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Vakil Report 266


1|| श्री गोपालजी सत्य है जी

श्री महाराजाधिराज महाराजाजी

श्री मीरजा राजा सवाइं जै संघजी

||:|| सिंधिं श्री म्हाराजाधिराज महाराजिजी श्री | (-----)

कुंमलांन षांनांजाद षाक पाय पंचोली जगजीवन दास (---)

-म बंदगी अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री महाराज (----)

तेज परताप कर भल है | श्री महाराजाजी का सीष स्माचार (----) परसाद करावजौ जी | श्री महाराजाजी माइत है घंणी है | श्री (---)-र जी की जायगां है | म्हे षांनांजाद कदींम बंदा हां जी | श्री (---) जी सुं श्री पातस्याहजी म्हेरबांन है | श्री म्हाराजाजी (---)-जो जी पांन गंगाजल आरोग्यबा का घणां जतंन फुरम-(---)

1| श्री महाराजाजी सलांमति - दरबार का स्माचार आगै (----)

-जदासतां करी है त्यं सै अरज पहंच्या हौसी जी |

1| श्री महाराजाजी सलांमति - तत मै तलब मै परगनै वजी-(---)--पंडायंण (?) व परगनै उदेही मै दांम ऐ तीन महाल ठाहर्य त्यं की तफसीलवार स्माचार आगै अरजदासत करी है | सु अरज पहंच्या होसी जी | षांनांजाद यां परगनां की अरजी के वासतै राय रायां सै बोहोत बजीद है | श्री पातस्याहजी के व अंमीरुल उमराव कै रुठा-राठी होय गइं तीं का सबब सै अरजी दाषल न हुइं जी | अबै अंमीरुल उंमराव मंन्यां है सीताब नवाब सै अरज कर अरजी दाषल श्री पातस्याहजी का दसषतां नै करांवां हां जी |

1| श्री म्हाराजाजी सलांमति - दीवांन तुलारांम नै सीरपाव भेजो थो सु चोधरी दीयो जी |

1| श्री म्हाराजाजी सलांमति - नवाब अंमीरुल उमराव ठाकुर स्यांम संघजी सै व चोधरी जगरांम सै श्री महाराजाजी नै दषंण की तरफ हंमारा ही लेण की रदबदल करी तीं का स्माचार तफसीलवार ठाकुरां की व चोधरी की अरजदासत सै मालुंम होसी जी |

1| श्री महाराजाजी सलांमति - मवाफक हुकंम कै होसदार षांजी को इंजाफो पांच सदी जात कौ होय आयो है अर ओर मतालब अंमीरुल उमराव का रुठबा सै रहै गया है | सु अबै जीं भांत हूकंम है तीं भांत भांणां भी कराय ल्यंहां जी |

1| श्री महाराजाजी सलांमति - हसबल हूकंम नवाब की मोहर सै सारा मंनसबदारां के नांवै होय आया है | ऐक राजा सत्रसालजी कै नाव कौ नवाब कबुल न कीयो ती सुं न हुवौ जी |

