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श्री गोपालजी सहाय छै जी
|| श्री महाराजाधिराज महाराजा श्री
|| मीरजा राजा जै सिघजी
||:|| स्वस्ति श्री महाराजाधिराज महाराजा श्री
चरणकमलांनु षांनाजाद षाक पाय पां॰ जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदगी अवधारजौ जी | अठा का स्माचार श्री महाराजाजी रा तेज प्रताप थे भला छै | श्री महाराजाजी रा सुष स्माचार सासता प्रसाद करावजौ जी | श्री महाराजाजी माइत है धणी है | श्री परमेसुर जी री जायगा हे | म्हे श्री महाराजाजी रा षांनाजाद बंदा हां | श्री पातिसाहजी श्री महाराजाजी थे महरबांन है | श्री महाराजाजी सुष पावजौ जी | पांन गंगाजल आरोगण रा जतन फुरमावजो जी |
| अप्रच षांन नुसरत जंग आया सु षांनांजाद वा सुं मीलो सु स्माचार तो आगे अरजदासत कीया है | अब अमीरल उमराव व नुसरत जंग नै इलतमास दी ती की नकल भेजी है अर अमीरल उमराव ने पचास हजार रुपया देणां कर मीरजा राजा रो षीताब व हफत हजारी जात हफत हजार सुवार को मनसब लीयो | सु मुबारक होय जी | इकीस मोहर नजर षीताब की व मनसब की षांनाजाद की तरफ की मंजुर होय अर मनसब व षीताब व जोबत की मुबारक बादी की तसलीमात हजारां बजाय आयौ हुं जी | अब श्रीजी भी घणां आणद उछाह कीजौ जी | अब वतन का परगनां की अरजी हे सु भी दीन दोय मै अरज कराउं हुं जी | अब श्रीजी षरची की मदत कीजौ जी | जीणदास साह सुं अठै दमड़ी की गरज सरे न्ही रोकड़ आये के संतोषरांम इ ने मातबर हुडी भेजे तब काम सरै | षांनाजाद आप की परेसानी की कहां ताइं लिषे लसकर मे षांनाजाद उपरांत परेसान कोइ न्होसी ती सुं अब षांनाजाद की परतपाल श्रीजी ने करणी हे | अब अमीरल उमराव ने आधा परधा तो दीजे आधा फेर दीजेला अर सनद की तयारी ने परवांनां षरच नै षरची भेजजौ जी |
| जरुर की षबर मुबारकबादी की के वासते अरजदासत दोड़ाइ है पाछां सुं अरजदासत तफसीलवार भेजसुं जी |
सां॰ 1764 बैसाष सुद 10
| नुसरत जंग बेदारबषत पास ने रुकसत हुवो |
| अजीत सिघ म्हाराजा का बेटा ने पंज-हजारी जात पंज हजार सुवार कीयो थो सु लाष रुपया अमीरल उमराव नै देणां कीया तब महाराजा को षीताब कीयो हफत हजारी जात हफत हजार सुवार कीयो | लसकर मे दुसेरो नाज है | फुरमान मीरजा राजा का षीताब कौ व हफत हजारी जात हफत हजार सुवार को म्हाराज ने हुवो हे सु बेदारबषत पास भेजो हे आगे भी फुरमान यां पास ही भेजो हे |||||