Ansi | UTF-8 | Devanagari |
श्री महारांजाधीरांज सलामती
अरजदासती करार मीती बैसाष बदी 11 सोमवार की लीषी हजुरी भेजी छै ती सौ सारी हकीकती अरज पहुचैली जी | श्री महारांजाधीरांजा सलामती - मीती बैसाष बदी 12 मंगलवार पातसाही कोलो पातसाहजी सौ अरज करी जो देवती साचा हेड़ी हमारी तनषाह मौ है अर महाबत षाजी उहा हाकीम बुलाकी चंद भेज्या है सो हम षरची पावते नही तब पातसाहजी फुरमायां जो महांबत षा सौ ताकीद करो जो कोलौं के पैसौ की नीसा करै तब महाबत षाजी रुपया 24000 देवती-साचाहेड़ी की षरीफ (--) कोलो को घर सौ दीये जी | तब उनो नै रुपयां पचास हजार मागे जो षरीफ का हासील हम को सब द्याह तब महाबत षाजी सै बहोत दबाइ अरज करी तब महाबत षाजी राय भगवंत राय कों बुलाइ फुरमांयां जो भीषारी दास को बुलाइ इन के बाकी पैसो की नीसा करावों तब सब कोल वा राइ भगवंत का आदमी बंदे पासी आये अर बंदा सौ पैसो की रदबदल करी तब षानाजाद उन को जवाब दीयां जो आगै मै नवाब सौ अरज करी थी जो बुलाकी चंद को उहा न भेजै मै हजुरी सौ माल जामीन लीषइ मगाउगां सो कीसती ब कीसती साहुकार पैसो की नीसा करैगे तब नवाब मानी नही अर षावा-ना-ष्वाह बुलाकी चंद को नवाब भेज्यां अर परवाना बुलाकी चंद को सोप्यां सो बंदा वाकीफ नही जो बुलाकी चंद नै उहा सौ क्या लीया है तब कोलों जाय फेरी नवब सौ दबाइ अरज करी तब नवाब कोलो कों जवांब दीयां जो षरीफ के पैसो की हम नीसा करैगे अर रबी सौ भीषारी दास को कहो जो साहुकार जामीन देह तब बंदै जवाब दीयां जो बुलाकी चंद उहा है सो हम इहां कीस भाती साहुकार जामीन देंह तब नवाब फुरमांयां जो हम बुलाकी चंद को तगीर करैगे तब बंदै कही जो मै हजुरी कों अरजदासती करु हुं सो जो जवाब आवैगा तीस माफीक नवाब सौ अरज करुगां तब नवाब फुरमाइ जो तुम हम सौ षीलवती मै अरज करीयो तब कोल सब येकठे होय अर फेरी बंदा कै डेरै आये अर कही जो आजी हम पातसाहजी सौ फेरी अरज करैगे अर देवती साचाहेरी आमील वा अमीन वा फोजदार पातसाही बीदा करावैगे तब बंदै उन की भाती भाती नीसा करी अर पातसाहजी सौ अरज करणी मोकुफ ठहैराइ जी |
अर या करार कीया जो मै हजुरी को लीषता हुं सो सीताब जवांब मगाउगां | श्री महारांजाधीरांज सलामती - जै उहा बुलाकी चंद आछे सलुक सौ रहैता होय अर पौसे उन को षरीफ के दीये होय सो उन सौ ताकीद करी सीतांब हुडी भेजाज्यौ जी | अर बंदा कों फारसी परवाना इनांइत होय जो येते पैसे बुलाकी चंद को षरीफ मै दीये है ज्यौ बंदा परवांनां नवाब जी नै वा कोंलुं कों दीषांवै जी | अर जै साहुकार पातसाही उड़दु कां जामीन होही अर करार माफीक कोलुं को पैसो की नीसा करै तो जामीनी उन्हालु की सीताब इनायत होय जी | सरकार सौ पैसे तो लागै ही है जै इन दोन्यौ बातो मै सरकार की कीफाइती होय सो जवाब सीताब इनायत होय जी | श्री महारांजाधीरांज सलामती - गरु का सीषों का फीसाद लाहोर की त्रफ बहोत उठ्या है रुसतम दील षा पातसाहजी सौ अरज करी थी तब पातसाहजी फुरमाया जो लाहोर तो हम ही जाते है अर लसकर मै घर घरीयाली (?) षबरी है जो दीषण्यौ उजेणी घेरी अर उधर को बहोत फीसाद उठाया है सो हजुरी षबरी आउती ही होयली जी | बंदा उमेदवार है जो इस अरजदासती कां जवाब सीताब इनायत होय जी | श्री महारांजाजी सलामती - महैमद बागवांन बाग (-----) आय जाहर बंदे सौ करी जो आगै तो हमारै ताइ बीजै स्यंघजी के मुतसद्यौ दोन्यौ सीरे नाजके षोस लीये स्यब वह धरती सब पड़ी रहै है सो जै मांफीक सदांमदी कै हासील हम पासी लीजे अर हमारी परदाषती कीजे तो हम बागवा धरती फेरी आवादान करै सो बंदै इन बागवानो की दीलासा करी अर इन सौ यह करांर कीयां जो तुम धरती सब सब उठावो अर बाग आवादांन करो माफीक सदामदी कै हासील बाटी लेहगे तब वै बागवान ये मुचलका देणै को तयर हुये जो बीघो येक जमी (?) पड़ी रहै तो हम हासील काम न मनावै सो जमा षरच सब पेसोर के हजुरी मै है अर दसतुर अमल भी है सो मुतसदी हजुरी कानै हुकम होय सो कागद देषी अर तपसीलवांर अमल दसतुर लीषी भेजै जी | अर हुकम आवै तो माफीक दसतुर कै इन कों येक येक पाघ सुपेद बंधाइ अर इन की दीलासा करी सीष दीजे जी | ज्यै ये उठे जाय उठा को तरदुद करै जी | क्यौ ज षरीफ के बाह जोत के दीन नजदीक आय लागे है अर हर चैन कै नाइ परवांना इनाइत होय जो उठै जाय अर उठा कीरइती की दीलासा करी (-) भली भाती आवांदान करावै अर महैल बाग कै आगै सो बंदै बीजै स्यंघजी के अमल नै (मै ?) उहा छा-र-द-वा-ली कराइ थी अर उहा मेवा लगायां थां सो वैहे (वेहै ?) सब दर षत अबै फलते है अर पैसे सरकार के चेढो को लागे थे तब बागवानों बंदे सो जाहर कीया थां जो हमारा बट हमारै ताइ द्यौह तब बंदै उन सौ यह करार कीया थां जो यह चेढे सब फलैगे तब चेढो का मोल लागा है सो तुम मोल सरकार मै भरी दीज्यौ हम आधा हासील माफीक दसतुर कै तुम कों भरी देहगे सो अब वै चढै सब पुरकस फलते है सो हर चैन कै नाइ परवांना इनाइत होय जो पौसे चेढों के लागे होय सो इन पैसौ रुपया मुजरै लेह अर हांसील माफीक दसतुर कै इन कों बाग के महैल का बगीचा का बाटी देबो करै जी | अर जै बागवान दोय जुदा चाकर राषी अर बागीचे की परदा षती कराइयेगी तो कीफाइत सरकार की न होयगी जी | सो चेढो को षरीद जमा षरचो मै दांषील है सो मुतसदी हजुरी कांनै हुकम होय जो तपसीलवार लीषी भेजै जी | जै उस बाग की वाजमी की परदांषती होय तो हासील षुब पैदा होय जी | अर नासर षां फोजदार काबील कानै षत येक इनाइत होय जो बागवा हवैली कौ (?) हर भाती षस मानो राषै जी | मीती बैसाष बदी 13 बुधवार संबत 1768 |||||
श्री महारांजाजी सलामती - केसरी स्यंघ राठोड़ नै पहैली कीसती मोजाबादी की का सरकार को गहैणै गहैणै ब्यापार्या कै धरी अर रुपया पहैली कीसती का अगाउ ले दीयां ती की (---) सरकार सौ सइ 104 लागी अर अबै ब्यापारी केसो दांस लीलापती (?) की जामीनी आइ ती मै लीष्यौ आयो जो कीसती येक का रुपया पहैली दीज्यौ सो माफीक चीठी ब्यापार्या कही जो म्हा नै हुड़ाइ सइ 103 कै लेषै काटी द्यौह जी माफीक आगै पिरोहीत स्यामरांम कै गुमासतै काटी लीइ सो म्हां नै भी भराइ द्याह सो इ बात मै सरकार को दोन्यौ बाता नुकसान सरकार को होय ती सौ चीठी ब्यापार्या नै हजुरी सौ साहुकारा की आवै जो पहैली कीसती की हुड़ाइ न लेह अर हुकम आवै हुड़ावणी काटी द्याह जी जवाब सीताब इनाइत होय जी |||||