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Vakil Report 42

अरजदासती करांर मीती फागुण सुदी 12 बार सोमवार तीसरा पहैर की लीषी हजुरी भेजी है सो सारी हकीकती अरज पहुचा होयली जी

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श्री महाराजाजी सलामती - मीती चैत बदी 1 बीसपतीवार पातसाहजी साहजादा अजीम सानजी का बेटा महैमद करीम नै फुरमाइ जो तुम जाय अर महाबत षा को वा षां-

-न जमा को ले आंवों | तब माफीक हुकम डेरै जाय दोन्या भाया को ले आये अर पातसाहजी मातम का सीरोपाव बकस्या | पातसाहजादाजी हादार स्या बहादर वा रफी

सान वा जीहा साह तीनो येक होय अर नवाब उमीरल उमराव कै वासतै अरज करी जो दीवानी का सीरोपाव इन को बकसै | तब पातसाहजी जवांब

षात्री (--) दीया नही अर यह फुरमाइ जो तुम्हारी अरज मजुर होयगी | तब जीहादार स्या बहादर उमीरल उमराव कै डेरै जाय अर दीवान-गीरी

की मुबारकबादी दीइ | तब उमीरल उमराव पातसाहजी की हजुरी वाजबल अरज करी भेजी तबपातसाहजी फुरमायां अर ऐहतराज हुवे अर कही

जो इनौ नै वाजबल अरज किस के हुकम सौ दीइ | तब उमीरल उमराव इसतीफा षिदमती बकस-गीरी का दीयां तब पातसाहजी तीनों साहीजादो को

बुलाय अर फरमायां जो उमीरल उमराव क्यौ इसतीफा देता है तब | तीनौ सहीजादा (sic!) फेरी दीवानी की अरज करी जो ऐसा दिवांनगीरी कों ओर को-

-इ नही | तब पातसाहजी फुरमायां जो दीवांनगीरी हम ही करैगे दीवांन कीसु कों न करते | तब तीनों साहीजादो कों डेरों कों सीष दीइ अर पातसाहजादां

अजीम सान बहादर को बुलायां अर मसल्हती करी जो दीवान कीस को कीया चाहीये | तब साहीजादैजी अरज करी जो सब बंदे पातसाही

हैं तीस को षात्री मुबारक मै पसंद आवै तीस को फुरमावै | तब पातसाहजी फुरमाया जो तीनौ साहीजादे उमीरल उमराव कै वासतै कहैं हैं सो दीवानी

तो हमारी षात्री मै आवैगी ती सै फुरमांवैगे पणी तुम भी समझी कै अरज करो | तब साहीजादैजी अरज करी जो मै नाव कीसु का ले सकता नही जीसै षात्री

मुबारक मै पसंद आवै ती सै फुरमावै तिनो भाइ जीस बात मै राजी रहै सो कीया चाहीये अर मै गुलाम हुं मेरै ताइ हजरती की वां भाया की रजाबंदी दरकार

है | ओर कीसु सौ मुतलब नही | श्री महाराजाधीराज सलामती - साहजादै अजीम सान नवाब महाबत षा का बड़ा पछ कीयां अर बाजी काइम रांषी

अर पातसाहजी सौ यही अरज करी जो षात्री मुबारक मै आवै ती सौ दीवान करै | तब पातसाहजी षीलवती मै नवांब महाबत षांजी की बहोत दीलासां

करी अर कोइ दीन आधा काढणै कै वासतै कचैहड़ी पातसाही नवाब षान षाना कै डेरै बड़ी होय थी सो मगाय अर जाल्या अंदरी बड़ी कराइ जी | अर उमीरल

उमराव कै वासतै साहजादा रफील सानजी कों फुरमायां जो तुम जाय अर उमीरल उमराव को डेरै सौ ले आवों | हम उम्न को अजरुय म्हेरवानी सीरोपाव बकसैगे

