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Arzdasht 304

श्री महांराजाधीरांज सलामती

भंडारी षीवसी मीती माह सुदी 5 सुकरवार साहीजादा अजीम सानजी की मुलाजमती करी नवाब महांबत षाजी वा स्याह कुदरतुलां की लार गया थां सो साहीजांदैजी बहोत म्हेरवानगी फुरमाइ अर दोन्यौ रांजो की हकीकती पुछी तब भंडारी भली भाती अरज करी अर भंडारी सौ पुछी जो रांजा कहा है तब भंडारी अरज करी जो दोन्यौं रांजा सीताब हजुरि आवैगे पाछै मंहाबत षाजी साहीजादाजी सौ रुषसद हुये अर भंडारी को भी साथी ही बीदां करांयां तब दोढी परै आयां तब नवांब बतोड़े रै पधार्या अर स्याह कुदरतुला को फुरमा जो इन को बड़े नवाब कै ले जावै तब भंडारी वा बंदा नवाब षांन सांना कै गयां तब नवाब षांन षांन भंडारी सै फुरमायां जो पातसाहजी फुरमावै है जो अनारो की डाली हमेसा पहुचबो करौ तब भंडारी अरज करी जो जब ताइ अनारो का बहार है तब ताइ हमेस पहुचैली | तब बंदा सौ नवाब फुरमाया जो हमारे षतो का जवाब क्या आयां तब बंदै अरज करी जो जवाब तुरत आया नही है आवैगा तब मौ उस ही घड़ी नीजरी गुजरांनोगां तब भंडारी अरज करी जो षतो का भी जवांब सीताब ही आवै है अर दोन्यौ रांजा भी सीताब ही आवैं है अर नवाब षान षांनां भंडारी सौ वां बंदा सौ फुरमाया जो थानेसुर हमारे उतन मै हुवा है सो दोन्यौ रांज कटला दोय वहा बणावै तब भंडारी वा बंदै अरज करी जो नवाब फुरमावैगे सो ही करैगे | ओर भंडारीज्जी रुपया 36000 कोइ इजारां परगना का-मौ बाकी छा सो नवांब महांबत षाजी नै दीया जी | श्री महांरांजाजी सलामती - मीती माह सुदी 6 सोमवांर बंदा भंडारी षीवसी कै डेरै बैठा थां सो सबा ही नवाब षान षांना का चोबदार बुलावणै को आयां तब बंदै भंडारी सौ कही जो हम अर तुम साथी ही चलै तब भंडारी कही जो आजी मै नवाब सौ रदबदल करुगां आजी तुम्हांरा चलणा मोकुफ (--) अर साथी ही चलणा मुनासब नही नवाब सौ रदबदल करी डेरै आउगां तब सारां समाचार तुम सौ कहुगां तब भंडारी असवार होय नवाब कै डेरै गयां पहैर येक दीन पाछीलो बाकी रह्यौ तब रदबदल करी डेरै आये तब बंदा फेरी मील्यां तब षीलवती करी कही जो मौ नवाबजी सौ सब रदबदल करी जो महारांजा अजीत स्यंघजी सौ अरज करी आया थां वा महारांजाजी सौ अरज करी आया था सो सारी अरज करि थी सो सब अरज नवाबजी पसंद करी अब दीन दोय च्यार मै ठीक पड़ी जायगां | मीती माह सु. 11 सं. 1767 |||||