1| श्री महाराजाजी सलांमति - दषंण की सुबादारी अंमीरुल उंमराव कै नांव ठाहरी तीं का स्माचार तफसीलवार आगै अरजदासत करी है | सु अरज पहूंच्या हौसी जी | तब पछै अंमीरुल उंमराव श्री पातस्याहजी कै मुजरै गया था षीलवत थी श्री पातस्याहजी फुरमायौ जु अंमीरुल उंमराव दषंण का मुलक मै सीकार सै षांनांजाद का जोक है हजरत षुलद-मकां का अहैद मै षांनांजाद उहां चीतां की सीकार बहौत षेल्या है | जदी श्री पातस्याहजी फुरमायो जु दषंण का मुलक षूब है अर सीकार षुब है अर मुलक जरषेज है अंमीरुल उंमराव थे जावो हो सीकार षेलौगे मुलक की सैर करौगे म्हे अर कुतबुल मुलक इंहां इनायत करी है | जदी अंमीरुल उमराव बरहंम होय अर अरज करी जु हजरत सलांमति दषंण का मुलक जरषेज है तो मुजै जर सुं मतलब कुछि नंहीं मुजै हजरत का कदमां सुं कांम है मंनै दषंण का सुबा कबुल नंही इं तरीक है अर बीनां रुषसत हजुर सै पाछो फीरी अर डेरा नै आबा लागौ | जदी षांन दौरां राह मै आय पकड़ौ घंणां हीं नोहोरा कीया पंण अंमीरुल उमराव पाछा फीर्या नंहीं डेरै आया | श्री पातस्याहजी भी उठ अंदर गया अर सीताब षास दसषतां सै रुकै लीषो तीं मै लीषौ जू जो कुछि फुरमाया है सु अजराह तफजल कै फरमाया है अर नजाकत कै राह कह्या है तो काफुर होयगा थे आपणीं षात्र-ज्मां राष हजुर आवै | इ भांत का रुका घंणां ही भेज्या अर कुतबुल मुलक व षांन दोरां ने डेरै उठा बेठा रहा जदी फेर पातस्याहजी रुको लिषो जु तारीष 19 रंमजांन सालगीरहै है तीस का जसन अंमीरुल उंमराव आवैगा तो होयगा नंहींतर न होयगा अर का अंमीरुल उमराव आवै का हंम उंन कै डेरै जांवां अर कुतबल मुलक सै फुरमायो जु थे तो म्हारा कीबलगाही हौ आप का कीबलगाही सुं भी कोइं नजाकत करै है | इं भांत ओर भी षुस्यांमद करी तीं उपर कुतबल मुलक व षांन दौरां आय स्मझाय अंमीरुल उमराव नै हजुर ले गया | जदी अंमीरुल उमराव हजुर आय अरज करी जु दषंण का मुलक जरषेज है मुजै दषंण का सुबा कबुल नंहीं जदी श्री पातस्याहजी फरमायो जु म्हां का हुकंम से थे जोधपुर गया था अर दषंण भी म्हां का हुकंम सुं कबुल करी है जावौला हीज सु अबार ताइं सात आठ रोज हुवा रुठा राठी होय रही है ठाहर्यां सै अरज लिषस्यां जी |

1| श्री महाराजाजी सलांमति - मीर जुमलै अजराह इंनाद अरज करी जु सैद झुठा है हंमेसा रुठा राठी करै है | अर हजरत मंनांवै है सैदां सै फरमाइंजै जु म्हाराजा अजीत संघजी की बैटी (sic!) का डोला आवै था | सु कहां है नीसबत करणीं है तो कंवर अभै संघ आय सालगीरहै का जसन मै नीसबत कीयां की तसलीमात बजाय लावै तीं उपर श्री पातसाहजी अंमीरुल उमराव नै कहाय भेजो जु म्हाराजा की बेटी की नीसबत की सादी अरज सालगीरहै मै होय कंवर नै कहाय भेजो जुं आज आय नीसबत कीयां की तसलीमात करै ओर भी लोग बंदा तसलीमात करै तीं पर नवाब कंवरजी नै कहाय भेजो कंवरजी आय तसलीमात करी अर गजो व षुसबोय कंवरजी कै लगाया ओर भी बंदां नै षुसबोय पांन इनायत हुवा नीसबत होय चुकी कंवर जी नै श्री पातसाहजी डाबो 1 जवाहर कौ रुपया हजार बारै की कीमत को इंनायत कीयो जी |

1| श्री महाराजाजी सलांमति - श्री पातस्याहजी सुं अरज हुइं जु पदंम संघ राजा सत्रसाल डंगा का बेटा नै फीसाद उठाया है | झंडा लाल षड़ा कीया है तीं पर हसबल हुकंम अंमीरुल उमराव की मोहर सुं श्री म्हाराजाजी कै नावै हुवो है | जु या बात साच है तो उस कुं तंबी पहंचावै सु ओर कोइं फीसाद न करै सु चोधरी कै हवाले कीयो है जी |

मीती आसोज सुदी 12 सं॰ 1771 |||||