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Arzdasht 353

|| श्री महाराजाधिराज महारा-

जाजी श्री मीरजा राजा जै सिघजी

||:|| सिंधिं श्री महाराजाधिराज महाराजाजी श्री चरण कमलानू षानांजाद षाक पाय पचोली जगजीवन दास लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का समाचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला छै | श्री महाराजाजी का सीष समाचार सासता परसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी माइत हैं धणी हैं | श्री परमेसूरजी की जायगा छै | म्हे श्री महाराजाजी का षानाजाद बंदा छां | श्री पातसाहजी श्री महाराजाजी सूं महरबान छैं | श्री महाराजाजी सूष पावजो जी | पान गंगाजल आरोगबा का घणा जतन फुरमावजो जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - सारा समाचार दरबार का आगैं अरजदासत कीया छै सू नजर मूबारक गुजरा होसी जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - श्री महाराजाजी का मनसब की जागीर मै परगनां हुवा त्यां की फरद की नकल आगैं हजुर भेजी छै सू नजर मूबारक गूजरी होसी जी | अब वां परगनां को हुकमी स्याहो बषसि का सू दीवानी मै पहोचायो तीं का नकल हजूर भेजी छै सू नजर मूबारक गुजरसी जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - स्याम सिघजी की जागीर को हुकम दीवानी दफतर मै रजू कीयो तीं की नकल हजूर भेजी छै सू नजर मूबारक गूजरसी जी | अब स्याहो लेसूं जी बिला-सरत मनसब की जागीर तो मालपूरा मै तनषूवाह होयली अर मसरूत का दामां की तनषूवाह हिडोण व बयाना महाल फोजदारी का मै होयली जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - नवाब अबदूला षाजी को कबीलो पटणा सूं बूलायो थो सू अकबराबाद तक आण पहोच्यो छै सू नवाबजी स्याम सिघजी नै कही जू राह मै जाटों का फीसाद है तूम जाय हमारे कबीले कुं ले आवो सू मी. बैसाष बदि 2 स्याम सिघजी व कन्हीराम उदावत अकबराबाद चाला जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - उदै सिघजी व सकत सिंघजी का मनसब कै वासतै पै दर पै हुकम सादर हुवा था सू माफक हुकम कै उदै सिघजी का मनसब कै वासतै अरजी लिष दी थी सू उदै सिघजी को मनसब हजारी जात सात सै सूवार हुवो परगनो षंडेलो व-रै-वा-(--) जागीर मै होसी जी | पेसकस व मोहमसाजी वां का मूतसदीयां व स्याम सिंघजी व कन्हीराम उदावत ठहराइ तीं की हकीकत वां की अरजदासत सूं अरज पहोचसी जी | अर सकत सिघजी की तरफ सूं तो अठै को-इ वां को मूतसदी नही जू रूपयां की नीसां करै तीं सुं वां नै हुकम जाय जू कहीं मातबर नै रूपयां की नीसां दे भेजै वा सरकार सूं वां की मोहमसाजी को सरंजाम आवै जू यां को मन्सब बहाल कराय जागीर को परवानो भेजूं जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - राणाजी नै बहादर साह का अहद मै महाराणा को षीताब हुवो थो सू बहाल रह्यो अर ऐक हाथी रूपा का साज सूं व ऐक घोड़ो ऐराकी सूनहरी साज सूं व ऐक घोड़ो अरबी रूपा का साज सूं व सरोपाव षासो व जीगो व मोतीयां की माला व तरवार मूरसा की इनायत हुइ जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - पातसाहजी असट-धात सू तूलाव बैठा तीं की सारा अमीरां नजर करी षबर छै जू तारीष सतरवीं रबील अवल नै पातसाहजी जसन फरमावैं जी |

मी॰ बैसाष बदि 2 सबत 1769 |||||

||:|| श्री गोफलजी (sic!) सहाय छै जी

||:|| श्री महाराजाधिराज सलामत - नूसरत याड़ षा का बहाली का परवानां की नकल वैं का वकील की मोहर सू हजूर भजी छै सू नजर मूबारक गूजरसी जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - तूलाराम नवाब का रूपया कै वासतै ताकीद करै छै जी |||||