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Devanagari


Arzdasht 366

||:|| सिंधिं श्री महाराजाधिराज महाराजाजी श्री चरण कमलानू षानांजाद षाक पाय पचोली जगजीवन दास लिषतं | तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का समाचार श्री महाराजाजी का तेज प्रताप कर भला छै | श्री महाराजाजी का सीष समाचार सासता परसाद करावजो जी | श्री महाराजाजी माइत हैं धणी हैं | श्री परमेसुरजी की जायगा हैं | म्हे श्री महाराजाजी का षानांजाद बंदा हां | श्री पातसाहजी श्री महाराजाजी सूं मेहरबान हैं | श्री महाराजाजी सुष पावजो जी | पान गंगाजल आरोगबा का घणा जतन फरमावजो जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - सारा समाचार दरबार का मुफसल आगै अरजदासत कीया है सु नजर मुबारक गुजरसी जी |

| श्री महाराजाजी सलामत - गेसु षां का मारयां की षबर सुण षान जहां बहादर व आजम षां श्री पातसाहजी हजुर फीरयाद करी थी तीं की हकीकत तफसीलवार आगै अरजदासत करी छै सु नजर मुबारक गुजरी होसी जी | षानाजाद आजम षां व षान जहां बहादर की नालस की षबर सुण धनराम षानाजाद को जवाइ ती नै श्री पातसाहजी कै लसकर भेजो सु वैं को रुको आयो जु आजम षा श्री पातसाहजी सुं रूषसत हुवो छै सु सहर नै आवै छै सु सरंजाम कर सीताबी ही चालसी सु मी॰ काती बदि 11 सांझ नै आजम षां सहर मै आयो तद असदू दीं षां बडा तहवर षा को बेटो तीं षानाजाद नै वैं ही बीर-यां बुलाय भेजो अर कह्यो जु आजम षां श्री पातसाहजी सू रूषसत होय आयो छै अर मनै साथ लीयो छै सू म्हारा साथ लेबा सुं जाणजे छै जु सुलह ठहरै पछै देषजे जु उठै गयां पछै काइ ठहरै वै ही बीरया षानाजाद राजा सभा चंद कनै गयो अर या हकीकत जाहर की जु आजम षां श्री पातसाहजी कना सुं रूषसत होय आयो छै तब राजा सभा चंद या हकीकत नवाब अमीरल उमरावजी नै लिष भेजी जी जु जुवाब होसी सू तफसीलवार पाछां सुं अरजदासत करसू जी | श्री महाराजाजी सलामत - आजम षा कै चालबा की घणी जलदी छै अर आप का बकसी नै कह्यो जु दस हजार सुवार नवा चाकर राषो अर आप का नायबां नै जायगा जायगा लिष मोकलो छै जु सरंजाम कर सीताब साम्हा आवो सु श्री महाराजाजी सलामत - अठा की तो या सुरत छै जु कुछ षातर मुबारक मै आवै सु फरमावजे जी | मी॰ काती बदी 11 सबत 1769 आधी रात को चलायो |||||