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Vakil Report 171

|| श्री महाराजाधिराज महाराजाजी

श्री मीरजा राजा जै सिघजी

||:|| सिंधिं श्री महाराजाधिराज महाराजाजी श्री चरण कमलानु षानाजाद षाक पाय पंचोली जगजीवन दास लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का समाचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी को (का ?) सीष समाचार सासता परसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी माइत हैं धणी है | श्री परमेसुरजी की जायगा हैं | महे (sic!) श्री महाराजाजी का षानांजाद बां (sic!) हां | श्री पातसाहजी श्री महाराजाजी सुं मेहरबांन हैं | श्री महाराजाजी सुष पावजो जी | पान गंगाजल आरओगबा (sic!) का घणा जतन फरमावजो जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - आगै अरजदासत श्री महाराजाजी हजुर भेजी है सु मुफसल नजर मुबारक गुजरी होसी जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - श्री पातसाहजी जनानां सुधा नवाब अमीरल उमरावजी कै डेरै आया दोय दीन तक रह्या दोय दीन उठै ही दरबार फरमायो रात नै उठै ही रह्या तीसरै दिन दरबार कर साम नै किला मै पधारा नवाब अमीरल उमरावजी पर बहोत नवाजस करी ती की हकीकत वाका की फरद सै अरज पहोचसी जी | नवाब आसफ दोलाजी भी तीन दीन नवाब अमीरल उमरावजी कै डेरै रह्या |

श्री महाराजाजी सलामत - फरूष सेर तैमुर बेग नामे मुगल नै गाजुदी षां को षीताब दे अर हफत हजारी हफत हजार सुवार को मनसब कर बीस हजार सुवार की जमयत सुं बीदा कीयो जु बंगाला को व उडेसा को षजानो ले आवै सु तैमुर बेग उठै गयो मुरसद कुली षां बंगाला को दीवान ती कै अर तैमुर बेग कै लड़ाइ पड़ी मुरसद कुली षां तैमुर बेग नै पकड़ कैद कीयो अर फोज नै सकिसत दी अर हजुर नै बंगाला का षजाना सुं पांच लाष रुपयां की हुंडी भेजी अर अरजदासत करी जु गाजुदी षां नामे फरष सेर की तरफ सुं यहां का षजाना लेणे कुं आया था सु हजरत के इकबाल सुं फोज कु सकिसत दी अर उस कुं पकड़ कैद कीया अर अब फरूष सेर पर सुवारी करता हुं हजरत के इकबाल सुं गनीम कुं पकड़ लुंगा हजरत षातर जमां सुं साहजहानाबाद मै बैठे रहै गनीम कुं पकड़ हजुर लावता हुं |

| श्री महाराजाजी सलामत - अब दु-लाषां की अरजदासतां आवै है अब दु-लाषां मतलब लिष दीया सु मनजुर हुवा अर अब दु-लाषां को व वै का बेटा को मनसब कीयो परयाग को सुबो वा ही कै नांव मुकरर कीयो अर वै की जागीर का परवानां कराय भेजा जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - (---) जहानांबाद मै छबील दास (---)-म-ह-ता दया राम को भाइ फरूष सेर की तरफ सुम् थो सु करुरो जहानांबाद नवाब अमीरल उमरावजी की जागीर है |

सु नवाब पांडे बिके का पोतां नै उठै भेजा जु बंदबसत जागीर को करै अर उठा को षजानो ले अर वै सु वै उठै गया छबील दास भाग गयो अर पांडे बिके का पोता उठा को बंदबसत कर षजानो ले नवाब अमीरल उमरावजी कनै ले आया जी |

श्री महारांजाजी सलामत - महमद अमी षां नवाब अमीरल उमरावजी नै लिषो जु गुरू का लोगां साढोरा कै मुतसल श्री पातसाहजी का डेरा था जठै गढी बणाय थाणो कायम कीयो थो तद मै अपणी जमयत सुं सुवार होय गया अर इन सु लड़ाइ डाली सु हजरत के इकबाल सुं सब आदमी गुर का गढी मै था सु कतल कीया अर अब लोहगढ जाता हुं गुरू सुं लड़ाइ डालुंगा हजरत के इकबाल सुं सीताब मुफसद कुं कैद कर लेता हुं |

