहो भीतरी तीन घाव कीये | सो घाउ बहोत कारगर हुवां अर महैमंद अमी षाजी कों दातो बीची सौ हाथी डाली दीयां अर हाथी चाहै थां जो पाछले पाउ की लात लगावे | सो हाथी के फीरते पहैली महैमंद अमी षाजी छुरी दोइ हाथी कै ओर मारी | सो हाथी चीस मांरी आगां नै भागी गयो अर नवाब महैमद अमी षाजी नै पालकी मै डाली अर डेरै ले आयां | सो माथा मै वा बावा हाथ मै जंषम आइ हौ जीव जीवता बच्या | जब यां षबरी पातसाहजी सौ अरज पहुची तब पातसाहजी फुरमाया जो हमारा हाथी (--) जीना उर मुवा तो पड़्या मरो | तब षवास षा को फुरमायां जो तुम जाइ हमारी तरफ सौ षबरी ले आवो |

श्री महारांजाजी सलामती - पातसाहजी फरासषाना का दारोगा नै फुरमाया जो सरा परदा दु-तरफां षरा करो | हम तीसरै पहैर जारती को (?) जाहीगे | तब दारोगै सरा परदा षड़ा करी अरज करी जो तयार हुवा है | तब पातसाहजी षोजे को फुरमाया जो षबरी ल्यावो जो कुण कुण उमराउ आंये है | तब षोजे नै तहैकीक करी | अरज करी जो महाबत षा आया है ओर कोइ उमराव आया नही | तब पातसाहजी फुरमाया जो महाबत षां कों हजुरी बुलाइ ल्यौह | तब महाबत षाजी हजुरी जाइ सलाम करी | तब पातसाहजी आगै बुलाइ फुरमाइ जो आगै तुम्हारा xx हमारी षुब षबरदारी राष्या करों आजी तुम्हांरा बड़ा मुजरा हुवां जो सब के पहैली आय षड़े रहे | फेरी पातसाहजी आसार मुबारक जनाने समेती पयादे ही गये अर उहा सौ उलसषाने कां नवाब महाबत षा को इनाइत कीया | फेरी साझ को दाषील दोलती षानौ हुये | तब उलस मेवै का फेरी भेज्यां अर पातसाहजी बहोत म्हेरवानी फुरमावै है अर साहीजादा अजीम सानजी भी बहोत म्हेरवानी फुरमावै है | पाचवै सातवै दीन हमेसा नवाब पातसाहजादाजी कै मुजरा-नै जाबो करै छै जी |

श्री महाराजाजी सलामती - पातसाहजी सरै असवारी साहीजादो कों वा उमरावो को फुरमायां जो हमा छाउणी रोपड़ करैगे | सब साहीजादे वा उमराउ हवैली रोपड़ मै करों | इस का नाउ हम जीहागीरपुर मुकरर कीया है अर इहा सौ साहजीहानाबाद भी नजदीक है | अर लाहोर भी नजदीक रहै है | अर दरे का मुढा (?) बंद रहैगां | पहाड़ो के रांजा गरु की मदती करी सकौगे नही | अर गरु भी पहाड़ को भाजैगां तो जाइ न सकैगां | अर पातसाहजी चाहै है जो पातसाहजादाजी हादार साहब बहादर वा रफील सहा (sic!) बहादर कों जीहानाबाद की तरफ बीदा करुं | अर महैमद करीम की साथी फोज आछी (?) दे | अर लाहोर को भेजै जी | अर नवाब रुसतम दील षां अरज करी जो मेरै ताइ गरु उपरी हुकम होय अर हजरती सतनंज उपरी छाउनी करै | सो पातसाहजी मजुर करी अर फुरमाउणा पातसाहजी का श्री जी को मालुम है जी सौ जो ठाहरैली वा ठीक पड़ेलो सो पाछा थे अरज लीषौलो जी | अर गरु का फीसाद लाहोर की तरफ बहोत है | अर लाहोर के कसबे कै ताइ आगर षा वा आगर षा का बेटा वां महैमद रफी फतुला षा का भतीजा ले रहे है नहीतर कसबा लुटी लीया होता जी |

