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Vakil Report 134

||:|| स्वस्ति श्री महाराजाधिराज महाराज श्री चरण कमलान सदा सेवग षानांजाद षाक पाव पचोली जगजीवन दास लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का स्मांचार श्री महाराजाजी रा तेज प्रताप कर भला छै जी | श्री महाराजाजी रा सीष स्मांचार सासता प्रसाद करावजो जी | श्रीजी घंणी छै साहीब छै | श्री परमेसुरजी री जाइगा छै जी | म्हे श्री महाराजाजी रा षांनाजाद बंदा छं जी | श्री पातसाहजी श्रीजी से मीहरबांन छै ती को श्री जी सुष पावजो जी | पांन गंगाजल आरोगण रा घंणा जतन फुरमावजो जी |

| अप्रंच श्री महाराजाजी को परवानो आयो सु माथे चढाइ लीयो तमाम सरफराजी व बंद नवाजी हुइ जी |

| मसरुत की व बरादरी की जागीर (----) भंडारीजी की सलाह मवाफक लीया अर बाकी जुज तलब रही छै सु भी यां की सलाह मवाफक लेसां जी |

| हुकम आयो ज्मां षरच की व दवाब की बरावरद की हकीकत ही दवी परवांनां सुं मालुम होसी सु हीदवी परवांनो इ जोड़ी की साथ पोहचो न्ही पोहचसी तब जवाब अरजदासत मे करसुं जी | पण षांनांजाद का बेटा को ब्याह फागुण मै है आज सुं ऐक महीनो ब्याह को रहो है सब सरम श्रीजी नै है अर परगनां बोहरी के वासते साह नेनसुषजी लीषो छै जु इजारा को पटो कराइ भेजजो अर माल जामनी अठै आमल छै ती की नीसां कर दे अमल करसं कि हजुर से आदमी मातबर पटो ले आवे ती की म्हे अठे माल जामनी की नीसां कर दे पटो लेसां | सु श्री महाराजाजी सलामत - बोहरी को परगनो नरुका अनोप संघ की सुपरद मै तथा तनषाह मै छै अर पातसाहजादाजी दे घणां मुसाहीबा मै छै जु दो आमल मातबर उठै नही अर अठा सै इ कांम के वासते आदमी भेजै सु बण न आवै अर पातो ब-मुजब हुकम के पातसाहजादाजी का मुतसदीया सै रदबदल कर इजारो ठहरायो थो सु अब हजुर से माल जामनी साहुकार की आवै अर वां का षरच की हुडी आवै तो पटो रबी से लीषाइ हजुर भेजां जी |

| ओर श्रीजी सलामत - मुतसदी पातसाही दरबार का हमेसां सरकार सुं दर-माहा पाइ आया छै सु षानांजाद से तलब करे छै अर वां ही सुं काम रात दीन छै अर परीछत राय की मोहर सुं फरद या-का महीना वगेरे की छै ती की नकल षानाजाद आगे हजुर लीष भेजी है अर इ की नकल दीवान भीषारी दासजी भी ले हजुर भेजी है जी | सु नजर गुजरसी जी | उमेदवार छां जु दवाब की तनषाह की साथ (-) यो भी हुकम आवै तो मवाफीक दसतुर के पायां जाइ तनषाह या जरुर कर कर दीजे जी

| ओर पातसाही दरबार का चोबदार तथा दीवांन आला की कचहरी वगेरै चोबदार हमेसां इनाम दर-माहा पाइ आया छै अर हमेसां कचहरी दरबार जाणो हमेस यां ही लोगां से काम ती सै उमेदवार छुं जु हुकम आवै तो मवाफीक दसतुर के हमेसां पायो करै जी | ती की तनषाह आवे अर पयादां बीनां दीयां तो कही दरबार मे जाय सकजे न्ही पहली चोबदार षीदमत-गारां ने दीजे तब जाण दै |

