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|| श्री महाराजाधिराज म्हाराजा
श्री राजा जै सिघजी
||:|| स्वस्ति श्री महाराजाधिराज म्हाराजा श्री
चरणकमलांनु षांनाजाद षाक पाय पा॰ जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदगी अवधारजौ जी | अठा का स्माचार श्रीजी रा तेज प्रताप थे भला छै |
श्री म्हाराजाजी रा सीष स्माचार सासता प्रसाद करावजौ जी | श्री म्हाराजा माइत है धणी है | श्री परमेसुरजी री जायगा है म्हे श्रीजी रा षांनाजाद बंदा हां जी |
| फागुण बदि 1 सुक्रवार गजर बाजतां श्री पातिसाहजी कौ वाकौ हुवो ती पर बेगम आज्म साह ने बद [अमावस्या] पहर रात गयां षबर दोड़ाइ ती पर अमीरल उमराव नै चीकलीच षां ने फुरमान आयो ज लसकर की षबरदारी राषजी हुं भी आउ हुं | ती पर सुद 1 पहर दीन चढतां अमीरल उमराव व चीकलीच षां आतस षां नौ षड़ौ कर गुलाल बाड़ ने जाय बेठा बेगम की दीलासा की हीदायत के सबां कांमबकस का वकील ने गुलालबाड़ मे नजरबंद कर बेठाय राषौ | सुद 1 तीसरा पहर ने सुलतान नजर संदल का तषता-ताबुत के वासते ले आयो सु बणाये हें बकसीयां ने आज्म साह कौ हुकम आयौ फोजबंदी तयार करौ सु तुमार तयार होय है | आज रात ताइं आज्म साह भी आसी ओर स्माचार होसी सु पाछां सुं अरजदासत करसुं |
| जीणदास साह कासीदां ने भी षरची दैन्है यां दीनां मे चाहजे दीन्मे (sic!) दोय जोड़ी चलै सु षरची को हुकम आये षांनाजादां ने षरची देन्हे ती सुं इ स्मे षरची की मदत होय नजर की हुंड़ी आइ थी सु जीणदास आप की दसत-गरदां सवाल की म (sic!) भर ली |
| षांनाजाद की सरम श्रीजी ने हे अब कुच दीन पाच सात मे होसी सामान कुछ न्हैं ती सुं स्व-सरम श्रीजी नै है | सां॰ 1763 फागुण सुदी सुक्र सांझ नै चलै |
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