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Vakil Report 265

||:|| श्री गोपालजी सत है जी

|| श्री महाराजधिराज महाराजाजी

|| श्री मीरजा राजा सवाइ जै सिघजी

||:|| सिंधिं श्री महाराजधिराज महाराजा श्री | चरन कमलांनु षानाजाद पंचोली जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी का सीष स्माचार सासता परसादा करावजो जी | श्री महाराजाजी साहब है धणी है | श्री परमेसुरजी री जायगां है | म्हे षानाजाद बंदा हां | गंगाजल पान आरोगण रा घणा जतन फुरमावजो जी | श्री पातिस्याहजी श्री महाराजाजी सु महरबान है | श्री महाराजाजी घणो सुष पावजो जी |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - दरबार का स्माचार तफसीलवार आगै पै दर पै अरजदासतां करी है तां सै अरज पोहोती होसी जी |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - आगै चोधरी जगराम कै हाथ श्री महाराजाजी को षत नवाब अमीरुल उमराव नै आयो थो | सु वै षत का जवाब मै नवाब को षत लीषाय अर वै षत उपर नवाब मजकुर का दसषत कराय साह अणद राम व चोधरी जगराम नै सो पोथो सु नजर मुबारक मै गुजरो होसी जी |

श्री महाराजाजी सलांमत - तीन हसबल हुकम रांजा उदोत सिघजी व दुरजन सिघ ज्मीदार चंदेरी को व मरहमत षां कै नाव तय्यार कराय आगै साह अणदराम व चोधरी जगराम कै हवालै कीय्या है | सु नजर मुबारक गुजरा होसी अर वां हसबुल हुकम राजा उदोत सिघजी वगहरै की नकल हजुर भेजी है | सु नजर मुबारक गुजरसी जी | अर ओर हसबुल हुकम हो सदार षां कै व इलतफात षां कै व अरज सिघ महाराव भी व सिघ को बेटो फोजदार कालाबाग को ती कै नाव तय्यार तय्यार कराय्या है | सु नवाब अमीरुल उमराव नै तकसुर है ती सै दसषत न हुवा है सु तय्यार कराय साह अणदराम व चोधरी जगराम कै हवालै करु हुं जी | अर राजा सत्रसाल कै वासतै नवाब फुरमायो वै नै हजुर तलब कीयो है ती सै तïनात करणो सलाह न्ही |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - देबी सिघ वगहरै का मनसब बहाली व इजाफा व थाणै बंदी नरबदा का गुजर की कै वासतै हुकम आयो थो | सु मवाफक हुकम कै नवाब अमीरुल उमराव सै अरज करी | सु होसदार षां को तो पांच सदी जात को इजाफो हुवो सु होसदार षां को बाप इरादत षां सुवारां का इजाफा कै वासतै कह है | सु फेर नवाब सै अरज करस्यां अर देबी सिघ वगहरै कै वासतै नवाब सै परवानगी ले दफतर सै हकीकत लीषाइ है अरज न हुइं | अर अबै नवाब नै आजार है ती सु अरज हुवां हकीकत अरजदासत करसु जी | वां नै भी हुकम होय दरबार षरच को सरंजांम भेजै वकील कही को कोइ नहै ती सु वकील कर षरच भेजै जी |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - अठै षबर आइ है जु दषणी गनीम दस यहा उपर चांदा का मुलक की राह नरबदा उतरसी | सु श्रीजी घणी सावधानी रषांवैला फोजदारां व ज्मीदारां नै श्रीजी की हजुर लाबा कै वासतै दोय गुरज-बरदार तो श्री जी कि हजुर आगै ही तइनात है अर दोय तीन गुरज-बरदार ओर नवाब सै अरज कर श्रीजी साथ तइनात करांवा हां जु सारा फोजदारां नै श्रीजी की हजुर लावै |

