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श्री महाराजाधिराज सलामति
मिती चैत सुदि 3 दीतवार महाबति षांजी कों पातसाहजी फुरमाया जो राजौं के मुतसद्यौं कौं सिरोपाव द्यौ अर ताकीदि करौ जो राजौं कौ सिताब बुलावो तब पातसाहजी तिसरे पहैर दिवांम्न आंम कीया तब हमौ अरज कराइ जो राजा सिताब आंवै हैं तब भंडारी वा बंदा कौं वा गुलाल चंद वा दोदराज मुनसी कों सिरोपाव इनायत कीया तसलीमाति दीवांन आंम मौ बजाय ल्याऐ जी | श्री महाराजाधिराज सलामति - मिती चैत सुदि 4 सोमवार पातसाहजी का पेसषांना लाहौर कों चाला जो गुरू का सिष्यौं नै चकमौ समर षां वा बाजीद सां सुवार पयादा 1500 सै सौं मासा और लाहौर पर सुवारी की तयारी है सो फिसाद बहौत उठा पातसाहजी सुनताही पेसषांना चलाया अर हुकम कीया जो मंजल ब मंजल पेसषांना चला जाय हम कुंच द्र (sic!) कुंच लाहौर जांयगे | श्री महाराजाजी सलामति - आगिला तौ मौसर गुरू का ऐसा था जो आप पधारते तौ षात्र षाह कांम होता अब दुसरा मौसर फेरि भी श्री महाराजाजी का भागौं सौ ही आय बाज षाया है जो सिताब पधारिबो होय तौ सलाह दौलति है जी | पातसाहजी वा साहिजादाजी वा नवाब महाबति षांजी भांति भांति करि दिलासा करी है और करते हैं जी | और कुंच पांच कोस जरीबी का मुकरर हुवा है जी | दौलत स्यंघ सेषावत का लिषा आवै सो बंदे को भी लिषी दीज्यौ जी | श्री महाराजाजी सलामति - अब सब उमराव याही कहते हैं जो राजा आंवने की ढील करैंगे तौ बहौत बुरी करैंगे और नवाब महाबत षांजी कहैं है जो मेरे तांइ षत रुपया 75000 का लिषि दीया है अर हाल रोक रुपया 25000 देने का करार कीया था सो आब तक दीऐ नही सो और पैसे क्यौं करि देंगें सो निपट बहौत बुरा मानै हैं जी | सो उमेदवार हौं जो नवाब के रुपया सिताब आंवै जी | और राय भगवंत का रुपया 5000 वा दरबार षरच का रुपया आंवै तौ बिरादरी को कांम चलै जी | अजीत स्यंघजी का बिरादरी का कांम सब होय चुका है जी | रुपयां आंया बिना सब कांम बंद पड़ा है जी | जो षात्र मबारक मै पसंद आवै तिस का जुवाब सिताब इनायत होय जी | और षत नवाब महाबत षांजी कौं वा बंदे के नाव प्रवांना इनायत हुवा था बौ-(--) लारणां बाबति सो आय पहुंचा है जी | नवाब महाबत षांजी इन दिनौ मौ जु लाब लीया है सो गुजरांन (-) का मौसर हुवा नही है सो मौसर हुवां षत हुजरांनि जुवाब लिषाय भेजौंगा जी | श्री महाराजाजी सलामति - लाल बिहारी कोतवाल पुरा साहिजहांनाबाद का की अरजदासति भेजी है | सो नजरि गुजरैगी जी | श्री महाराजाजी सलामति - भगवंत स्यंघ षंगारौत नै षास मौहर सौं प्रवांना लिषी दीया था तीस मै प्रगना नरायंणा मौ गागरड् वागौ का दांम ऐक लाष बीस हजार अर प्रगना पीड़ोयन का दस लाष असी हजार सो मुसारण अलेह के सनद दरगाही तौ याही है पणि अमल (---) दांमा मौ पायौ
प्रगना नरसिंगागड़् वगै का दांम अठासी हजार प्रगना पड़ांयनि मौ ऐक कसबै अमल रह्यौ गांव दरोबसत नर्का कै तसरफ मौ रह्या |
श्री महाराजाजी सलामति - मसौदौ पारसी करि भेजा है सो समाफिक प्रवांनै षास मौर सौं इनायत होय तौ यां की षलासी पातसाही दरबार मौ होय जी | चैत सुदी 5 संबत 1768 मंगलवार |||||