तब माफीक हुकम साहजादोजी उमीरल उमराव कै डेरै जाय अर ले आयां तब जाल्या अंदर आये अर पातसाहजी उमीरल उमराव को आता देष्यां तब दरबार

सौ उठी षड़े रहे अर सीरोपाव दीया नही | श्री महाराजाजी सलामती - मालुम यो होय है जो अजीम सान महाबत षा कों दीवांन करावैगां पणी कोइ दीन

की ढील है च्यार्यौ साहीजादे फेरी पातसाहजी की हजुरी आये तब पातसाहजी फुरमाइ जो हीदातुला षां इनायतुला षा का बेटे कों नीयाबती दीवानी

का सीरोपाव द्यौह ज्यौ काल्ही सौ कचैहड़ी बैठी काम चलावै जब तक दीवानी कीसु कों फुरमावै जब तक हमारे हुकम माफीक काम चलावैं सो तपसीलवां-

-र हकीकती दर्बार की वांकां की फरद सौ अरज पहुचैली जी | अर नवाब महाबत षाजी नै वा षान जमाजी नै सब माल नवांब षान षांना का माफ कीयां

हाथी केतेक सरकार पातसाही मै लीया जी | अर सुबे सु बे को परवानां हुवा जो नवांब की हवैली वां माल सौ मुजाइम न होयं | मीती चैत बदी 3 सनीसर-

-वार नवाब महांबत षाजी माफीक सलाह साहजादां अजीम सानजी की पातसाहजी सौ अरज करी जो षांन षाना की सलाह सौ दोन्यौ रांजा ह-

-जुरी आये थे अर अबै पीर गुलाम का वाका हुवां न जाणीये इस बात सौ उन के मन मै उसवास होयं | तब पातसाहजी वा साहीजादैजी फुरमायां

जो उन को फुरमान तयार कराय भेजो जो षात्री आपणी हर भाती जमा राषी सीताब हजुरी आवै सो फुरमान तयार होय है सो तयार होयगां

तब हजुरी पहुचैगा जी अर नवांब महांबत षाजी षत बंदा कै हवालै कीया थां सो हजुरी भेज्या है सो नजरी गुजरैगा जी | सो जवाब सीताब इनायत हो-

य जी | अर रुसतम दील का षत कै वांसतै आगै अरज लीषी थी सो षत बेटा हुवा का मुबारकबाद को सीताब इनायत होय जी | अर पहैली नवाब महा-

-बत षाजी वा षान जमाजी नै षत पुरसे का इनायत होय जी | श्री महाराजाधीराज सलामती - पातसाहजी दोन्यौं राजों को फुरमान बहोत मेहरवानी का तां-

-कीद सौ लीषया है सो तीस का सबब यह है जो तीनो साहीजादे तो येक होय गये है अर पातसाहजी अर अजीम सानजी येक त्रफ है | सो साहजादां

तीना की नजरी फीसाद उपरी है | पातसाहजी जाणते है जो इन राजों सौ हम्हों नीवांजसी करी है अर ये हमारे है सो ऐसे उम्कत मै आय पहुचै तो

अजीम की कुवती बंधै | श्री महारांजाजी सलामती - गरु का तो मोसर आगै हाथ सौ गयां फेरी श्री महाराजाजी का तालां सौ यह मोसर आय बाज षाया है सो इस

भी मोसर सीताब पधारै तो सलाह दोलती है | अर साहजादै अजीम सानजी भी बंदा सौ रु-ब-रुह फुरमाया जो रांजों को ताकीद लीषौ जो सीताब हजुरी आवैं

सो जेता सीताब आवैगेजेता हम भला मानैगे अर नवाब महाबत षाजी तो यो कहैते है जो बीना रांजो कै आयां हमारी बाजी जाती है सो जै राजा आये होते तो हमारी

बाजी क्यौ बीगड़ती ती सौ जै अबै भी सीताब आवै तो माहा की बाजी ज्यौ की ज्यौ रहै | श्री महाराजाजी सलामती - दीन च्यार ताइ लगातार साहीजादाजी के गये सो अस-

