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Arzdasht 103

(-----) महाराजा श्री बीसन सिंघजी

||:|| स्वस्ति श्री महाराजाधिराज महाराज श्री चरण कमलांनु षांनांजाद षाक पाय पां॰ मेघराज लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री महाराजा तेज प्रताप सुं भला छै | श्री महाराजाधिराज रा सुष सासता प्रसाद करावजौ जी | श्री महाराजा माइत छै धणी छै | श्री परमेसुरजी री जायगा छै जी | म्हे श्री महाराजा रा षांनांजाद बंदां छां जी | श्री पातिसाहजी श्री महाराजाजी सुं महरवांन छै | श्री महाराजा सुष पावजौ जी | पांन गंगाजल आरोगंण रा जतन फुरमावजौ जी |

| महाराजा सलांमत - षांनांजाद श्री महाराजा तेज प्रताप सुं माह सुद 7 सुक्रवार पातिसाही लसकर आय पोहचो हुं जी | षांनांजाद पां॰ जगजीवन दास नै मीलो सारी हकीकत सुं वाकफ हुवो | श्री महाराजा दरबार री तरफ सुं षातर मुबारक जमां फुरमावजौ जी |

| महाराजा सलांमत - (----) अठै लसकर दाषल हुवौ ती ही दीन नवाब रुहला षांजी सगर सुं हजुर आया पातिसाहजी की मुलाजमत की सौ मोहर नजर की पातिसाहजी सरपाव दीयो सरपेच दीयो व नवाब नै आजार है ती सुं रुकसत कीया ऐक हफता की रुकसत दी षांनांजाद षां-नै हुकम (----) की नायबी (---) कै बकसी (------) का मतलब अरज करै | माह सुद 8 षांनांजाद नवाब कै डेरै जाय मुलाजमत करी | श्री महाराजा रो षत गुजरानो सारी हकीकत हही नवाब श्री महाराजा रा प्रताप सुं घणी महरवांनगी करी फेर बहरमंद षांजी सुं मीलौ ओर दरबार का मुतसदी है त्यां सुं मीलौ दरबार रा मुकदमां सुं वाकफ हुवो अर होतो जाउं हुं | महाराजा अठा की तरफ सुं हर भांत षातर मुबारक ज्मां फुरमावजौ जी | षांनांजाद पचास भायां सुं गुलांमी बंदगी मै हाजर हुवो हुं जी |

| महाराजा सलांमत - (-)-बै सीष नसीहत कांम काज री पै दर पै षांनांजाद नै लिषैला जी | ती मवाफक सरंजांम श्रीजी रा प्रताप सुं करुं जी |

| महाराजा सलांमत - केसोराय सुं षांनांजाद मीलो घणो ही समझाय कहौ ज ते सुं लाषां रुपयां रो हीसाब है तुं नै महाराजा हजुर बुलायो है षांनांजाद (-----) स्मझाय दीयां पाछै ओर षीदमत सुं सरफराज होसी आगै जगजीवन दास भी घणो ही स्मझायो थौ | ओर भी दरबार का लोगां स्मझायो पण कबुल कीयो न्ही कहौ म्हारी ताइं चाकरी करणी न्ही (----) करणी होय तो हजुर जाउं ती सुं केसोराय हजुर तो हर-गज आवै न्ही अर मुसरफ तहवीलदार कहै है तेरा महीनां रो हीसाब हजुर भेजौ है सु जो भेजौ होसी तो हजुर पोहचसी जी | अब कहै है केताक महीनां रो हीसाब दर-पेस है सु भी कर भेजां हां सु भेजैहीला जी पर केसोराय आगै तो जागजीवन दास नै कहायो थौ अब षांनांजाद सुं कहायो ज ऐक लाष केताक हजार रुपया बोहरां साहुकारां का देणां है अर महाराजा का नांव रो षत है त्यां की नीसां करौ अर षांनांजाद कनै बोहरा साहुकार लोग आया त्यां सारा ही चालीस पचास हजार का षत दीषाया ओर सुणजै है केसोराय का घर का बतावै है अर षरच की तपसील तो जमां षरच सुं मालुम होय ती सुं यां बोहरां साहुकारां रा पसां रै वासतै जो हुकम आवै सु सही |

| महाराजा सलांमत - (---) सारा मुतसदी रुहला षांजी बहरमंद षां वगैरह सुं मीलो हुं ऐक दोय मतलब भी कहा सुणां है रदबदल दर मीयांन है ठहरसी सु पाछली अरजदासत मै लीषसुं जी |

| महाराजा सलांमत - आकल षां सुं रांम रांम इषलास बे-स-त-र राषजौ जी | आगै तो महाराजा कै अर षांजी कै नीपट सुष है पण अबै सारा मुकदमां जागीरदारां का यां सुं रजु कीया है ओर भी बाजै मतलब वां सुं रजु है ती सुं महाराजा अबै जादा इषलास राषजो जी |

| मीर हादी सुं षांनांजाद मीलो सारी हकीकत मालुम की |

| महाराजा देस रा मुतसदीयां नै हुकम होय षरची दवाब की दु-माहा की अगाउ भेजो करै तो करज लेणो न पड़ै अबार जरुर जांण बोहरा कनै लीया हुंडी आसी सुं वै नै देसुं फेर करज ले कांम चला-सु ती सुं दु-माहो आगाउ पोहचै तो दवाब नै तो करज लेणो न ड़ै (sic!) |

| ओर स्माचार पाछां सुं अरजदासत करसुं जी |

| सां॰ 1748 रा माह सुद 11 भोमवार |||||