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Vakil Report 195
||:|| श्री गोपालजी सहाय छै जी
|| श्री महाराजाधिराज महाराजा
जी श्री मीरजा राजा जै सिघजी
||:|| सिंधिं श्री महाराजाधिराज महाराजाजी श्री चरण कमलानु षानांजाद षाक पाय
पचोली जगजीवन दास लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का समाचार श्री महाराजाजी
का तेज प्रताप कर भला छै | श्री महाराजाजी का सीष समाचार सासता परसाद करावजो
जी | श्री महाराजाजी माइत हैं धणी हैं | श्री परमेसुरजी की जायगा हैं | म्हे
श्री महाराजाजी का षानांजाद बंदा छां | श्री पातसाहजी श्री महाराजाजी सुं महरबान
हैं | श्री महाराजाजी सुष पावजो जी | पान गंगाजल आरोगबा का घणा जतन फरमावजो जी
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| श्री महाराजाजी सलामत - षांनाजाद दरबार का समाचारां की हर रोज पै दर पै
अरजदासत करै छै सु नजर मुबारक गुजरता होसी जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - नवाब हसन अली षांजी सुं सरकार का व महाराजाजी श्री
अजीत सिघजी का मतालबां कै व फरमानां कै वासतैं अरज करी थी सु नवाब फरमाइ जु फरमान
तो तयार होते हैं सु तुम लो अर हम कुं जषमों सै फूरसत होयगी तब मतालब सब सरंजाम
कर देंगे सु दिन ऐक दोय मै फूरमान तयार होय छैं अर हजुर भेजुं छूं जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - मी॰ माह बदि 6 मंगलवार अरजदासत श्री महाराजाजी हजुर
भेज्यां पाछै पहर रात पाछली रह्यां पछै नवाब आसफ दोलाजी की अरजदासत श्री पातसाहजी
की नजर गुजरी जु मोजदीं व जुलफकार षां भाग कर यहां आऐ सु मै नै कैद कर मोजदीं
कुं तो सलेमगढ मै रषा अर जुलफकार षां कुं किले मै रषा है सु जु हुकम होय सु करूं
तीं पर अठै नोबत-बाजी अर सारा उमराव मुबारकबादी की तसलीमात बजाय लाया अर आसफ
दोलाजी नै दिलासा को फरमान चलो जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - कलान सिघ जादम नै श्री पातसाहजी हजुर भेजा था सु
यां भली बंदगी की अर लड़ाइ मै पातसाहजी का हाथी कै आगैं रह्या सु नबाब (sic!)
हसन अली षांजी यां सुं बहोत राजी छैं अर लड़ाइ कै दिन चुड़ामण जाट बहीर लूटी
ती मै या को सारो असबाब सारो लूटो गयो सु ये|वे बहोत बे-षरच छै जो यां नै अठै
राषणा होय तो मुतसदीया नै हुकम होय जु या की षरची की षबर लें अठै गीरानी कै
सबब कर यां कै चवदा रूपया रोज लागै हैं सु या तो मुतसदीया नै हुकम होय जु यां
की षरची की षबर लें जु अठा का षरच का ओघा सुं बर आवैं नहीतर हुकम सादर होय जुं
हजुर पहोचै जी |
| श्री महाराजाजी सलामत - मी॰ माह बदि 5 श्री पातसाहजी साह जहां पातसाह कै
मुकरबै पधारा था सु सारा स्हर (sic!) का लोग फीरयाद हुवा जु जेजीयो माफ होय
तब महतो छबीलै राम अरज की जु मेरै ताइ आगै जेजीये माफ होणे के वासतै हुकम हुवा
था सु आमेदवार (sic!) हु जु जेजीया माफ होय तीं पर जेजीयो माफ हुवो अर सारा
सहर मै ढंढोरो फिरो जु हजरत नै जेजीया माफ कीया |
| श्री महाराजाजी सलामत - बषत मल नै नवाब अबदुला षांजी साथ भेजो थो अर सहज
राम महाराजाजी श्री अजीत सिघजी की तरफ सुं गयो थो सु पहोच न सका ती सुं सिकंदरा
की सराय मै राह का षतरा कै सबब कर बैठ रह्या छै सु वां नै लिषो छै जु बदर को
देष आधा जांय जी |
मी॰ माह बदि 6 बूधवार सबत 1769 |||||