वार होता मुजरां कीया तब हकीजी कहा जो कल्ही आइयो | सो मीती चैत बदी 7 बार बुधवार गजर बाजता ही हकीमजी के गये तब हकीम सलेमजी कहां जो द्योढी चली

बैठो तब द्यौढी जाय बैठे | तब पहैर दीन चढ्या हकीम दरबारी आया अर अरज करी जब भंडारी कोवा बंदा कों वा बुलाल चंद को साहीजादैजी तसबी-षाना मै

हजुरी बुलायां साहीजादैजी भाती भाती तसलै करी अर फुरमायां जो तुम दोंन्यौ राजो कों ताकीद लीषौ जो सीताब हजुरी आवैं | यहा आये पीछै सब भला होयगां | हम

तो यो जाणै थे जो दोन्यौं राजा सीताब हजुरी आवैगे अर हम होली षेलैगे | तब भंडारी वा षानाजाद अरज करी जो अबै सुका षास दसकतौ का इनायत हुवां है सो

अब सीताब ही दोन्यौ रांजां हजुरी आवैगे | तब हकीम कों फुरमाया जो तम कोल पंजा हमारां इन कै हवालै करो | श्री महाराजाधीराज सलामती - मीती चैत बदी 4

दीतवार साहीजादौं आपस मै बत कहाव षैचा षैची अमीरल उमराव वा महाबत षा कै वासतै होय ही रह्या थां | साझ कै दरबार च्यार्यौ साहीजादे पातसाहजी

की हजुरी आये थे सो पातसाहजी दरबार सौ उठे | तब तीनो साहीजादों कों डेरों कों बीदा कीये अर साहीजादा अजीम सानजी हजुरी ही रहे घड़ी दोय राती गये तो बषाने के हजा-

-री आपस म (sic!) लड़े अर दोन्यौ त्रफ सौ बंदुकै चली | तब बाजार मै हुल पड़्यां जो तीनो साहीजादे वा उमीरल उमराव महाबत षा वा अजीम के मारणे को चढी आये | सो सारे लसक-

-र मै असवारी की तयारी होय गइ जी | पहैर राती गये ताइ गहै मै गहै मै बहोत रही जी सो च्यार पहैर राती सब की फोज धरी धरी बड़ी रही सबा हुवा या हकीकती हरकारां पात-

-साहजी सौ अरज पहुचाइ तब पातसाहजी तीनो साहीजादौं परी वा उमीरों उपरी बहोत गुसा हुये अर साहीजादों को फुरमायां जो जाली मै षवास पासवान 7 आवै ज्या-

-दा भीड़वा सीपाही आवणै न पावैं सीपाह साहीजादो कां कोइ जाली मै न छुटै | सरै असवारी सब उमरावो कों फुरमायां जो मेरे से गरीब बेटे कीसुपात साह के हुये न हो-

-हीगे | सब उमराव हरांमजादे है | हम को कुछ अरज करते है अर साहीजादों को कुछ अरज करते है | अब जो कोइ षीलाफ अरजी हम सौ वा साहीजादो को पहुचावैगां अर हमारौ

तइ जाहरी होयगी तो मै गरदनी मराउगां | कोतवाल के ताइ हुकम हुवां जो कोइ लसकर मै राती वा दीन षाली बंदुक की अवाज करै ती सै मारी डालो | उस दीन पातसाहजी बहोत

गुसा रहे अर कोइ नै कुछ अरज पहुचाइ नही दुसरै दीन साहीजादा अजीम सानजी नै अजरुय म्हेरवानगी सीरोपाव इनायत कीया जी | श्री महाराजाधीराज सलामती - पा-

-तसाहजी फुरमाया जो कोइ साहीजादों कां यह मजकुर आपणै धरी करै तो बे-मुतसब होय अर गरीब करै तो गरदनी मारों सो इस बात की हरकारो सौ ताकीद हुइ है ती