| श्री महाराजाजी सलामत - दाउद षां को दीवान दषण सु बिदंनुर की राणी की व सोंधा का राजा कि व चंदा का राजा की व चंदी चंदावल वगैरह जमीदार दषण कां की पेसकस ले हजुर आयो अर नवाब अमीरल उमरावजी सुं मीलो है सुणजे है जु पचास लाष रुपयां की हुनां पातसाही षजानै व सो-हाथी व जवाहर लायो अर अमीरल उमरावजी की जागीर दषण मै है सु उठा को षजानो ले आयो अमीरल उमरावजी सरोपाव दीयो अबै श्री पातसाहजी की मुलाजमत करसी जी | श्री महाराजाजी सलामत - काबुल का सुबैदार की अरजदासत श्री पातसाहजी की नजर गुजरी जु दस लाष रुपया इनायत हुवा था सु अठा का लोगां की तलब मै दीया पण लोगां की तलब बहोत चढी है ती सुं लोग बे-दिल है ती पर हुकम हुवो जु बीस लाष रुपया ओर भेजो सु बीस लाष रुपया ओर भेजा जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - श्री पातसाहजी सिकार कै वासतै जै इ ती का (?) महलां पेसषानो भेजो है सु अब तक पेसषानो षड़ो छै तुरत हजरत पधारा न छै देषजे आप जाय या पेसषानो फेर मंगावै जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - ऐतकाद षां नवाब आसफ दोलाजी को पोतो ती नै नारनोल की फोजदारी है सु यां उठै जाबा की तयारी की है दीन दोय य तीन मै चालसी सु षानाजाद यां का मुतसदयां सुं मिल अर रदबदल करी तब यां कहो जु हम वहां जाते है जो श्री महाराजाजी सुं अर हम सुं करार षड़ैगा सु करेगे |

| श्री महाराजाजी सलामत - माफक हुकम कै इतरा उमरावां की जागीर सरकार मै इजारै ली त्यां का पटा लिषाय लीया अर कबुलीयत दुली चंद का दसषतां साह नैनसुषजी का नाव सुं लिष दीं उमेदवार हुं जु साहुकार मातबर की जामनी इनायत होय अर साह नैनसुषजी की मोहर भेज दीजे जुं जामनी वां नै सौंपां अर पटा हजुर भेजां जी | अर कबुलीयत वां कै हवालै कां सब उमराव (-) गोबंद राय पाणीपथ या की जामनी मांगै है सु उमेदवार हुं जु इसा साहुकार कै नांव जामनी इनायत होय जु वो गोबंद राय पाणीपथ या की नीसां कर दे अर ओर साहुकार की जामनी मांगै तो वै की नीसां कर दे ती सुं इसा साहुकार कै नाव हुकम आवै जु जी साहुकार का जागीरदार नीसा मांगै वै की नीसां कर दे जु वै साहुकार का नां सु जागीरदारां की नीसां कराय दां जी |

| जागीर सुजा-अत षांजी को पटो लिष दीयो षरीफ सुं

प्र॰ अमरसर सी माहो इजारो नीम-माहो षरच मुतसदयां को |

प्र॰ भैराणो चो माहै इजारो नीम-माहो षरच मुतसदया को |

प्र॰ मोजाबाद चौ-माहो इजारो नीम माहो षरच मुतसदयां को |

नगीनो सरकार ति-जौ-(---) चो-माहो इजारो नीम-माहो षरच मुतसदया को |


जागीर हसन षां व चीगता षां की 7000000 दाम परगनां लाल सोठ इजारो सी-माहो पटो लिष दीयो सु अमरसिघ की अरजदासत मै हजुर भेजो है सु नजर मुबारक गुजरसी इ ही भांत सारां का पटा लिष दीया अर वै की कबुलीयत साह नैनसुषजी की मोहर वासतै हजुर भेजी है सु मोहर होय सीताब इनायत होय जी अर साह नैनसुषजी की मोहर क ही मातबर कै हाथ अठै भेज दीजे जुं जां जांनै (?) कबुलीयत लिष दां तां पर मोहर कर द्यां जी अर वां का मुतसदी अमर संघ कनां सुं चार हजार रुपया षरच मागै था सु षानाजाद दुली चंद नै रदबदल मै माल दोय हजार रुपया छुड़ाया अर दोय हजार रुपया चुकाया अर सी-माहा मै भी नानकार व इनाम मुकदमी वा सु भर लेणा ठहराया |


| जागीर इषलास षां प्र॰ महमदाबाद उरफ गाजी को थाणो इजारो दसतुर वली महमद |


जागीर राय घासी राम हीदायत केस षां वाका नीगार कुल को पेसदसत ती की प्र॰ मोजपुर सरकार अकबराबाद इजारो सी-माहो पटो लिष दीयो |


| जागीर मुलतफत षां मा॰ जैतपुरो इजारो दसतु बैसी संघ पटो लिष दीयो |


जागीर जमाल महमद वगैरह मनसबदार 400000 दाम बणहटा मै इजारो सी-मोहो (sic!) नीम-माहो षरच मुतसदयां को पटो लिष दीयो |

