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Vakil Report 168

|| श्री महाराजाधिराज महाराजाजी

श्री मीरजा राजा जै सिघजी

||:|| सिंधिं श्री महाराजाधिराज महाराजाजी श्री चरण कमलानु षानांजाद षाक पाय पंचोली जगजीवन दास लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का समाचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी का सीष समाचार सासता प्रसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी माइत है धणी है | श्री परमेसुरजी का जायगा है | म्हे श्री महाराजाजी का षानांजाद बंदा हां | श्री पातसाहजी श्री महाराजाजी सुं महरबांन है | श्री महाराजाजी सुष पावजो जी | पान गंगाजल आरोगबा का घणा जतन फरमावजो जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - परवाना षानांजाद नवाजी का मीती भादवा बदी 11 नै इनायत हुवा तंमाम सरफराजी व षानांजाद नवाजी हुइ तसलीमात बजाय लाय सीर चढाय लीया जी | सांभर का वगैरह मुकदमां कै वासतै लिषो थो सु परवानो बजनस राजा सभा चंद नै दीषायो राजा सभा चंद परवानो पढ नवाब अमीरल उमरावजी नै दीषायो नवाब परवानो आप पास राष्यो अर कह्यो जु परवानां श्री पातसाहजी की नजर गुजरानैगे सु नवाब परवानो श्री पातसाहजी की नजर गुजरानसी जी ती की हकीकत पाछां सुं अरजदासत करसुं जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - हुकम आयो जु परगनां महमदाबाद की इषलास षां का मुतसदयां सुं अठ माहा की रदबदल ठहराय अरजदासत करजो जुं हजुर सूं जांमनी इनायत होय सु श्री जी सलामत - इषलास षां वली महमद कनै आदमी भेजो है जो उठा सुं जुवाब आयो जु यहां तो मीरजा राजाजी को अमल है मेरैं पास रुपये देणे कुं नही तो इषलास षां का मुतसदयां सु देणो कीयो है सु वै कहै है जु वली महमद को जुवाब आयो तो इजारो ठहराय देस्यां सु महमदाबाद का इजार की वली महमद को जुवाब आयां ठीक पड़सी जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - इषलास षां का गुजसता का तीन गावां का इजारा का रुपयां कै वास्तै हुकम आयो जु मुतसदयां नै हुकम हुवो है जो कुछ हीसाबी नकसै सु देवै सु इषलास षां षानांजाद सुं ताकीद करै है उमेदवार हुं मुतसदयां नै मुकरर हुकम होय जु वै की तीन गांवां का इजारा का रुपया हीसाबी नकसै सु भेज दें जी |

श्री महाराजाजी सलामत - षंनाजाद सुणी जु कंदी बेग नामै मुथरा को फोजदार तीन च्यार हजार सुवारा की जमयत सु चुड़ामन जाट का इतफाक सुं प्रगनां बोहरी (षोहरी ?) का बंदबसत वासतै आयो चाहै है ती सुं षानांजाद बोहरी का इजारा की रदबदल आजम षां का मुतसदयां सु करै है जो कुछ ठहरसी सु पाछां सु अरजदासत करसुं जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - अणद राम कछवाहा को वकील नवाब अमीरल उमरावजी कनै फीरयाद हुवो जु लवायण मै मीरजा राजाजी झुंडा कायम हुवा अर तमाम महसुल उठा को मीरजा राजाजी का मुतसदी मुतसरफ हुवा ती पर षानांजाद नै नवाब अमीरल उमरावजी फरमायो जु तुम मीरजा राजाजी कुं अरजदासत करो जु अणद राम बादसाहजादे की साथ है अर तुम नै उस की जागीर मै अपणा दषल कीया है सु यह बात षुब नही अब अपणे लोग उथाय मंगावो अर उस के लोगो कुं लवायण मै अमल दो षानांजाद रुषसत होय राजा सभा चंद कनै आयो इतरा मै अणद राम को वकील भी आयो तद राजा कह्यो जु तुंम अर ऐ अब अपणी रदबदल करो तद अणद राम कै वकील लवायण सुं वाको मुतसदी है वै अणद राम नै लिषो थो जु पांच कु-(---) मीरजा राजाजी का लोगो ले गया अर तमाम बाग का रुंष आबैर पहोचाया सु भी दर गुजर करी अब आण घर को दरवाजो घेरो है अर हासल इ साल को मांगैं हैं ती सुं अठै जोहर की तयारी हुइ है सु वै का कागद काढ दीषाया अर कह्यो जु हम नै बहाली के परवाने कराय भेजे तीस सुं मीरजा राजाजी ऐतराज होय कह्या जु परवानां बहाली का कुं कराय भेजा तीस सुं अपणे लोग भेजे हेइ ती पर अणद राम पातसाहजादाजी कना सुं रुषसत मांग हजुर नै आवै है सु नवाब अर राजा सभा चंद अणद राम का लोगां नै अमल देबा वासतै ताकीद करि है पछै जो षातर मुबारक मै आवै सु फरमावजे जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - सरफराज षा बादस्याहजादा अयजुदी (sic! i.e. Azz-ud-Din) को दीवान षान जहां बहादर नै लिष्यो जु झरका (---)-जपुर बादस्याहजादेजी की जागीर मै है सु मीरजा राजाजी कुं इजारै दीया था सु बारा हजार रुपये तो गुजसते के मीरजा राजाजी की सरकार मै बाकी है अर वहां की-रयत फरयाद आइ है जु मीरजा राजाजी के लोग हम पास सु झंझ लेते है अर हम कु लुटते है तीस सु या तो तुम मीरजा राजाजी की सरकार सु इजारा छुड़ावो नही तो हम पातसाहजी आगै फरयाद कर झरका परोजपुर बादसाहजादै की जागीर सुं तहीर करावैगे तीसं सुं हम मीरजा राजाजी सुं इजारा छुड़ाया चाहते है अर आमल अपणा भेजते है सु तुम मीरजा राजाजी कुं लीषो जु हमारे आमल कु अमल दे अर गुजसते के इजारे के रुपयो की नीसां करै सु षांन जहां बहादर या बात पातसाहजी सुं अरज पहोचाइ पातसाहजी फरमायों (फरमायां ?) जु मीरजा राजा के वकील कुं कहो जु मीरजा राजा कुं लिषै जु पातसाहजादे के आमल कुं अमल दे अर बांकी के इजारे के रुपयो की नीसां करै ती पर षान जहां बहादर षानांजाद नै बुलाय या हकीकत कही तद षानांजाद कह्यो जु वहां की-रयत मुफसद है अर तुमारे लोगो कुं हाथ उठाया हासल दे है अर चाहै है सब हासल हम ही षाय जायं अर हमारा नांव ले इस वासतै झुठी जाय फरयाद की है जु मीरजा राजाजी सुं इजारा छुड़ावो जो तुम हम सु इजारा छुड़ावोगे तो वहां के लोग ऐसे मुफसद है जु हासल षाय जांयगे मुफसदी करैगे अर हमारा नांव लेगे जु मीरजा राजाजी ले लोग षाय गये पीछै तुम हम कुं दोस दोगे तो हमारा चारा नही ती पर षान जहां बहादर सुं रदबदल है जो ठहरसी सु अरजदासत करसुं जी |

