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श्री गोपालजी सहाय
श्री महाराजाधिराज श्री महाराजा राजा जै संघ जी
स्वस्ति श्री महाराजाधिराज महाराजाजी
चरणकमलानुं षांनांजाद षाक पाय प॰ जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदगी अवधारजौ जी | अठा का स्माचार श्री महाराजाजी रा तेज प्रताप थे भला छै | श्री महाराजाजी रा सीष स्मांचार सासता प्रसाद करावजो जी | श्री महाराजा माइत छै धणी छै श्री परमेसुर जी री जायगा छै | म्हे श्री महाराजाजी रा षांनांजाद बंदा छां जी | श्री पातसाहजी श्री महाराजाजी थे महरबांन छै | श्री महाराजाजी सुष पावजो जी पांन गंगाजल आरोगण रा जतन फुरमावजो जी |
अप्रंच षांनाजाद नवाजी रा परवानां आयां बोहत दीन हुवा सु बंद नवाजी रा परवांनां सासता इनायत फरमावजो जी |
महाराज सलामत - जां षांनांजादां रात दीन दरसन कीयो होय अर चरनसेवा की होय जे बंद दरसनीक होय अर जां षांनांजादा नै बरसा ही याद न कीजै सो बंदा की भांत जीवता रहै | ती सुं बंद नवाजि कर षांनांजाद परवरी रा परवानां पे-दर-पे इनायत कीजो जी |
महाराज सलामत - नोबत लेण को अब ताइं श्री महाराजाजी भली भांत तलास न फुरमायो सु अजब बात है अर श्री महाराजाजी तो ऐक दोय बार जतन भी भला भला कर भेजा पण केसोराय का दीन तो पुरा हुवा ए तो बडो तरदद कुंकर पेस ले जाय सके | वे को बेटो तो लड़को है दरबर मे कोण पूछे अब भी श्री महाराजाजी मतलब सरंजाम रो तलास करण रो षानांजाद नै फुरमांवे तो श्री महाराजाजी रा तेज प्रताप थे भला भला मुजरा कर बताउं जी | अर गुलाम षां कबर-दासता तो है ही पीण गुलामी की बंदगी बजाय लाय जन्म सुफल करुं |
श्री पातसाहजादा कामबगसजी थे रोज मुजरो करु हुं | श्री महाराजाजी रो षानांजाद जाण नवाजस फुरमाये हे अर बकसयल मुलक मीरजा सदरुदी म्हमद षांजी सुं व म्हरम षांजी भी ओरंगाबाद मे सुफील षांनो ले हजूर आया है सु षानांजाद आठ पहर हाजर रहे हे ती सुं श्री महाराजाजी को मजकुर चले हे | सु मीरजा सदरुदी म्हमद षांजी बकसयल मुलक श्री महाराजाजी री हजूर आप को षत भेजो है अर षांनांजाद की भांत भांत नीसां बाजे मतालब उमदा अरज भली भात कर सरंजाम देणो कबुल कीयो हे जो अबार श्री महाराजाजी पचास हजार असवारां को मुकाबलो कीयां बीराजमांन हे इ स्मया मे तो जेसो तलास कीजे सो श्री महाराजाजी रा प्रताप थे सिध होय सु हीसाबी कांम को तो सरंजाम होणो हीसाबी ही हे | जद श्रीजी की षातर मुबारक मे आवै तब ही तलास फुरमावेला जी | षांनाजाद ने दरबार मे तो श्रीजी की गुलाम जाण हर कोइ म्हरबांनगी करे है | पातसाहजादा कामबकसजी श्रीजी को षानांजाद जाण तीन सदी की मनसब करे था सु षांनांजाद बीचार कीयो जु पातसाहजादा की चाकरी मै अटकाया छै सरकार का कांम नै फुरसत पावनी मुसकल ती सुं षानाजाद मनसब कबुल न कीयो अर मुजरो सलाम सहज मे करु हुं जी |
श्री महाराजा सलामत - षुसहाल चेद मीरजा सदरुदी महमद षांजी के पेस-दसत श्री महाराजाजी हजुर अरजदासत करी है सु नजर गुजरसी जी अर वे को जवाब इनायत होसी |
महाराजा सलामत - आज श्री पातसाहजी की हजुर षोजा को अधकार घणी है दीवान तो महीना मै ऐक दोय ही करे हे अर रात दीन षोजा ही हजुर मे रहे है सु आज अषतीयार षोजा महरम षांजी व हफज अंबर व मसउद को है | सु यां कने षानांजाद हमेसा हाजर रहे है | ये बोहत मीहरबांनगी करे हे यां कहो है जु श्रीजी थांने कांम फरमावै तो थे कहो सु मतालब अरज कर संरंजाम कराइ दा | अर दवाब का कांम मे कीफायत कर देंगे |
मीती फागुन बदि 7 संबत 1761 |||||