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Vakil Report 31

श्री महांराजाधिरांज सलामति

अरजदासती करांर मीती फागण बदि 4 सनीसरवार कि लिषी हजुरि भेजी छै ती सौ सारी हकिकती अरज पहुचि होसी जी | श्री महारांजाजी सलामती - मीती फागण बदि 5 दीतवार नै पातसाहजी जसन कीया जी | मीती फागण बदि 7 मंगलवार नै पातसाहजी को पेसषानों सहारणपुर बुड़िया को चल्यौ जी अर षब (sic! i.e. षबर) साहजीहानांबाद कि गरम है जी | श्री महारांजाजी सलामती - अमिर षां सौ षीजमति मे-(--) की तगीर हुइ अर उस कि जायगां स्याह नीवाज षां बकसी को फोजदारी मुकदर हुइ जी | श्री महारांजाजी सलामती - नवाब षांन षांना कै दीन तीन हुवां जो नाक कै भीतरि गुमड़ी हुइ सो नाक सुजी गइ जी सो दीन तीन हुवा सो दरबारि न जाय छै जी | अर महांबत षाजी कै षासी हुइ सो षासी का जोर सौ-(----) हुये है जी | सो वै भि दरबार न करै छै जी | श्री महारांजांधीरांज सलांमती - गुलाल चंद सब दरबारौं मै षरच दे अर सनधि बिरांदरी की तयार करावै है जी | अर सरकार की सनधी बीरांदरी की तब तयार होयगि जब रुपया 25000 नवाब महाबत षाजी नै वा रुपया 5000 राय भगवंत नै दीजैला वा दरबार षरच कि हुडी आवैलि सो बंदै आगै भी अरजदासती करी है सो हकिकती अरज पहुची होयलि जी | अर हुकम आयों जो परवानो हिदुइ इनायत हुवो छौ ती सै हुडी की हकीकती जाणौलां सो दोन्यौ जोड़्या मै परवानो हीदुइ कोइ पहुतो नहि जी | श्री महाराजाजी सलामती - केसरि स्यंघ राठोड़ मोजाबादी का इजारा कै वासतै पइसा कै गुमासता उन का ताकीद करैं है अर स्यामरांम प्रौहीत को लीष्यौ साह संतोष रांम नै आयो जो स्यालु मै रुपया 2200 म्हां कै हाथी आया छौ सो थे उधालु (?) कि कीसती मौ

दाम येक वा नै द्यौह मती अर जामिनी आपणी मागी लीज्यौ सो परगना मजकुर नै आमील साहिजादा रफील स्याह का आवै है जी | सो जै इजारा सरकार मै राषणां होय तो तो उन की पइसा कि नीसा करांजे जी | अर जै इजांरां न राषणा होय तो बंदा को हुकम आवैं तो उन को जवाब साफ दिजे जी | मीती चैत बदी 5 नै रुपयां 5000 उधांलु कि कीसती का लागैला जी | अर यहा संतोष रांम गुमासता प्रौहीत स्यामरांम का जवाब साफ दे है सो उमेदवार हु जो इस कां जवाब सीताब इनायत होय जी | श्री महांरांजाजी सलांमती - पुरा साहजीहानाबाद कि कोटवाली कै वासतै बंदै आगै अरज लिषी छी सो बंद निवाजसी सौ हजुरी मै मजुर हुइ थी | अबै षांनाजाद उमेदवार है जो सनधि वहा की लाल बीहारि कै नाय इनायत होय जी | लाल बीहारी साहजीहानांबाद सौ षुब वाकिफ है जी | अर आगै नवांब आसफ दोला के दरबार कि हकीकती सब दीली सौ ये ही लीषै थे सो बहोत दीनो सौ उमेदवार है जी | अर जब सौ बंदा यहा आया है तब सौ बंदा की लार ही है जी | श्री महारांजाजी सलामती - मेह बादल पोन का सबब सौ षांनाजाद कि देही इन दीनों मै बहोत जबुन होय गइ है सो वो-(--)-तो बंदै बैदा की बहोत षाइ सो फायदा न हुवां सो अबै बैद मिरगाग (?) बतावै हैं सो लसकर मै तो पैदा नहि तीस सौ षांनाजाद उमेदवार है जो सरकार सौ इनायत होय जी | श्री महारांजाजी सलामती - गरु कि षबरि पहैल्लि तो या थी जो गरु दीन दोय तीन मै पकड़्या आवैगां सो अरजदासती मै आगै अरज लिषी छि ती सौ मालुम हुइ होयलि जी | अर अबै या षबरी छै जो बरफ बहोत पड़ी दरां बंद होय गये सो नाहणी का राजा कि मा की अरजदासती पातसाहजी नै आइ छी ती मै लीषौ थो जो गरु हमारे पहाड़ मै है अर हमारे लोंगों घेर्या है सो बरफ कै आगै दाव पकड़णै का लगता नही सो बरफ प-(--) पकड़ि हजुरि ल्याउली सो गरु का आवणा केतेक दींन परी पड़्या है अर याहा (sic!) भी षबरी है जो उस पै लोग असवार पयादा हजार आठ छै अर लड़ाइ को तयार बैठा है सो नाहणी का रांजा का कुछ बल लगता नही अर केतेक इस भाती कहते है जो गरु तो निकसि गयां अर केतेक लोग उस के बरफ कै सबब सो रहे है सो जो समाचार होयला सो पाछां थे अरज लिषौलो जी | श्री महारांजाजी सलामती - इस पांतसाही की हकीकती कुछ लिषी जाय नही घड़ी मै तो पातसाहजी कहुठि नै जाबा को कुच फुरमावै अर पेसषानो कहुठि नै जाय पहैली तो षबरि छी जो लुधियाणा की त्रफ की षबरी थी जो वहा जाय गरु के सीषों कों तंबीह करै अर गरु के चक उठाय देह अर अबै कुच सहारणपुर