श्री महाराजाजी सलामत - पातसाहजादा अयजुदी की जागीर व षान जहा बहादर की जागीर व आजम षां बहादर की जागीर व षान दोरां बहादर की जागीर व षान जहां बहादर का बेटां की व षान दोरां बहादर का बेटा की जागीर मेवात मै है सुं सारां का इजारा की रदबदल षान जहां बहादर का मुतसदयां सुं है आजम षां का मुतसदया तो इजारो देणो कबुल ही न कीयो अर षान जहां बहादर का मुतसदीया सुं नीम-माहो षरच देणो कीयो ती पर वां षान जहां बहादर नै भात भात समझाय इजारो देणो कबुल करायो अर षान जहां बहादर को श्री महाराजाजी सुं इषलास करबा नै दिल भी थो अर हामद षां की मारफत षानाजाद सुं रदबदल कराइ ही थी ती की हकीकत आगै अरजदासत की है सु नजर मुबारक गुजरी होसी जी | षान जहा बहादर चाहै है जु हर भांत श्री महाराजाजी सुं सलुक कीजे अर काम आप की मारफत करजे ती सुं षानाजाद पर बहोत मेहरबानगी बहोत करै है | अब हामद षां की मारफत रदबदल होयली सु पाछां सुं अरजदासत करसु जी | षान जहां बहादर की व वां का कबीला की जागीर का इजारा की यां का मुतसदया मै फैसल हुइ ऐक कहैं हैं जी घड़ी था कै जामनी आवै ती घड़ी थां नै सब की जागीरां का पटा लिष द्यां ती सुं सीताब जामनी इनायत होय जी | श्री महाराजाजी सलामत - तमाम वतन कै पास यां ही की जागीर है या सै चुक्यां सब अकबराबाद की तलहटी सु ले मेवात की तलहटी क सब परगनां यां कै है सु यां सुं चुक्यां कुछ झगड़ो न रहैलो अर मुतफरकात जागीरदार वतन कै पास होयला सु यां की जागीर इजारै दीया की सुण सब इजारै देला |

| श्री महाराजाजी सलामत - परगना झरको पेरोजपुर पातसाहजादा अयजुदी की जागीर वां का मुतसदया सु इजारै लेणो ठहरायो है सु अमर सिघ नै वां का मुतसदयां सु रजु कर दीयो है सु अमर सिघ कै अर वां कै रदबदल है जी की हकीकत जैसी होसी वैसी पाछा सुं अरजदासत करसुं जी अमर सिघ सुं न चुकसी तो षांनाजाद चुकाय भेजसी जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - अबार पातसाही का लोग जाणै है जु राजां की सुलह न होयली जु हाथ आवै सु लीजे ती वासतै षोफ-रजा सुं लोग देहै अर आपां नै पातसाही बंदगी करणी है इ बीर-यां मै जेता परगना इजारै ले चुकजेलो ती का पटा लिषाय लीजेला सु तो तीन बरस तकसर कार का तसरफ मै रहैला अर जो परगना वतन कै आस पास का इजारै न लीजेला सु पातसाहजी सुं सुलह हुवा पाछै जागीरदारां को अषतयार होयलो इजारै दे भी न भी दे ती वासतै ओर मसलहत पछै कीजे पहली या मसलहत मुलक दाब बाकी है सु कीजे जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - श्री महाराजाजी षान जहां बहादर नै षत भेजो थो सु अमर सिघ गुजरानो षान जहां बहादर का इषलास की हकीकत अमर सिघ की अरजदासत सु अरज पहोचसी जी | अठा ताइ तो षान जहांदर नै इषलास मै लायां हां पण श्री महाराजाजी भी षान जहां बहादर नै इषलास को षत इनायत फरमावजे जी |

श्री महाराजाजी सलामत - हामद षां को व चंदेरी का राजा को षत (--------)