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Arzdasht 433

| श्री मीरजा राजा सवाइं जे संघजी

||:|| सिंधिं श्री महाराजधिराज महाराज श्री चरन कमलानु षानाजाद षाक पाय पंचोली जगजीवन दास लिषतं | मुजरो बंदीगी (sic!) अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी का सीष स्माचार सासता परसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी साहब है धणी है | श्री परमेसुरजी री जायगां है | म्हे षानाजाद बंदा हां | गंगाजल पान आरोगण रा घणा जतन फुरमावजो जी | श्री पातिस्याहजी श्री महाराजाजी सै महरबान है | श्री महाराजाजी घणो सुष पावजो जी |

| श्री महाराजाजी सलांमत - दरबार का स्माचारां की अरजदासत आगै पै दर पै करी है तां सै अरज पोहोती होसी जी |

| श्री महाराज सलांमत - मीती बैसाष बदि 5 बुधवार नवाब अमीरुल उमराव को षत नवाब कुतबुल मुलक नै डाक मै आयो जु आगै अजीत संघजी का भागां की अरजदासत व नजर भेजी थी सु जी घड़ी अजीत संघजी पाछा जाण नै सुवार हुवा सु वै ही बीरां हरकारा षबर लाया ती ही बीरां अरजदासत हजुर नै करी थी पछै य्या षबर आइं जु आठ कोस पाछा जाय डेरा कीया सु उठा सै फेर भंडारी नै भेजो जु म्हांरा मन मै सक पड़ो ती सै म्हे तो मीलबा नै-न आवा अर म्हांरा बेटा नै हजुर भेजसां सु य्या रदबल भंडारी करबा नै आयो थो सु भंडारी वगहरै तीन सीरदारां नै नवाब केद कीय्या अर भंडारी की साथ का लोग था जां सै बोला चाली हुइं सु आदमी कीतरायक काम आया कीतरायक जषमी हुवा सु य्या बडै नवाब पातिस्याहजी सै अरज करी अर नवाब कुतबुल मुल्क दोय हजार सुवार आप का षानगी ओर नवाब अमीरुल उमराव कनै भेजण नै तयार कीया है सु भेजसी जी |

| श्री महाराजाजी सलांमत - मीर जुमलै व षान दोरां पातिस्याहजी सै अरज की जु अमीरुल उमराव कनै चालीस पचास हजार सुवार है जो अजीत संघजी नै तंबीह कीयो चाहता तो तंबीह करता अर बंदगी मै लायो चाहता तो बंदगी मै लाता पण अजीत संघजी उठ गया है सु अमीरुल उमराव की इसारत मै ही उठ गया है या मोहम कोह नै लंग (?) कर दीषावै है सु पातिस्याहजी तो सुण अर चुप होय रहा था पण य्या षबर नवाब कुतबुल मुलक नै पोहोची तब कुतबुल मुलक पातिस्याहजी की मा सै अरज कराइं जु म्हे षानाजाद बंदा हां अर हजुर मै दोनु भाइ था तद जो पातिस्याहजी सै झुठ सांच अरज करै था सु घर को झगड़ो थो जु बणै थी जु चली जाय थी अर अबै भाइं म्हारो उठै मरबा-नै गयो है अर अठै इ भात की झुठी अरजां होय है जो म्हां को एतबार न है तो म्हां की साथ की फोज मै पचीस लाष रुपीय्या दीय्या है सु म्हां दोना भाया कनै अफुटा (?) लीजे अर उठै जी बंदा नै षात्र मै आवै ती ने भेजजे सु पातिस्याहजी की मा पातिस्याहजी सै अरज करी पातिस्याहजी नवाब कुतबुल मुलक नै बुलाय घणी दीलासा करी अर फुरमायो य्या अरज हम सै कीसी नै न करी अर तम सै जीस नै कही है सु षीलाफ है |

| श्री महाराजाजी सलांमत - मीर जुमला को बेटो दोय हजार सुवारा सै नवाब अमीरुल उमराव की फोज को तइनात हुवो थो सु नवाब कनै गयो सु इ की साथ का लोगां जीरायत लुटी व पाय-माली करी सु अमीरुल उमराव मीर जुमला का बेटा नै बुलाय अर कहो थे म्हां कनै आया हो ती सै थां की महमानी करा हां अर रयत की पाय-माली की थी ती का रुपीय्या तेराह सै नवाब आप का घर सै मंगाय मीर जुमला का बेटा की हजुर रयत नै कीया अर कहो आगा सै थे थां की साथ का लोगां नै मन्ह करो जु कही की जीरायत न काटै सु मीर जुमला का बेटा की साथ मुगलीया फोज थी सु कहो न मानो फेर जीरायत काटी व पाय-माली करी तद रयत फेर नवाब कनै फीरयाद हुइं तद नवाब मीर जुमला का बेटा नै दीवानषाना सै उठाय दीयो अर कहो य्यां की फोज का लोग्यां नै म्हां का लसकर मै सु काढ दो जो लड़ै तो मारो सु य्या पातिस्याहजी नै अरज हुइं अर मीर जुमलै भी अरज करी जु वै षानाजाद की ही तकसीर है सु मीर जुमला का बेटा को मरातब कमी करबा कै वास्त मंगायो है जी |
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