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Vakil Report 61
अरजदासती करांर मीती जेठ सुदी 3 बुधवार की लीषी हजुरी भेजी है जी | सौ
सारी हकीकती अरज पहुचैली जी |
श्री महारांजाजी सलामती - पातसाहजी नंदी पार उतरे तीसरै दीन साहीजादा अजीम
सानजी का कारषाने उतरे अर सुवारी की तयारी हुइ तब साहीजादैजी फुरमाया जो
हमारा बाड़ा घाट परी जाय षड़ा करौ | तब माफीक हुकम बगसरीया वां फोज तयार
होइ घाट परी आइ | तब रुसतम दील षां कही जो मै पातसाही बाड़ा कोइ उठाउ नही |
तब साहीजादाजी सौ अरज पहुची तब साहीजादैजी रुसतम दील षा सौ कहाय भेजी जो
जीस भाती ओर साहीजादौं का बाड़ा बैठा थां तीस भाती हमारा बाड़ा बैठावो | तब
रुसतम दील षा फौज वा बरकंदाजों सौं पुल परी लड़ाइ को तयार हुये | तब
साहीजादाजी के लोगो लाठी ठिगा कीयां | तब रुसतम दील षा के भी लोगों लाठी
चलाइ | तब साहीजादैजी फुरमाइ जो रुसतम दील षा कों मारी ल्यौह | तब रुसतम
दील षा नाव चढी भाजी पार उतरी आयां अर फोज भाजी उन के लसकर मै गइ | तब
साहीजादैजी आपना बाड़ा बैठायां फोज षड़ी राषी आप पार उतरे | अर आगीला डेरा
कोस च्यरी उपरी थां तहा दाषील हुये | तीसरै पहैर सब हकीकती पातसाहजी सौ अरज
करी तब पातसाहजी रुसतम दील षा सौ इतरांज हुये अर चेले भेजे जो रुसतम दील षा
को हजुरी ले आयो | पुल परी रुसतम दील षा का लोग न रहै अर आगै रुसतम दील षा
का डेरा येक मजल आगै उचलै थे | सो अबै हुकम हुवा जो डेरा गंज की पछाड़ी करै
सो अब ताइ तो येती इतराजी हुइ है अर अबै जो ठाहरैली सो अरज लिषौलो जी |
श्री महारांजाधीरांज सलामती - अब के पुल परी रुसतम दील षां बहोत लसकर सौ
ज्यादती करि सो ऐसी कदे आष्यौ देषी न कांनो सुनी भले भले मनसबदारो का वा
ब्यापार्यौ कां वा गरीब गुर वां को घणो ही माल लुट्यौ | सो ऐसा बहैदा कदे
देष्या न सुन्यां | अर रुसतम दील षा का लोगा माल लुट्यौ घोड़ा वा उट पाछै
रु॰ 2 अर बैल पाछै रुपयो 1 लीयो | अर मन मान्यौ त्यौ ले ले लोग कों पार
उतर्यौ | सो लोगो का बड़ा नुकसान हुवां | तब जरुरी जानी भंडारी षीवसी वा
बंदै नवाब महाबत षाजी नै अरजी लीषी दीनी ही जो रुसतम दील षा की तो या
त्रबीत है हमार पार उतरणा कीस भाती होय | तब नवाब नाव दोइ वा जसोल च्यरी
भेजे वा चोबदारों का मीरधा भेज्यां अर फुरमाया जो तुम जाइ आछी तरहै पार
उतारी ल्यांवो | तब श्री महारांजाजी का तेज परताप सौ सारे साथ सो पार उतरे
है जी |
श्री महारांजाजी सलामती - रुसतम दील षा पातसाहजी कों अरजी लीषी दी जो हुकम
होय तो पुल परी हासील ल्यौह रुपया लाष सौ ज्यादा पैदा होयगे | सो पातसाहजी
जवाब न दीयां | ओर हकीकती होयली सौ सारी पाछा थे अरज पहुचाउलो जी |
श्री महारांजाधीरांज सलामती - मीती जेठ सुदी 7 दीतवार दोपहैरो आधी वा मेह
वा वोलां द्योढ पहैर तक ऐसे परे जो किसी उमरांव का डेरा साबुत न रह्यां अर
पहाड़ की रो आइ सो साहीजादाजी हादर साह बहादर वा (---) पातसाही का डेरा मै
पाणी कमरी सवाणा (?) पाणी चढ्यां | अर लसकर की मता आपनी पराइ (?) बहोत हुइ
| अर पातसाहजी का जाल्यौ मै भी हाथ हाथ पानी चढ्या अर पातसाहजी कै वां
साहीजादो कै सब असवारी मरदानी वा जनानी च्यारी पहैर राती षड़ी रही सवारा
हुकम हुवा जो लसकर अगीला डेरों जाइ सो आधा येक लसकर तो अगीला डेरा आयां अर
पातसाहजी वा सब साहीजादे दोपहैरो आय डेरो दाषील हुये जी | अर आधा लसकर
पाछीला ही डेरा पड़्या है | सौ ज्यौ ज्यौ पाणी लसकर मै घटै है ज्यौ ज्यौ
लोग लसकर मै आवै है जी |
श्री महारांजाजी सलामती - मीती जेठ सुदी 9 मंगलवार पेसषानां आगा कुच ल्यां
सो षबरी है जो रांहु के आगै कोस दोइ जाइ षड़ा होइ | मीती जेठ सुदी 10
बुधवार पातसाहजी आय डेरो दाषील हुये जी |
श्री महारांजाजी सलामती - पातसाहजी कै कुच की नीपट ताकीद है | अर बेहथ
नंदी परी पुल बंधाबा का हुकम हुवा है जी | अर गरु की षबरी लसकर मै यहै जो
बसइ पठाणो का गाव था सो पठाण बहोत दीनों सौ राषी रहे थे सो गरु उन परी चढी
जाइ राड़ी करी | सो पठाण हजरि दोइ कामी आये अर कबीला उन का सब जोहर
(--------) सब हजार पाच आदमी कामी आये अर गाव लुटी गयां अर साहीजादा मोजदीन
का फोजदार ओरंगाबाद का उस तरफ थां सो उस सौ भी गरु आइ मुकाबीला कीयां | सों
कोइ तो लसकर मै कहै है जो कामी आया अर कोइ कहै है जो भाजी गयां | अर जषमी
हुवां सो गरु का ठहोर ठहोर जोर बहोत है | अर गरु की षबरी लाषी-जंगल की है
जी |
श्री महाराजाधीरांज सलामती - रांजा उदोत स्यंघ बुदेला की रुषसदी मारफती
साहीजादा रफी सानजी की ठाहरी सो सीरोपाव निकस्या है वरत पाया नही है | इस
वासतै रांजा उदोत स्यंघ को सीष इस वासतै हुइ जो राजा सतरसाल के केतेइक गाव
इन के देस के बहोत दीनो सौ दबे थे | फेरी उदोत स्यंघजी वै गाव अपनै नीचै
दबाइ लीये फेरी अब कै रांजा सतरसाल देस को बीदा हुवां तब देस जाइ अर वै गाव
तो अपनै तालक करी लीये अर केतेइक गाव इन के नवासीर सौ मारे तिस वासतै
पातसाहजी सौ अरज पहुचाइ देस को रुषसद होय है जी | ओर समाचार होइला सो पाछा
थे अरज पहुचाउलो जी |
मीती जेठ सुदी 11 सं॰ 1768 |||||