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Vakil Report 149
|| श्री महाराजाधिराज महाराजा श्री
|| जै सिघजी
||:|| स्वस्ति श्री महाराजाधिराज महाराजा श्री चरण कलमांनु षांनांजाद षाक
पाय पां॰ जगजीवन दास लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजौ जी | अठा का स्माचार श्री
महाराजाजी का तेज प्रताप थे भला छै श्री महाराजाजी रा सीष स्माचार सासता प्रसाद
करावजौ जी | श्रीजी माइत है धणी है श्री परमेसुरजी री जायगा है म्हे श्रीजी
रा षांनांजाद बंदा हां | पांन गंगाजल आरोगण रा जतन फुरमावजो जी |
| अप्रच दासजी ने भंडारीजी ले गया सु स्माचार तौ पै दर पै अरजदासतां की
है दासजी हजुर पोहचा होसी जी |
| फागुण सुदि 10 गुरवार जाहादार साह जहां साह रफी अ सां तीनु मोरचां मै
चढ षड़ा रहा अजीम उपर हलांकी तोपषानां की मार की अजीम भी चढ आप का मोरचां मै
षरो रहौ तीसरै पहर सलेमांन षां जहां साह का मोरचां उपर घोड़ा उठायां तोपषांनो
षोस लीयो फेर जहां साह घोड़ा उठाया सु सलेमांन षां फीरोज षां मेवाती बाज षां
का बेटा वगेरह फोज अजीम की दोड़ी थी सु मार ली जहा साह मोरचो अजीम को षोस लीयो
उठे ही महमद करीम कै गोलौ लागो तब महाबत षां भागो महाबत षां का भागण सुं अजीम
की फोज चली अजीम सुवार हजार दोय सु रह गयो तब हमा उ बषत नै व महल की सुवारी नै
बुनगाह का डेरां भेजी अर आप भी भागो तीर वा दोय तीन जाय फेर फीरौ इतरै गोलीं
लागी फोजां घेर लीयो जबती बेसु मार हुवा तब अमारी घेर जहादार साह की दोढी ले
आया सु घड़ी चार पांच रात गयां मुवो जहांदार साह की फते हुइ सब कै नोबतां बाजी
अजीम का डेरां उपर तो जहांदार साह का डेरा हुवा जहा साह कोस ऐक तफायत सुं उतरा
रफी अ-सां तफायत सु उतरा षजानां उपर अमीरल उमराव जाय उतरौ तोपषांनां का रहकला
तीन यां का लोग ले गया ओर अजीम को लोग भागो सु सहर मे आयो लसकर लुट गयो अब दुहाइ
सहर मे जहादार साह की फीरी अब तीनु उठै मोरचां मै है देषजे अब यां कै काइं (---)
कै सुल्ह ठहरी है (-------) अब त-(---)-
-र अमीरल उमराव को है जी | आज षां डेराय पड़्-(------) -र छत्रसाल बुदेला
को अजीम की साथ थो सु आये ती लड़ाइ का पै स्माचार कहा अर राजा गोपाल सिघ कै
इ भांत षबर आइ का-ल्ह षबर थी कोइ कहै थो भागो कोइ कहे थो कांम आयो ती की तो
दोय अरजदासतां रात ही चलाइ सु पोहची होसी ऐक जोड़ी घरु|धरु अजुरदार चला ऐक
अरजदासत राणांजी की जोड़ी की साथ चलाइ सु सांगानेर का मुतसदीयां ने रुको लिष
दीयो है वे कासीदां कने अरजदासतां ले हजुर भेजसी मुतसद्यां ने हुकम होय रहै
जो अरजदासत वे राह आवे त्-(-) ने षांनाजाद का लिष्या मवाफक रुपया दे अरजदासत
तुरत हजुर भेजै |
| आसफ दोला ने लिषणो होय सु लिषजे जुं अमीरल उमराव नै लिषै
| श्रीजी फते की मुबारकबादी की अरजदासत नजर भेजजौ जी | अमीरल उमराव नै षत
लिषजौ जी
| महाबत षां तो भागो सु नदी पार उतर गयो |
साह नवाज षां हमीद दी षां की षबर न्हे मारा गया क भागा साह कुदरतुला की
षबर न्ही राजा बहादर की कहै है जषमी भागो राजा उतम राम की षबर है सहर मे भाग
आयो राव सकत सिघ की षबर ठीक न्है | श्रीजी सलामत - लड़ाइ तरवारां की तो हुइ
न्ही बाण-गोलां सु दोय सै चार सै आदमी मारा गया अर महाबत षां भागो ती सुं
सब फोज च-ल-(---)-जीम मारै |
| अजीम मारा पछै षांनाजाद गजसिघपुरा का हवालदार सुं कही पातिसाही न-(-)
बेठे हे परवांना मवाफक रुपया दै तो अमीरल उमराव ने जाय मीलां फुरमान मनसब
षीताब जवाहर लां चोबदार ठोड़ ठोड़ कां नै दीजै तब कांम करण पाजे सु साफ जवाब
दीयो थां को हीमायती थो सु तो मारो गयो अब न जाणां थां ने पुरो होय क न्ही
जो ओर ने पुरो होय तो रुपया की पास लुं तब षांनाजाद बोहतेरी दीलासा की पण मांनी
न्ही ती सुं श्रीजी बेगी षबर लीजौ जी ढील न्होय बोहरो कोइ हे न्ही सब छीप छीप
रहा है अबार तो जी-य-(----) बेच दरबार साध सुं पण बेगी षबर लीजो जी |
| सुन्हरी-रुपहरी थेलीयां व लषोटा सीताब भेजजौ जी |
मी॰ फागुण सुदि 11 सुकरवार सं॰ 1768 दोपहरा कासीदा ने सोपा
ओर य्या कै दोय तीन दीन मै लड़ाइ य्या सुलह की चुक जासी अर दवाब का मुतसदी
आण लागसी ती सु उमैदवार हु जु दवाब को भी सरंजांम आवै जो लगै तो सरबराह करु
जी |
अरजदास्त पचौली जगजीवन दास मि॰ चैत बदि 9 कौ पहौची |||||