बुड़ीया को कियां सो या षबरी है जो म्यान दवाब कि राह होय साहजीहानाबाद को जाय ति सौ पातसाहजी की हकीकती क्यौ अरज पहुचाबा मौ आवै नही जी |

श्री महारांजाजी सलामती - बंदा तो यहा भंडारि कै साथी जो दरबार मै रदबदल होय है सो करै ही है जी | अर श्री महारांजा अजीत स्यंघजी की त्रफ सौ भंडारिजी की लार बड़ा बड़ा ठाकर-लोग आये है सो जै सरकार की भी त्रफ सौ कोइ बड़ा ठाकर-लोग वा मुतसदी येक आवै तो सलाह दोलत है जी ज्यो वै भि दरबार मै रदबदल करी अरज लिषबो करै जी | श्री महारांजा या बात षात्री मुबारक मै न ल्यावैगे जो बंदा आजुरदा होय या अरज लीषी न है सलाह दोलती है जो बंदा की अरज मजुर होय जी | श्री महाराजाजी सलामती - हुकम आयां जो बीद्याधर माफीक लिषे नायब अपणे कै जाहरी करी जो बीजै स्यंघजी का लोग जो आगै पुरां बाणारस वा बैकुथपुर का मै थे सो सनधी पहुता बी हांसील मास 6 को अगाउ मुतसरफ हुये अर पथर वागौ मसालो हवैलि (?) को बेची दीयो तीस वासतै तीन हसबल हुकम वा षत लीषे नवाब षांन षांना के येक फोजदार बणारस के कों वां (?) दिवान इलाहाबास (sic!) के कोवा दिवान पटणे के कों लीषाय भेजीयो सो बंदां नवाब सौ अरज करि अर हसबल हुकम तथां षत नवाब के माफीक हुकम हासील करी भेजोलो जी | श्री महारांजाजी सलामती - घासीरांम दिवान पीरांननाथ का बेटां को बागवांजमी (?) कदीम सौ कसबां आबैरि मै है अर अबै आबैरि का बाभग (?) जोरां वरि धरती वां कुवां दबावै है सो वां बागवाजमी षांनाजाद कोदि (?) उहौ सो षांनाजाद चाहै है जो वहा बाग करै ती सौ बंदा कि या अरज है जो परवांनो येक दिवान रांमचंद वा चुहड़ स्यंघ राजावत

कै नाय इनायत होय जो माफीक सदांमदि कै बाभग अमल करै जी | श्री महारांजाजी सलामती - मीती फागण बदी 6 बार बुधवार नै पातसाहजी को कुच हुवो सो घड़ी 5 चराती गया डेरा दाषील हुवा जी मीती फागण बदी 11 बीसपतीवार पेसषानो पातसाही चाल्यौ सो कोस अठाइ जरिबी सहारणपुर कै मुतसलि जाय षड़ो हुवो छै जी | श्री महारांजाजी सलामती - नान्हुरांम भाणीजों षानाजादं को है अर हजुरी चाकरि करै है सो उन नै जागीर अ-सी-(---)--ह मै इक-माहों पै दान हुवो ती सौ बंदा उमेदवार है जो मुतसदि हजुरी कानै हुकम होय जो माफीक पंचा कै उन कों भी जागीर देह जी ज्यौ षात्र जमा सौ हजुरी मौ चाकरी करबो करै जी | श्री महारांजाजी सलामती - पातसाहजी फुरमाइ जो सहारणपुर सौ पेसषांनां मुकलसपुर नै चलावौ वहा हम सिकार षेलैगे | ओर दरबार की हकीकती पंचोली जगजीवन दास का लीष्यौ सौ वां वाका की फरद सौ अरज पहुचैली जी | मीती फागण बदि 13 दीतवार (?) सं॰ 1767 |||||