श्री महारांजाजी सलामती - चेला पातसाही दवाब सरबराह कै वासतै भंडारी सौ वा बंदा सौ आय ताकीद करी | तब भंडारी वां बंदा चेलो को साथ ले असवार होइ नवाब महाबत षा कै डेरै गये नवाब सौ सलाम अरज कराइ तब नवाब षीलवती मै बुलाइ लीये अर राजों की हकीकती पुछी | तब हमों अरज करी जो चेले दवाब कै वासतै आये है | अर बहोत ताकीद करै है सो जो नवाब की षात्री मै आवै सो फुरमावै | तब नवाब चेलो कों बुलाइ फुरमायां जो दाम इन के कटै है सो इन के ताइ दामो की जागीर का परवाना द्यौह ये दवाब सरबराह करैगे | तब चेलो नै नवाब सौ अरज करी जो परवांना हमारै तालीकै नही हमारै ताइ दवाब सरबराह करांबा को हुकम है | तब नवाब फुरमायां जो तुम जांय हीदाइतुला षां कै ताइ कंहो | तब चेलो अरज करी जो नवाब का भी उकील बुलाया है | तब नवाब भी यही जवाब दीयां जो मेरे भी दाम कटे है | सो जागीर द्यौह मै भी दवाब सरबराह करुगां | तब नवाब दोन्यौ राजो की बेī अरजी लीषी अर स्याह कुदरतुलां कों पातसाहजादाजी कां दसकता कै वासतै सोपी है सो जो दसकत होय आवैला सो पाछा थे अरज लीषौलो जी |

श्री महारांजाधीरांज सलामती - जमा षरचं षानाजाद 3 हजुरी भेज्यां सो तीन का दाषीला अब तक हुवा नही अर हवालगीरी बंदा कै नाइ (--) है | सो मुतसदी हजुरी कानै हुकम होय जो अरज करी अर जमा षरचा को दाषीलो करांī देह जी | अर हवालगीरी षानाजाद का नाव सौ दुरी होय जी |

श्री महारांजाधीरांज सलामती - भंडारी षीवसी बंदे सौ कहां जो महारांजा अजीत स्यंघजी का मेरै नाइ परवाना आया है जो हम साभरी ताइ आवैगे अर साभरी सौ कुच तब करैगे तब पातसाहजादाजी को नीसाण काबील की मोकुफी का आवैगां | तब भंडारी वा षानाजाद आपस मै सलाह करी नवाब महाबत षाजी पासी गये | अर अरज कराइ जो कुछ षीलवती मै अरज करणी है तब नवाब षीलवती मै बुलाइ लीयां तब महारांजाजी का परवानां सब नवाब को पढायां अर सब हकीकती अरज करी तब नवाब अरजी करी अर स्याह कुदरतुला कै हवालै करी जो साहीजांदेजी का नीसाण सीताब कराइ द्यौह | तब कुदरतुला साहजादेजी के दसकत अरजी उपरी कराइ हकीम सलेम कै हवालै करी तब हकीमजी नीसाण तयार कराइ अर महारांजा अजीत स्यंघजी का नीसाण वा हसबल अमर हकीम की महोर सौ षानाजाद को सोप्या | सो हजुरी भेज्या है सो सब हकीकती अरज पहुचैली जी |

श्री महारांजाजी सलामती - राठोड़ो मै यह मजकुर हुवां जो महाराजा अजीत स्यंघजी की फोज म्हारोठ परी गइ | तब बंदै भंडारी सौ पुछ्या जो तुम्हारै क्या लीष्या आया है | तब भंडारी कहा जो मै महारांजाजी कों अरजदासती करी है जो जै मारोठ लागैगे तो मै उठी आउगां | यहा पातसाहजी सौ ओर ही भाती अरज पहुचैली | सो यह कीया कराया सब बीगड़ी जाहीगां | सो महारांजा अजीत स्यंघजी की फोज म्हारोठ कोइ जाइ नही | अर सीताब हजुरी पधारैला | सो हकीकती अरज पहुचै जी |

श्री महारांजाजी सलामती - यह मोसर बहोत षुब है जै दोन्यौ राजो का पधारणा इस उकत मै होय तो बड़ी सलाह दोलती है | अर जै गरु भाजी जाइ अथवा आइ मीलौ तो तीस पाछै x-धारणा श्री जी नै मालुम है जी | ती सौ बंदा बार बार अरज पहुचावै है जी | जो दोन्यौ रांजा ऐसे मोसर मै पधारै तो नीपट षुब हौ जी | पातसाहो (sic!) के फुरमान के वासतै बहोत पइसे षरचै है | तब नीठी हासील होइ है सो पातसाहजी नै फुरमन (sic!) महारांजा अजीत स्यंघजी नै वा श्री जी नै अजरुय म्हेरवानगी वा बंदगी वा जी सौ आप ही मरै है मती फुरमावा है | सो ऐसे उकत मै दोन्यौ राजों का पधारणा होय तो संसार मै बड़ा जस होय जी | अर जै पातसाहजी दीली जाइ तो अमर नाव होय जी | अर दीषणी मै फीसाद बहोत है | सो जै उहा को बीदा करै तो बड़ा काम होय जी | सो बंदे की तो अकली मै यह ही आवै है जो जेतै सीताब पधारै जेता ही बड़ा जस होय जी | ती सीवाइ जो षात्री मुबारक मै पसंद आवै सो जवाब बंदा नै इनायत होय जी | अर रांजा गोपाल स्यंघ भद्योड़्या नै आगौ षत इनाइत हुवा थां | सो उन को पहुचायां अर उस का जवाब लिषी गोपाल स्यंघजी बंदा को सौप्या था | सो हजुरी भेज्या है सो नजरी गुजरैलो जी | अर नवाब महाबत षा को भी षत लीषाइ हजुरी भेज्या है ती सौ सारी हकीकती अरज पहुचैली जी |