सौ येता समाचार अंकपली मै लीष्या है जी | श्री महारांजाजी सलामती - लाहोर की त्रफ गरु का सीषो का बहोत जोर है लाहोर मै मड़ी जो बाहर थी सो सब उठी सहैर मै गइ

(uncoded text:)
अर सहैर बाहरो कोइ लोग नीकसता नही | अर लाहोर सौ लसकर तांइ काफीला मै राह चलै है | अर दीषण की यह षबर है जो दीषन्यौ की फोज नरबदा उपरी आइ अर दीषण मै फीसाद बहोत है जी | मीती चैत बदी 8 बीसपतीवार दोपहैरा चालाया संबत 1767 |||||
 

श्री महाराजाधीरांज सलामती - नकल अरजदासती मुतसदी पुरा ओरंगाबाद कां बे॰ बिजै रांम वां नान्हु रांम की हजुरी सौ इनायत हुइ थी सो पहुती तीस मै मुतसद्यौ लीष्या थां जो दाउद षा सनदी मानी नही कही जो इस परी येक महोर नवांब षांन षाना ही की है अर नवांब आसफ दोला कीमहोर नही बीना दोय महोर कै परवानै अमल द्यौह नही |

श्री महांरांजांधीरांज सलामती - बंदै तो सब परवानें दु-महोरी पुरो के कराय भेजे अर यह बड़ा अचीरज है जो इक-महोरी कीस भाती होय गये | असलि परवांना श्रीजी की हजुरी होयगां तथा नकल होयगी | सो मुतसदी हजुरी कानै हुकम होय जो देषै अर नवाब षांण षांना का तो वाका हुवां अर दीवान कोइ मुकरर नही अर नवाब उमीरल उमरांव वां हीदातुला नायब दीवानी कै सनधी की रजु करु तो वै सब सनदी झुठी होय जाय अर षरच येता मांगै जो क्यौ अरज पहुचाबा मै आवै नंही जी | नवाब उमीरल उमराव कै जगजीवन दास उकील हाथी तलास कराउगां सो जै षत हाथी आंवैगा तो सीताब हजुरि भेजुगा जी | अर अरजदासती की नकल मै लीष्या थां जो बीजै स्यंघजी की त्रफ कन्हीरांम बाण्यौ वां म्हे कुभार थां सो वा म्हानै तो पुरां माहीसौ कढाय दीयां अर बीजै स्यंघजी का मुतसदी फेरीपुरां की सनदी करावै है |

श्री महारांजाजी सलामती - बंदै तो जीह भाती पुरा की सनदी करांइ थी सो दोलत स्यंघजी जाणै (?) है सो अरज करि ही होयली जी | नवांब षांन षांना सा (?) दीवान होय अर मुसां बंदा सौ प्यार करै तब जाय उसी सनदी होय जी | न जाणीये सरकांर कां मुतसदी कैसे गये है जो बीजै स्यंघजी का ब्याण्यां वा कुभांर सनदी दु-महोरी ना-मजुर करावैं अर बीजै स्यंघजी की सनदी होय सो इस बात कां बंदे कों बड़ा अचीरज है जी |

श्री महाराजाजी सलांमती - परवाना फारसी 5 करार तौ॰ 11 महोर मका लीष्या इनायत बंदां कै नाय हुवा थां सौ तौर॰ 18 सहैर मजकुर माफीक अवादै आय पहुता जी | षांनाजाद सरफरांज हुवां माथै चढाय लीया जी | हुकम आया जो परगना देवती साचाहेड़ी के काम की बहोत कोसीस राषीयो जो वह परगना उतन का है सो बंदै आगै अरजदासती करी है सो अरज पहुची होयली जी अर अबै भी बंदा कै इस ही बात का कोसीस है जी | जीहा तांइ बंदा कां बस होयगां जीहा ताइ ओर भाती होणै न द्यौहगा जी | श्रीजी कां सीताब पधारणा होयगां तो सब मुतलब भली भाती सरंजाम होयगे जी | हुकम आया जो तुम बार बार लीषौ हों जो लुण षाणै की सरïत सौ हकीकती दरबार की सब अरज पहुचाइ चाहीये सो तकसीर माफ होय सो येता उसवास वा उजर लीषणां क्या लाजम है षात्री आपणी हर भाती जमा राषी हकीकती दरबार की तपसीलवार अरज पहुचाबो कीज्यौ |

