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Ansi UTF-8 Devanagari


Arzdasht 347

||:|| श्री गोपालजी सत छै जी

|| श्री महाराजधिराज महाराजा

|| जी श्री जै सिघजी

||:|| सिधि श्री महाराजधिराज महाराजाजी श्री |

चरण कुमलानु षानाजाद षाक पाय पंचोली जगजीवन दास लिषतं तसलीम बंदगी अवधारजो जी | अठा का स्माचार श्री महाराजाजी का तेज परताप कर भला है | श्री महाराजाजी रा सीष स्माचार सासता परसाद करावजो जी | श्रीजी माइंत है धणी है | श्री परमेसुरजी की जायग (sic!) है | पान गंगाजल आरोगण रा घणा जतन फुरमावजो जी |

| अप्रंच पातिस्याहजी का वाका का व साहजादां की लड़ाइं का व अजीम का मारां का स्माचार पै दर पै आगै अरजदासतां कीय्या है | सु अरज पोहचा होसी जी |

| ओर पातिस्याहजी श्री जहादार स्याहजी अजीम का डेरां सै कुच कर सहर की तरफ सालेमार कनै आण डेरा कीय्या छै | अर रफी स्यां य्यां सु दाहणी तरफ तोबषाना की ठोड़ जाय डेरा कीय्या व जहांस्याहजी अजीम की पछाड़ी था सु उठा सु कुच ऐक कोस ओर पाछो जाय डेरा कीय्या | नवाब जुलफीकार षां य्या तीना कै बीचै फीरै छै | अजीम को षजानो व जवाहर बटो न छै हाथी घोड़ा लड़ाइ कै दीन जहांस्याहजी ले गय्या था | सु जहांदार स्याहजी भी वा नै ही दीय्या अब ताइं कुछ चुकचुकी न छै जो चुकसी सु पाछां सु अरजदासत करस्यां जी |

| ओर महाबत षांजी जहांस्याह कै लुतफुला षां सादक ती का दीवान-षांना मै दोय दीन रहा अर अरज कराइं जु षानाजाद को कबीलो नदी पार छै हुकम होय तो ले आउ फुरमायो ले आवो सु कबीलो लेबा गय्या छै |

| ओर हमीदुदी षां फकीर होय बैठो छै अर स्याह नवाज षां मुवो

| ओर षान ज्मा षां नदी पार उतर गयो थो सु उठै ही है |

ओर षलीलुला षां व नांमतुला षां व बाकर षां रोहला षां का बेटा सु य्या उपर जहादार स्याह बहादर व जहास्याह ब-हर बोहोत महरबानगी फुरमाइं अर फुरमायो थे म्हां का कदीम षानाजाद हो थां की तकसीरां माफ करी अर था का आगै मनसब छै ती सु दु-चंदां करस्यां थां कै घराणै होय आइ छै सु षीदमता देस्यां | ती उपर य्यां अरज कराइं जु अजीम की साथ तइनात था सु अबार तो वां का मातम मै बेठा छां | पछै हजरत का षानाजाद छां फुरमासो सु करस्यां जी |

| ओर राव रामचंद राव दलपत को बेटो काम आयो |

| ओर नवाब जुलफीकार षांजी को य्या तीनां कौ बडो अषतीय्यार छै सु षानैजाद हाजर रह छै | दरबार नवा|नया छै पादगांन वगहरै भात भात का षरच छै ती सु दरबार षरच की व षानाजाद की सीताब षबर लीजो जी |

गजसिघपुरा का हवालदार (---) न षाह षानाजाद की आइ थी ती को स्माचार आगै अरजदासतां मै मुफसल अरज लीषी छै यो ऐक दाम देण को न्ही ती सु हजुर सै ही षानाजाद की षबर लीजे जी |

(Passage in code language:)

(line 1:)

को-च-ऐ-अ-ह-ट-च-यै-मु-क-मी-ज-लै-चा-मा-टा-षा-ण-च-घ(ध?)-मं-टु-ओ-चा-मा-ने

(line 2:)

ने-ली-अ-ना-टा-मे-अ-ष-यै-अ-ची-ज-लै-ने-ली-अ-न्या-ह-ट-च-ल-खी-उ(अउ)-द-यै-ऐ

(line 3:)

अ-नो-त-क-फै-यै-गु-अ-षी-लै-णी-हा-घै(धै?)-ल-यै-अ-षै-यै-क-मी-ज-इ(अइ)-यै-गु-हां-ला

(line 4:)

मा-ण-थ-ष/ब-अइ-अ-अ-च-टा-अइ-कै-जै-यै-गु-फी-अ-डा-य-डा-यां-गु-नी-ह-गां

(line 5:)

मी

[i.e.: ओर ऐक षबर छै जु अजीम नै राजा बाहादर व जंबु को राजा ले ले नीकला बाजे | कह छै करीम नै ले नीकल्या षबर नही कुण छै | ऐक लोथ अठै छै सु कही नै दीषावै न छै कहै छै अजीम की छै | सु षांनाजाद तहकीक करबा की ?-इ मै छै सु ठीक पाछ पाछां सु लीषसां जी |]

| ओर जहांदार स्याह बहादार वजारत सांनै सादुला षाम् नीको षीताब दे षानसांमा कीय्यो जी |

मी॰ फागुण सुदि 15 |||||