श्री महारांजाजी सलामती - अजरुय म्हेरवानी पातसाहजी नवाब महाबत षा कों फुरमायां जो लब दरीयाउ हमारा डेरा है अर च्यार्यौ तरफ जागैह की तंगी है | सो भीड़ बहोत है सो जब ताइ डेरे हमारी दरीयाव उपरी हवादार है तब ताइ तुम जाली अंदर चोकीषानै राती दीन रह्या करों | आगै तुम्हारा बाप भी रांती दीन हमारी चोकी मै हाजरी रहै तां सो तुम भी रह्या करो | सो महाबत षाजी राती दीन चोकी-षानै रहै छै जी |

श्री महारांजाजी सलामती - हजरती कुली षा दारोगौ हसत बल (?) के पातसाहजी सौ अरजी करी सो ती की नकल हजुरी भेजी छै ती सौ सारी हकीकती अरज पहुचैली जी |

मीती जेठ बदी 5 संवत 1768 |

मुकाम नंदी सतलंज |||||


श्री महारांजाजी सलामती - अनोप स्यंघ सीसोद्यौ राजा राइ स्यंघ को बेटो तोड़ावाला जो मनसबदार पातसाही छो सो मनसब तो बहाल छौ | अर जागीर न पाइ छी अर अर परगनो टोडो इन सौ तगीर करी अर राणा परताप स्यंघजी नै राणाजी का भाइ ने दीयो छौ सो अनोप स्यंघजी आपणी बेटी रफीलासा का बेटां नै देणी कबुल करी ती उपरी तोडा को तप राजमहैल को देणे कबुल कीयो अर परताप स्यंघ सौ तगीर कह्यौ अर गुरजबरदार वा चतेरा (?) उठौ भेज्या है जो उस लड़की की (-)-रती उठौ लीष ल्यावौ |

श्री रांमजी

(code language:)

श्री महारांजाजी सलामती

लसकर मै यह षबरी है जो दाउद षा बुराहानपुर आया अर दीषणो कै ताइ कहा जो तुम उजेणी घेरो सो दाउद षा के कहे सौ दीषणौ उजेणी घेरी अर दाउद षा जो पातसाही उमरावो की जागीर जो बुराहानपुर वा नोरंगा वा

दवागौ (?) का सुबा की थी सो आप मुतसरफ होय गया | महैमंद कलीच षा बहादर पातसाहजी का साला की भी जागीर मुतसरफ होय गयां | ती परी महैमद कलीच षा पातसाहजी सौ अरज करी तब पातसाहजी फुरमाया जो तुम

दाउद षा की उकील मदन मोहन था सो पहैली हीगौर-हाजरी होय गया थां | तब फेरी अरज पातसाहजी सौ पहुचाइ जो उकील तो पहैलै ही गर-हाजरी होय गय | तब पात-

-साहजी फुरमाया जो दाउद षा नाइ (?) व उमीरल उमराव का है सो पैसे उमीरल उमराव कना मागो | तब मंहंमद कलीच षा फेरी अरज करी ज्यो सब इरानी येक होय जाहीगे तब पातसाहजी फुरमाइ जो येक होयगे तो क्या करैगे | सो अब

ताइ तो उमीरल उमराव सौ बत कहाउ हुवो नही हौ | सो जो ठाहरैली सो पाछा थे अरज लीषौली जी | श्री महाराजाजी सलामती - तीनौ साहीजादे तो येक अर अजीम सानजी येक तरफ है अर ल्होड़े दोन्यौ साहीजादे दीन

दुसरै तीसरै बड़ा साहीजादा मोजदीन कै डेरै जाबो करै छै अर आपस मै मसलती करबो करै छै | सो न जाणीये क्या सबब है अर दाउद षा भी यागी-(-)- हु-वा (?) कहीये है | अर उमीरल उमराउ भी इन तीनो साहीजादौ मै

है अर दीषण की षरी हजुरी आवती ही होयली | सो बंदा नै भी इनाइत होय जी अर गरु की यह षबरी है जो चक मै है अर लषी-जंगल के जमीदारौ सौ वा पहाड़ के राजो सौ सलुक पकड़्या है अर हीदु मुसलमान नै

(uncoded text:)

सोगंध षाइ चाकर राषौ छै जी | अर लोग बहोत येक न हुवा है जी | यह षबरी लसकर मौ छै |

मीती जेठ बदी 5 संवत 1768 मुकाम नंदी सतनंज |||||