| ओर षांनजाद का व लवाजमां का दर-माहा की तनषाह साहजहानाबाद व लाहोर व पेसोर का पुरा उपर आइ सु माथे चढाइ ली सरफराजी व बम्द नवाजी हुइ जी | मवाफीक हुकम के दीवानी परवानो पुरा का हवालदारां नै दीषायो ती पर लाहोर का पुरा का हवालदारां जाहर करी जु बारा सै पचास रुपया इ बरस का हासील मै रबी सु धाबा की छै उस् सावण भादवा सुधा भर देसां अर पेसोर का पुरा का हवालदार षीदमत को इसतेफा लीष दीयो छै जु उठै ऐक दाम हासील नही अर जहानाबाद का पुरा का हवालदार नै हकीकत लीषी छै जो उठा से स्माचार आवसी सु अरजदासत करसुं जी ती सु उमेदवार छुं जु हमेसां दवाब की तनषाह मे सुं पाइ आया छां ती मवाफीक पायां जाउ जी |

| ओर पातसाही दरबार को ज्मा षरच आगे हजुर भेजो है सु नजर मुबारक गुजरो ही होसी जी ती सुं उमेदवार छुं जु ज्मां षरच मे साहुकारां का षत का रुपया ज्मा छै सु इनायत होइ जु साहुकारा ने दे फारग होयां जी |

ओर षानाजाद का बेटा को कणु(?)-x-(-ा) (?) मै ब्याह छै सो उमेदवार छुं जु कुछ सरकार से मसदि इनायत होइ जी |

| बोहरी के वासते साहजादा का मुतसदीयां सु बोहत रदबदल हुइ वां कही म्हां को आमल उठे न्ही परगनो अनुप सिंघ ने तनषाह छे तीन से सुवांरां सुं चाकरी करै छै थे रात दीन बजद छौ अर नकद टका साहुकार मोल जामन दो-हो ती सुं कबुल करां हां जो थां ने लेणी हे तो माल जामन दौ ऐक कीसत पहली षजाने भरो अर पटो लो अर आदमी तो भेजण को साहजादां के दसतुर न्ही ती सुं श्रीजी सलामत - यो परगनो लेणो हे तो साहुकार की जामनी भेज दीजो ऐक कीसत का रुपया दै अर मुतसदीयां का बाइस हजार भेजजै अर षरीफ सुं लीजै तो तुमार मवाफक जु लीयो होय सु भर लीजे जी | अर रबी सुं लीजेलो तो पच दु के हीसाब लेसी दोय हीसाब रीफती नही सा-र-(-)-यो ठहरे हे ती सुं जामनी व ऐक कीसत का रुपया सीताब आवे अर मुतसदीयां को षरच आवे |

| हुकम आयो बसवे फोज ज्मां होय है जेसो बीकरे हे थां ने तंबीह होसी जो नरुकां को कोइ फीरयाद करे तो षबरदार रहजो | श्रीजी सलांमत - श्रीजी तो सीताब कुच कर अहमदाबाद गुहारे पधारजो ढील मत करो पांच दीन सुं जादा आंबेर मे मत रहो कुच कर वा के दाषल कराजो अर पाछे फोज मुलक को बंदबसत करसी इसी न्होय ज श्रीजी बंदबसत के वासते मुकामात करे अर पातिसाह ढील सुण एतराजी करे साहजादो झुठो पड़े सु मत करो जी | साह कुदरतुलाजी कही हे मै साहजादाजी सुं बजद होय पांच दीन की कहाइ है अब म्हारो बचन रहे सु कीजो |

| पातिसाहजी कसमीर की सेर ने कुच करसी जरीदा षबर हे बुनगाह अठे रहे ऐक दोय साहजादा साथ चले ऐक दोय बुनगाह पर रहै कचहड़ी सब अठे रहेली सु षांनांजाद तो दरबार मे साथ पातिसाहजी की चालसी ऐक आदमी मातबर अठे चाहजे सु कचहड़ीयां सुं षबरदार रहै दवाब अठे रहे सु सरबराह करे ती सुं षांनांजाद कोज पाइ धन रांम आगे मुलाज्मत भी करी हे दरबार मे बाकफ हे सु कचहड़ी-यां की षबरदारी ने व अठे दवाब का घोड़ा हाथी रहसी ती की सरबराही ने अठे राषजा सुं जी ती सुं उमेदवार हुं कुछ तसदक कर पावे अर वे के नांव सरफराजी को परवांनो इनायत होय | श्रीजी सलांमत - या सफर बरस देस बरस की होसी ती सुं फहमीदा आदमी राषणो जरुर (---------------------)