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Vakil Report 86

|| श्री महाराजाधिराज महाराजा

|| श्री जै सिंघजी

||:|| स्वस्ति श्री महाराजधिराज महाराजा श्री चरण कमलांनु खांनांजाद खाक पाय पं॰ जगजीवन दास लिखतं | तसलीम बंदगी अवधारजौ जी | अठा का स्माचार श्री महाराजाजी रा तेज प्रताप थे भला छै | श्री महाराजाजी रा सीख स्माचार सासता प्रसाद करावजौ जी | श्रीजी माइत है धणी है श्री परमेसुरजी री जायगा है | म्हे श्रीजी रा खांनांजाद बंदा हां | श्री पातिसाहजी श्री महाराजाजी सुं महरवांन है | श्री महाराजाजी सुख पायजौ जी | पांन गंगाजल आरोगण रा जतन फुरमावजौ जी |

| महाराजा सलांमत - गाजी खां बहादर उरफ रुसतम दील खां बहादर नै मीती दु-भादवा बदि 8 सनवार केद कर लाहोर का कीला मै तोक जंजीर कर बेड़ी डाल कैद कीयो घर जबत हुवौ |

| महाराजा सलामत - गाजी खां बहादर नै दस हजार सुवार की फोज सुं गुरु की तबीह नै सलतंज (sic!) नदी उतर राह मे सुं हजरत रुकसत कीयो थो | सु तमाम मुलक का साहर गांव तो सब लुट लीया अर महमद अमी खां भी दस बारा हजार सुवार सुं गुरु की तंबीह ने था ओर सब फोजदार ज्मीदार तइनात था अब ताइं गुरु पहाड़ां मे रहो तब ताइं तो सारां मुलक पातिसाही सहर कसबा बंद करबा क-सा-ह कीया (?) | अब गुरु पहाड़ां मै सुं नीकसयां सुं दोय चार कोस का तफायत सु-डाबर की तरफ गयो तब गाजी खां सुं महमद अमी खां सुं तंबीह न हुइ गुरु यां के आगे होय नीकस गयो इसे खां पठाण जीला को है ती म्हमद अमी खां सु व गाजी खां सुं कही लड़ाइ डालो गाजी खां बहादर उहां सुं फोज स्मेत भागे सु हजुर सुं दस कोस ठोड़ रही तहां सु अरजदासत की ज केतेक मतलब जरुरी है सु रु-ब-रु अरज करने के है इस वासते हजुर कदम-बोसी कर जहां हुकम होय तहां जाउं हुकम हुवा गुरु कै सीर की साथ आयोगे तब कदम-बोसी होयगी अब भी फीर जा मतलब होय सु अरजी कर भेज गुरजदार पोहचण पायै ही न्ही क सांझ कुं लाहोर सहर मै आये फोज कोइ पोहची कोइ न पोहचीया अरज हुइ तब महाबत खांजी इसलांम खां तोबखाना का दारोगा ने मुखलस खां नै कोतवाल नै हुकम हुवो कैद कर ले आयो सो भादवा बदि 7 सुक्रवार सब फोजां जाय देड-पहर रात गयां सहर का पास सुं कैद कर ले आया आधी रात का अमल मे कैद कीयां ले आपण की अरज हुइ तब आधीरात ताइं तो गुलाल बाड़मेर होसयार हुयां बेड़ी डाल पालकी मे बेठाय सब लसकर देखो साहर का कीला मै कैद कीयो कबीलो सुहाग-पुरै भेजण को हुकम हुवो माल मताह सब जबत हुइ इसलांम खां तोबखांनां को दारोगो साहर का कीला मै कैद कीयां बेठो है सब फोज पर ऐतराजी है बोहत बर तरफ होसी ओर भी कइ केद कीजैला सु पाछां सुं पै दर पै अरजदासतां करसुं जी |

| महाराजा सलामत - महमद अमी खां की खबर है गुरु कै पाछै लगो गयो है

| महाराजा सलामत - इसा मे जौ खातर मुबारक मे आये अर महाराजा अजीत सिघजी की मसलहत मे आये तो दोड़ पहाड़ मे बेठण न दीजे अर पकड़ लीजे तो बडो मुजरो होय बडो मरातब होय जी |

| भादवा बदि 5 गुरवार महाबत खांजी कै मीज्मानी हीदायतुला खां की हुइ पहर दीन रहां सुं भंडारीजी दीवानजी खांनाजाद व राणांजी का छत्रसाल बुदेले के मुतसदी सब महाबत खाजी के जाये (--)-ठ रहै महाबत खांजी पहर दीन रहां सुं हीदायतुला खांजी का मुनतजर बेठा रहा सु पहर रात गयो हीदायतुला खांजी आया हमीदुदी खांजी यां की रदबदल मे हे सु घड़ी (-) चार-(---)

गयां आये पीछै तीनु मील ऐक चबुतरे पर बेठे पहर रात गयां पछै नवाब सब ने बुलाया हीदायतुला खांजी को जुदो जुदो मुजरो करायो नो नो रुपया सारा नजर कीया दोय दोय रुपया राखा सब की दीलासा की जी दीया नजीकी दीलास करी हमीदुदी खांजी की नो नो रुपया नजर कीया कही का राख्या न्ही खेलनां का मोरचां मे था सु वो मजकुर कीयो इखलास जाहर कीयो खांनांजाद भी या मोरचां मे थो सु म्हाराज का इखलास की अरज की घड़ी ऐक बेठाय रुकसत कीया अब दीन ऐक दोय मै सब हीदायतुला खांजी के डेरे जासी जी |

| खांनाजाद हीदायतुला खांजी के हाजर रहै है श्रीजी को बोहत इखलास जाहर करै है जी |

| कीरपाराम हीदायतुला खांजी को पेसदसत है ती की मारफत चार महीनां सु रदबदल है वै (यै ?) सुं दीवानजी मीलाये सब बदगी की अरज की सु दीवानजी अरजदास करसी जी |

| लाहोर का जैसिघपुरा का मुतसदीयां ने खांणादार जहांदार शाहजी का ले दीया फील खांनो मनै कराय दीयो पुरा मै आज ताइं खेर सलाह है |

| कोकलताशा खां का बाग की हीडोला की बोहत महाफजत होय जी |

| महाराजा सलामत - गज सिघ व साह मनोहर दास इजारां की मुकरर करे हे सु महाराजा सलामत - जेतपुरा की व गाजी का थणां की ठीक पड़ै है ओर भी परगनां लेसां जी | साहुकार की जामनी भेजजै जुं पटा लीखायला जी |

| नारनोल की नीयाबत की रदबदल ठहरती दीसे हे आगे नायब दे हे ती सुं इजाफा दीया व खरच दीया ले सकजै जी के नाव हुकम होय ती के ही नाव सनद करायां सब हकीकत गजसिघ साह मनोहर दास अरजदासत करसी जी |

| सां॰ 1768 6 भादौ बदि 9 रय गजर बजतां रयब गजर बजतां |||||