श्री महाराजाजी सलांमत - नवाब अमीरुल उमराव श्रीजी की जागीर मै बाइस लाष दाम परगना उदेरी का व परगनो वजीरपुर व पंडायण देणां कबुल करा है | पण अरजी राय राया ले आवै है पण नवाब को स्मै पावै न्है | सु नवाब अरजी देष पातिस्याहजी की हजुर भेजसी दसषत होसी सु अरज करसुं जी |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - कचहड़ी को काम सारो बंद है जु च्यार अड़ब कीतरायक कीरोड़ काम की तो मनसबदारां की तत मै तलब है | अर इकावन कीरोड़ सनवाती पायबाकी ती नै कोइ मनसबदार कबुल करै न्ही | ती सु य्या ठहरी थी जु सारां नै जात की आधी तनषाह दीजे सु सारां की तोजीह लीष तय्यार करी है अर ऐक य्या ठहरी जु कीतरायक हजार मनसबदार बर तरफ करजे | सु अब ताइं मुसकस हुइ नहै ती सै सारो कचहड़ी को काम बंध है जी |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - आगै तो नवाब कुतबुल मुलक की अरजी पातिस्याहजी जाहर मीर जुमला कनै भेजता अर पछै य्या ठहरी थी जु मीर जुमला कनै न भेजो पण अबै फेर पातिस्याहजी छानै सै अरजी मीर जुमला कनै भेजै है | सु मीर जुमलो व लुतफुला षां ठहराय चीठी लगाय दे है | सु ही पातिस्याहजी दसषत करै है ती पर अमीरुल उमराव गुसो षाय रहो है | मीर जुमला सु मीला न्है आपस मै इद नै भी न वो आयो न ये गय्या |

श्री महाराजाजी सलांमत - पातिस्याहजी को हुकम हुवो मुगलीया केता मनसबदार है अरज हुइं आलमगीर कै अहद मै पंच हजार था षुलद-मंजल के बारा हजार था अब सतरा हजार है | बकसीय्या नै हुकम हुवो षुलद-मकां कै दसतुर पांच हजार राषो | जब बषसीय्यां मुगलां की फीहरसत लीष गुजरांनी तब मीर जुमला नै हुकम कीयो करा गुन्हगार मुगलीय्या ही है सब बहाल राषो |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - नकदी अमुमन मने हुइ षोजां नै महल का लोगां नै भी जागीर को हुकम हुवो |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - षास जीलो का मनसबदार वाला (?) स्याही ती की जागीर परगना गडरोला सुबै मालवा मै है | सु इ का आंमलां उठा सै आठ हजार पांच सै केतायक रुपीय्यां को तुमार चोधरी कानुगो वां का दसषतां व काजी की मोहर सै भेजों है जु श्री महाराजाजी कै नायब नंदलाल लीय्या सु षास-जीलो का मनसबदार षानाजाद नै य्यां रुपीय्यां कै वासतै घेरां फीरै है | रोज सोर हंगामो है ती सु उमेदवार हु जु हजूर का मुतसदां नै ताकीद होय जो सरकार मै लीय्या है | तो नीसां भीजवांवै अर काजी सै व चोधरी व कानुगो वां सै ताकीद होय जु इ भात का तुमारां उप्र दसषत न करै | अर जो सरकार मै न आय्या है तो दीवान की मोहर सै तुमार कराय भेजै जी | जु अठै दीषावां जी |

श्री महाराजाजी सलांमत - हुकम हुवो साढा तीन हजारी सु ले हफत-हजारी ताइं कीरोड़ दाम तीन मे तलब राषो | अर मनसब की साढा तीन हजारी सु ले हफत-हजारी ताइं कीरोड़ दाम तीन मे तलब राषो अर मनसब की चोथाइ का दाम मुतालबात सरफ मै काट ले दवाब मै काट ले बाकी रहसुं पायबाकी सै दे |

श्री महाराजाजी सलांमत - मीती आसो सुदी 8 मंगलवार पातिस्याहजी नवाब अमीरुल उमराव कै डेरै आय्या नवाब सोनारुपा का फुल पातिस्याहजी उपर नोछावर कीय्या अर दोय षोनचा जवाहर का तां मै मोतां की माला व हीरां को सरपेच व ओर भांत भात को जवाहर व नो षोनचा कपड़ा का व चोदा षोनचा सोनारुपा का फुलां का च्यार सै तीहतर तोलां का व सात घोड़ा व पांच हाथी नजर कीय्या पातिस्याहजी ऐक पालो कुतबुल मुलक नै जड़ाउ व ऐक अंगुठी हीरा की नवाब अमीरुल उमराव नै इनायत कीवी |

|| श्री महाराजाजी सलांमत - मीती आसोज सुदि 10 कुवर श्री अभै सिघजी सरपाव व सरपेच जड़ाउ व हाथी पातिस्याहजी इनायत कीयो जी |

मीती आसोज सुदि 10 संबत 1771 |||||