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Vakil Report 261
1|| श्री गोपालजी सदा सहाय है जी
श्री महाराजाधिराज महाराजाजी
श्री मीरजा राजा सवाइं जै संघजी
||:|| सिंधिं श्री महाराजाधिराज महाराजाजी श्री
चरंण कुंमलांन बंदै षांनांजाद षाक पाय पंचोली जगजीवन दास लीषतं तसलीम बंदगी
अवधारजो जी |
aठा का स्माचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी का
सीष स्माचार सासता परसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी माइंत है घंणी है | श्री
परमेसुरजी की जायगां है | म्हे कंदीम षांनांजाद बंदा हां जी | पांन गंगाजल आरोग्यबा
का घंणां जतंन फुरमावजो जी | श्री पातस्याहजी श्री म्हाराजाजी सुं म्हेरवांन
है तीं कौ घंणी सुष मांनजो जी |
1| श्री म्हाराजाजी सलांमति - दरबार का स्माचार आगै पे दर पै अरजदासतां कीवी
है त्यां सै अरज पहंची हौसी जी |
1| श्री महाराजाजी सलांमति - जागीर की अरजी दीवांनीं दफतर सै तयार कराय अर
राय रायां को मीम (?) कराय अर राय रायां कै हवालै करी है अर हंमेसां राय रायां
सै ताकीद करां हां जू अंमीरुल उमराव नै अरजी दीषाय अर दीवांन आला को ऐन कराय
सीताब अंदर दाषल करु तीं सै राय रायां भी हंमेसा अंमीरुल उमरावजी कै अरजी का
दीषाबा कै वासतै आवै है | पण आगै तो अंमीरुल उमराव श्री पातस्याहजी सै सात आठ
रौज ताइं रुठ बेठा था मुजरै जाय न था तीं सै अरजी दीषाबा कौ वकत हुवो नंहीं
| अबै ठाकुर श्री स्यांम संघजी व साह अंणद रांम व षांनांजाद भांत भात सै अरजी
का कांम कै वासतै बजीद है | अरजी अंमीरुल उंमराव नै दीषायां पछै दीवांन आला
को ऐन होसी तठा पाछै अरजी अंदर श्री पातसाहजी का दसषतां नै दाषल होसी जी | सु
षांनांजाद भांत भांत सुं ताकीद करै है |
श्री महाराजाजी का तेज प्रताप सै सीताब होय आवै है जी |
श्री महाराजाजी सलांमति - ठाकुर स्यांम संघजी की मुलाजमति श्री पातस्याहजी
सुं आगै हुइ न थी सु अंमीरुल उंमराव मीती भादवा बदी 11 मंगलवार मुलाजमति करवाइ
नो व मोहर नजर करी सीरपाव व पदक व पांच सदी जात व दोय सै अस्वार इनायत कीया
बोहौत म्हैरबांनगी फरमाइं जी अर षीताब राव को दीयो जी |
1| श्री महाराजाजी सलांमति - श्री पातसाहजी का हुकंम सुं कुतबल मुलक नवाब
अबदुला षांजी मीर जुमला सै इषलास कीयो अर अंमीरुल उमराव सात आठ रोज तंइं श्री
पातस्याहजी कै मुजरो करबा नै गया न्ही | आप कै डेरै उठ बेठा रहा अर षांन दौरां
हंमेसा अंमीरुल उमराव नै स्मझाय अर श्री पातस्याहजी कै मुजरै ले गया श्री पातस्याहजी
अंमीरुल उमराव सै बोहोत म्हेरबांनगी फरमाइं | अर तसलै बोहोत करी अर मीर जुमला
नै अंमीरुल उमराव कै पांवा घालौ अंमीरुल उमराव मीर जुमला सै कुछि जबांनीं सै
सीसटाचार की ही नंही अर न पुठ उपर हाथ राषो गुंम साही रह्या जी |
श्री महाराजाजी सलामति - कबल की तरफ सै फीसाद की षबर आइं ती पर श्री पातस्याहजी
अंमीरुल उंमराव नै घंणीं दीलासा दे अर फरमाया जु तुंम बीनां उस तरफ का बंदबसत
होय नंहीं तुंम जावो जीस भांत अजमेर की तरफ का बंदबसत हुवा है तीं हीं भांत काबल
की तरफ की भी बंदबसत तुन सै ही होयगा | ती पर नवाब अंमीरुल उमराव काबल की सुबादारी
कबुल करी अर अरज करवाइं जु काबल व लहौर व कसमीर व ठठै व मुलतांन यां पांचां
सुबां मांहै सारै महारौ अषतीयार व म्हारो हुकंम रहै ज्यां नै जागीर दुं ज्यां
की तगीर करुं ज्यां का इजाफा दूं ज्यां का मंनसब बर-तरफ करुंसुं अषतीयार महारौ
रहै | सु या बात अंमीरुल उमराव की श्री पातस्याहजी मंनजुर करी सरौ अषतीयार अंमीरुल
उमराव को राषो अर फरमायो फौजबंदी साठ हजार स्वार की जोधपुर की तरफ थी सु बहाल
कीवी अर अर (sic!) चालीस हजार स्वार आगे ही काबल की तरफ नै तंइनात्र (sic!)
है | सु भी बहाल राष्या अर मंनसबदारां तंइं नात्रा सै सजावल ताकीद करै है |
जु तयारी काबल की तरफ का चाल बाकी करो सु ताकीद होय है ठाहरसी सु अरज करस्यां
जी |
1| श्री महाराजाजी सलांमति - अंमीरुल उंमराव श्री पातस्याहजी सै अरज कर अर
दाउंद षां पठांण नै भी आप की तंīनाती मै लीयो है जी |
मी॰ भादवा बदी 14 सबत 1771 |||||