श्री महारांजाधीराम्ज सलामती - बंदा को बड़ा मुलाहीजा है जो षावदों कों दबाइ अरज लीषी ये मुबादां षात्री मुबारक गीरा होय जाय ती सौ बंदै बार वांर उजर षाइ लीषी है सो अबै माफीक हुकम के अमल करुगा जी | हुकम आया जों बजनसी हकीम सलेम को गुजरानीयो सो बंदा माफीक हुकम कै अमल करैगा जी | हुकम आया अरजदासती तुम्हांरी आइ अर मुचलकां देणै की अरज लिषी थी सो अरज पहुची सो श्री सीतारांमजी कीयो तो म्हे सीताब ही हजुरी आवै है सो इस बात सो बंदा की हर भाती जमा षांत्री हुइ जी | हुकम आयां जों ओरंगाबांद कां पुरा कां मुतसद्या की अरजदासती की नकल भेजी है सो पहुची सो इस की हकीकती उपरी लीषी है सो अरज पहुचैली जी | मीती चैत बदी 5 सोमवार पातसाहजी को कुच हुवों सो सहारणपुर कै मुतसली पेसषानै षड़ो हुवो थो | तीठै पातसाहजी आय दाषील हुवां जी |

श्री महारांजाधीराज सलांमती - परगना मोजावादी की आफति का तुमवार इनायत हुवा थां सो बंदै केसरी स्यंघ कां गुमासतौ को दीषायां अर रदबदल करी सो उनो नै जवाब दीयां जो साहजादाजी कां नीसाण वा दीवानों का हसबल अमर अजमेर का दीवान वा पायबाकी कानै तयार कराया है सो वहा सौ लीष्या आवैगां सो हम मुजरां द्याहलां |

श्री महरांजाजी सलामती - हुकम आयां जो पिरोहीत स्यांमरांम को कागद गुमासता कै नाय उन्हालु की कीसती कै वासतै पांछा थे लीषाय भेजै है सो केसरी स्यंघ कां गुमासता की जमा षात्री करीयो |

श्री महारांजाजी सलामती तुमवार आवता ही वै (?) बहोत आजुररद (sic!) हुये अर केसरि स्यंघजी आपणा हाकीम वा फोजदार साहीजादाजी कां तयार कीयां तब बंदा को या षबरी पहुची | तब बंदै उन के गुमासतौ को बुलाय बहोत तसलै करी तब उनो नै कहा जो येक कीसती के पइसे अब द्यौह अर आगै कीसती ब कीसती पïसे लेहगे | तब भाती भाती उन की तसलै करी तब उनो कह्या जो तुम सौ हमांरा दावा नही अर उन्हालु मै जो तुम मुतसरफ हुये हौं हु | सो तीस कां हमै तुम माल जामीन द्यौह जो हमारे पैसो की नीसा करै अर उन्हांलु सौ ह्म हमारां अमल करी लेहगे | तब बंदा फेरी केसरी स्यंघजी कै डेरै जाय रदबदल करी तब उनो कहां जो येक कीसती का पइसां बीनां हमारा आधा नीसरै नही | सो स्यामरामजी का गुमासते कों हमारे हवालै करों हम पातसाही मै ले जाय अर पइसे समझी लेहगे | तब बंदै देष्यां जो साहुकारों कों पातसाही मै भेज्यां अदब उघड़ी (?) जाय है | तब जरुर जाणी गहैणा सरकार कां बंदा पासी थां सो रु॰ 5140 बेइ साहुकारा कै गहैणै धरी अर उन की नीसा करी जी | सो ब्याज साहुकारां का बढै है सो षात्रीमुबारक मै पसंद आवै अर परगना सरकार मै राषणा होय तो पिरोहीत स्यामराम का लीष्यां तथा हुडी सीताब भेजै जी |

