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Vakil Report 275

||:|| ||:|| श्री गोपालजी सत है जी

|| श्री महाराजधिराज महाराजाजी श्री

|| मीरजा राजा सवाइ जै सिघजी

||:|| सिंधिं श्री महाराजधिराज महाराजाजी श्री | चरन-कमलानु बंदै षानाजाद पंचोली जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी का सीष स्माचार सासता परसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी साहब है धणी है | श्री परमेसुरजी की जायगां है | म्हे षानाजाद बंदा हां | गंगाजल पान आरोगण रा घणा जतन फरमावजो जी | श्री महाराजाजी सु श्री पातसाहजी घणां महरबान है | श्री महाराजाजी घणो सुष पावजो जी |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - दरबार का स्माचार आगै तफसीलवार पै दर पै अरजदासत कीया है | तां सै अरज पोहोती होसी जी |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - श्रीजी को षत नवाब अमीरुल अमराव (sic!) नै आयो | सु मीती चैत्र बदि 7 चोधरी जगराम षानाजाद नै दीयो | षानाजाद नवाब नै गुजरानो ती मै लिषो है जु आगै हुकम आयो थो जु बुरहानपुर सै षजानो आवै है ती नै भली भांत सै लाजो सु फोज नरबदा ताइं भेजी थी सु षजानो तो गनीम का सबब सै बुरहानपुर का कीला मै दाषल कीयो ती सु फोज पाछी फीर आइं अर श्रीजी अहीरां की तंबीह कै वासतै कुच फरमायो | ती सु हरकारां की जुबानी अरज पोहोती जु श्रीजी वै तरफ नै कुच फरमायो अर फोज श्रीजी की नरबदा गइ थी | सु फीर आइं ती सु दषणी गनीम षीरां हुवो तब नवाब अमीरुल उमराव ठाकुर स्याम सिघजी व साह अणदराम व चोधरी जगराम व षानाजाद सै बोहोत फरमाइ जु श्रीजी की फोज फीर आबा सै गनीम बोहोत षीरां हुवो ती सु अबै भी श्रीजी नै लिषो जु सीताब फोज भेजै अर गनीम नै वार उतरबा न दे | इ वासतै नवाब आप की मोहर सै श्रीजी नै हसबल हुकम भेजो है |

श्रीजी सलांमत - षानाजाद तो आगै भी अरजदांसतां करी है जु पातिस्याहजी की व नवाब की अबार दषणी आवै तो वां की तंबीह करबा मै ही है ओर गनीमां की तंबीह नै न पधारजे | अबै भी सलाह दोलत आवै तो दषणी गनीमां सै षात्र ज्मां फरमाय पछै ओर गनीमां नै तंबीह फरमावजो जी |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - गुरु की हकीकत आगै तो षानाजाद अरजदासत करी है जु गुरु परगना कलानोर व बटाला की तरफ फीसाद घणो कीयो है | अर अबदुलस्मद षां भटां की तंबीह नै गयो है ती सु लाहोर सहर का भी लोग दहसत षाय है ती उपर हुकम हुवो अफरासय्याब षाम् जाय तंबीह करै अर अबदुलसमद षां सीताब आवै | अबार फेर पै दर पै अरज हुइं जु गुरु घणो फीसाद कीयो है अर कसबा व गाव लुटै है चाहै है सहर आवै अर अबदुसमद षां भटां की तंबीह नै गयो थो सु तीस कोस लाहोर सै आयो है ती सु हुकम हुवो अफरासय्याब षां की साथ मुजफर षां षान दोरां कोइ व राजा उंदोत सिघ वोडछा (?) को ज्मीदार व राव रामचंद बुंदेलो व कलाण संघ भदोड़ीयो व वगहरै फोज जाय तंबीह करै | सु फोज को तुमार तय्यार होय है रुषसत हुवां अरजदासत करसु जी |

श्री महाराजाजी सलांमत - मवाफक हुकम कै तोजीह आगै हजुर भेजी है सु नजर गुजरी होसी | अबै अहतीय्यात कै वासतै फेर हजुर भेजी है | सु नजर गुजरसी जी |

श्रीजी सलांमत - लांगी करोला कै वासतै आगै भी नवाब सै अरज करी थी अर अबार फेर ठाकुर स्यांम सिघजी अरज करी पण नवाब वो ही जवाब कीयो जु थे सुबैदार हो चाहो जी बात अमल करो अर दागनामा कै वासतै दाम राषा है सु बीरादरी को दागनामो आया दाम देसी | सु दसतक दाग की तय्यार कराउ हु सीताब हजुर भेजसुं जी |
मी॰ चैत्र बदि 10 सं॰|| 1771 |||||