श्री महाराजाजी सलामत - परगनां टोक बलाल सो (-) ट का इजारा की रदबदल राय नोनध की मारफत ठहरी है ती की हकीकत आगै अरजदासत करी है | सु नजर मुबारक गुजरी होसी जी | अबै साहुकार मातबर की जामनी इनायत होय अर नीम-माहो षरच साल ब साल ठहरायो है ती की नीसां इनायत होय तो कबुलीयत पटो लिषाय ल्यां जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - जैतपुरो मुलतफत षां की जागीर मै है सु वै सु रदबदल कर मनोहर दास संघी की मारफत इजारो व षरच ठहर्यो थो वै माफक ही ठहरायो छै उमेदवार हु जु अबै साहुकार मातबर की जामनी व षरच की नीसां इनायत होय तो सरकार मै इजारै ले चुकां जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - मोजाबाद वगैरह परगनां सुजाअत षां की जागीर मै है त्यां की हकीकत आगै अरजदासत करी है सु नजर मुबारक गुजरी होसी जी | सुजाअत षां नै सुं सुकरला षां या परगना को छह माहो देणो कबुल कीयो है सु सुजाaत षां सुकरला षां नै लिषो है जो वै छह माहो कबुल कीयो तो चुकी नही तो षानांजाद मोजाबाद को चो-माहो अर ओर परगनां को तीन-माहो मांगै है अर नीम-माहो षरच वै का मुतसदयां नै देणो कीयो है वै कहै है सुकरला षां को जुवाब आया कम-बेस ठहराय देस्यां |

| श्री महाराजाजी सलामत - इ हंगां मै उठी का जागीरदार जाणै छै जु सुलाह होसी अर मुलाहजो भी षांय छै जो साहुकार की जामनी आवै तो (------) परगना उठी का इजारै सरकार मै लां जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - हुकम आयो जु षानाजाद छा रुपयां वासतै सिव सिघ सुं ताकीद होसी सु उमेदवार हु जु मीयां पनां नै हुकम होय जु सजावली कर षानांजाद का रुपया भी जवावै जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - हुकम आयो जु जमां षरच आगै भेजो थो ती की बाकी कै वासतै मुतसदयां नै हुकम हुवो है जु हीसाब देष भेज देसु | श्री महाराजाजी सलामत - मंगसर मै षानांजाद का बेटा को ब्याह है अर रोज मरा का षरच को जुदो-कसालो है उमेदवार हु जु मसाअदो इनायत होय तो श्रीजी का तेज परताप कर भली भांत बेटा को ब्याह करूं जी | अर मुतसदयां नै मुकरर हुकम होय जु जमां षरच की बाकी व यो रोजगार चढ्यो सु भेजै तो रोज षरच का फसाला सुं अर साहुकार का तगादा सु (--) जी अर षानाजादजादा को ब्याह करू जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - श्री पातसाहजी सुं अरज पहोची जु कीसनगढ मै श्री महाराजा अजीत सिघजी का झडा कायम हुवा सु राजा बहादर लड़बा की तयारी करी है अर च्यारूं तरफ महाराजा श्री अजीत सिघजी का मोरचा लाग रह्या है अर नरायणा मै श्रीजी का झंडा कायम हुवा है जी |

मी॰ भादवा बदी 15 सबत 1768 |||||