श्री महारांजाजी सलामती  नवाब महाबत षाजी नै इजाफा दोय हजार असवार वा तीस लाष दाम इनाम सरफराज कीये जी | अर तरवारी षास बकसी अर हुकम कीया जो रहैकला बारी कै भीतरी दसतुर बाप के चोकी दीया करों | ओर हकीकती सारी दरबार की वाका की फरद सौ सारी तपसीलवार अरज पहुचैली जी |

श्री महारांजाधीरांज सलामती - इजाफा का मुबारकबाद की नजरी नवांब महाबत षाजी की मीती चैत बदी 6 मंगलवार नै करी जी | षानाजाद नजरी करी महोर रुपया 2//7/ (i.e. 2 mohar and 7 rupees) भंडारी वा गुलाल चंद वा दोदरांज भी नजरी करी जी | तब नवाब बंदा को वा भंडारी कों पासी ले बैठांयां अर बार बार फुरमांयां जो बड़े नवांब नै दोन्यौ राजों सौं दसतगीरी करी थी सो आषरी पहुचाइ | अबै तुम दोन्यौ रांजों को लीषौ जो सीताब हजुरी आय हमारी दसतगीरी करै | जेते सीताब आवै जेती ही हमारी बाजी कायम रहै हैं | तब भंडारी वा षानाजाद अरज करी जो बीस दीन मै दोन्यौ रांजा हजुरी आंवै हैं | तब भंडारी को वां बंदा को सीष दीइ तब फेरी भी यही बुलाय ओरु फुरमाया जी |

श्री महाराजाधीरांज सलामती - हजुरी सौ हुकम आया था जो रुपया 2500 परगना मोजावादी महीसौ सुजायत षा लीये अर केतेक गावों की जरायती उजाड़ी सो थे केसरी स्यंघजी का गुमासता सौ रदबदल कीज्यौ सो माफीक हुकम केसरी स्यंघ का गुमासता नै बुलाय रदबदल करी | तब वाजाय साहीजादा रफील सानजी सौ अरज करी तब साहीजादैजी उकील सुजायत षां कानै पकड़ाय मगयां | तब उनै अरज करी जो ये षीलाफ कहैते है जै सुजायत षा नै पेसकस लीइ है अर गावा की जरायती उजाड़ी है सो काजी की मोहोर सौ वा चोधरी कानुगो वाका दसकता का तुमवार मगावों अर मै भी सुजायत षा कना जवाब मगाउ हुं सो मुतसदी हजुरी कांनै हुकम होय जो तुमवार (------------------) -सौ वा चोधरी कानुगो वाका दसकता सौ बंदा पासी भेजै जी |

श्री महारांजाजी सलामती - लाल स्यंघ उदावत नै भंडारीजी पातसाहजादां (------------------) अजीत स्यंघजी की हजुरी नै बीदा करायां (---------------------------------) कागद थे बेणीरांम हाथी चलावो म्हा का साथ मै सीताब पहुचैलां सो साहीजादाजी कोसीस बेणीरांम म्हाजन (?) हाथी भेज्या है जी |

श्री महारांजाजी सलामती - येक चेला की बहु अंदर महैल पातसाहजी कै जाय थी सो उस सौ पातसाहजी फुरमायां जो तु अपणे षसम कों तलाक दे | हम तेरे ताइ अपणे नीकाह मै लेहगे | तब उनै अपणे षसम को तलाक दीवाइ अर पातसाहजी उसै नीका पढाया जी | अर उस चेले को येक (-------------------------------------------------------------------------------------------------------)