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Vakil Report 34

जी

सिधि श्री महाराजधिराज महाराजाजी श्री       चरन कुमलानु षानाजाद षाक पाय पंचोली जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी का सीष स्माचार सासता परसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी माइत है धणी है | श्री परमेसुरजी री जायगां है | म्हे श्री म्हाराजाजी रा षानाजाद बंदा हां जी | श्री पातिस्याहजी श्री महाराजाजी सु महरबान है | श्री महाराजाजी सुष पावजो जी | पान गंगाजल आरोगण रा घणा जतन फुरमावजो जी |

| श्री महाराजाजी सलांमत - परवानो श्री महाराजाजी को इनायत हुवो सु माथै चढाय लीयो सरफराजी व षांनैजाद नवाजी हुइ जी |

| श्री महाराजाजी सलांमत - अमीरल उमराव का नाव को षत दीवान भीषारी दासजी षानाजाद नै दीयो सु गूजरानो इषलास बोहार जाहर कीयो नवाब बोहोत महरबानगी फुरमाइं जवाब को षत लिष दीयो है सु हजूर मोकलो है सु नजर गूजरसी जी | अर नवाब श्री महाराजाजी का पधारबा की घणी ताकीद करी जु अब म्हाराज अठै कही कै भरोसै न रहै सीताब आंवै जी |

श्री महाराजाजी सलांमत - नवाब षान षानाजी नै आजार बोहत थो अबै तो फुरसत है राजा उदोत सिघजी की साथ षानाजाद अंदर गयो थो सु थोड़ी सी मोढा कै सोइ है पण आगा बीचै फुरसत है जी |

श्री महाराजाजी सलांमत - गुरु की अरज पोहोची जु उठा सै नीसरो अर षबर है भुटंत की तरफ गयो पण चोकस न्ही कठी नै गयो है चोकस हुवा अरजदासत करसु रजी गुरू कै वासतै पीजरो बणायो है ती मै तलै उपर चारु चारु तरफ षीला आदमी रहै ती कै सारी तरफ सुं भैजी इ भात को बणो है सु गुलाल बाड़ कै बारै गाडा उप्र धरो है |

श्री महाराजाजी सलांमत - बादस्याजादो अजीमुसांजी मवाफक हुकम कै नवाब षान षानाजी का देषबा कै वासतै गया था जी |

| श्री महाराजाजी सलांमत - बादस्याहजादो अजीमुसांजी की जुबानी हकीम व नवाब षान षानाजी व महाबत षांजी बोहोत ताकीद कर कह है जु पातिस्याहजी श्री महाराजाजी का पधारबा कै वासतै बार बार य्याही कह है जु हमूं षान व हमुं कोल व हमुं अहद ऐही तीनू बातां है ती सु सीताब आंवै | श्री महाराजाजी सलांमत - षानाजाद आगै भी पै दर पै अरजदासतां करी है अर (---) -बै भी राह षानाजादगी कै अरज लीषी है जु महाराजाजी सीताब पधारजो जी | पधारबा की घणी ताकीद फुरमावजो जी | म्हाराज श्री अरजीत (sic!) सिघजी पधारे है तो भलां ही है न्ही तर श्री महाराजाजी बेगा पधारजो जी | अर महाराज का पधारबा कै वासतै दीवान भीषारी दासजी नै नवाब फरमायौ है सु य्यां की अरजदासत सै जाहर होसी जी |

| श्री महाराजाजी सलांमत - षानैजाद आप की परेसानी कठाइं लीषै इ दरबार को वकील सदा उमरा इं भात रहां है अर षानाजाद भी मेघराज भी सदा वै ही भात रहा पण य्या दीना मै आठ महीना हुवा महीना पायां ती सु नीपट परेस्यान है सु म्हाराज तो इस रहै य्य-(---) (-)-जबनी षानाजाद काही अय्यां मां की है ती सु उमैदवार हु सीताब षबर लीजो जी | दोय हजार की तनषा को परवानो लाहोर मोकलो है जवाब आय्या अरजसादत (sic!) करसु जी | मी॰ फागुण सुदि 2 सं॰ 1767 |||||